पटना न्यूज़: बीते कुछ समय से असमय मौतों की बड़ी वजह हृदयघात (हार्ट अटैक) बन रहा है युवाओं को भी दिल के दौरे पड़ रहे हैं पटना के तीन शवदाह गृहों में बीते दो माह में 2150 लोगों का अंतिम संस्कार हुआ इनमें 40 फीसदी से अधिक की मौत हार्ट अटैक से हुई थी
हिन्दुस्तान की पड़ताल में सामने आया यह आंकड़ा न केवल चौंकाने वाला है बल्कि चिंता का विषय भी है जाने-माने हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. रवि विष्णु प्रसाद का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में हार्ट अटैक से होने वाली मौतों की संख्या काफी बढ़ी है पहले यह 60-65 साल की उम्र के बाद की बीमारी मानी जाती थी लेकिन खराब जीवनशैली से कम उम्र वाले भी इससे पीड़ित हो रहे हैं पटना के बांसघाट स्थित शवदाह गृह में 1 अप्रैल से 29 मई के बीच 354 शवों का अंतिम संस्कार किया गया है इसमें 141 की मौत हार्ट अटैक से हुई थी खाजेकलां शवदाह गृह में 861 का दाह संस्कार हुआ इनमें 348 की मौत की वजह हार्ट अटैक ही थी गुलबी घाट में 935 में 374 की मौत हार्ट अटैक से हुई थी कोरोना संक्रमण के समय से ही बड़ी संख्या में लोगों के फेफड़े कमजोर हुए और ब्लड प्रेशर की बीमारी भी बढ़ी है एक यह भी वजह है कि पिछले दो वर्षों में हार्ट अटैक की घटनाएं अधिक होने लगी हैं
शवदाह गृह में हुए अंतिम संस्कार में मौत की वजहों का आंकड़ा:
हार्ट अटैक 40
ब्रेन हेम्रेज 10
दुघर्टना 15
लीवर खराब 5
किडनी खराब 4
पीलिया 2
छाती में संक्रमण 3
टीबी की बीमारी 2
अन्य कारण 19
हार्ट अटैक से मरने वालों में सबसे ज्यादा युवा:
हार्ट अटैक से युवाओं की अधिक मौत हो रही है हर्ट अटैक से मरनेवालों में 25 से 45 आयु वर्ग के युवा ज्यादा हैं इसके बाद 60 से अधिक आयु वर्ग के लोगों की मौत की वजह यह बीमारी बन रही है चिकित्सकों का कहना है कि युवाओं का अनियमित दिनचर्या और तनाव, इस बीमारी का मुख्य कारण बनता जा रहा है खाद्य पदार्थों में मिलावट भी इसका प्रमुख कारण बनता जा रहा है गुलबी घाट पर रेल व सड़क हादसे, नदी में डूबने और आत्महत्या वाले शवों का पिछले दो माह में अधिक अंतिम संस्कार किया गया है शवदाह गृह के कर्मचारी बताते हैं कि दुघर्टनाओं की वजह से मरने वालों के साथ आत्महत्या की संख्या भी पिछले कई वर्षों से बढ़ी है
दुर्घटना में भी जा रही लोगों की जान: शवदाह गृह में ऐसे शव पहले की तुलना में अधिक आ रहे हैं, जिसकी मौत हादसे में हुई या फिर किसी ने आत्महत्या कर ली नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि दीघा शमशान घाट पर भी हर माह औसतन दो सौ से ढाई सौ के बीच अंतिम संस्कार किया जाता है यहां भी हार्ट अटैक और दुघर्टना में मरने वालों की संख्या सबसे अधिक रहती है
हर मौत के पीछे हृदय गति का रुकना ही प्रमुख कारण है पहले हार्ट अटैक 60-65 साल आयु के बाद की बीमारी मानी जाती थी लेकिन खराब जीवनशैली और खान-पान के कारण अब यह 45-50 साल के आयु वर्ग में आम बीमारी बन गई है युवा वर्ग में फास्ट फूड, मांसाहार का प्रचलन बढ़ा है नियमित व्यायाम और फील्ड गेम से लोग दूर रह रहे हैं ऐसे कॉलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है
-डॉ. रवि विष्णु प्रसाद, विभागाध्यक्ष, हृदय रोग विभाग, आईजीआईएमएस, पटना