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बिहार | मौसम की बेरुखी के कारण बारिश ने साथ छोड़ा. खरीफ की खेती पर प्रतिकूल असर पड़ा. लक्ष्य के अनुसार धान की खेती नहीं हो सकी. किसान चिंता में पड़े हैं. हालांकि, पशुपालकों को इसका खूब फायदा मिल रहा है. खाली पड़े खेत चरागाह बने तो हरा चारा का संकट खत्म हो गया. मवेशियों के पेट भर रहे हैं. दूध के उत्पादन में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है. पिछले चार सालों का रिकार्ड टूट गया है.
भले ही गर्मी के सीजन जून में रोज करीब 60 हजार लीटर दूध का उत्पादन हो रहा था. वर्तमान में हर दिन करीब 80 हजार लीटर दूध पशुपालक सुधा डेयरी की समितियों को उपब्ध करा रहे हैं. मांग से अधिक उत्पादन होने के कारण संग्रहित दूध से नालंदा डेयरी और पटना डेयरी के प्लांट में पावडर तैयार किया जा रहा है.
नालंदा में सुधा डेयरी की करीब साढ़े सात सौ समितियां हैं. इनसे 43 हजार से ज्यादा पशुपालक जुड़े हैं. अमूमन बरसात के दिनों में खेतों में फसल लग जाती है तो हरे चारे की किल्लत से पालकों को दो-चार होना पड़ता है. लेकिन, इसबार मानसून ने किसानों का साथ छोड़ा तो जिले में करीब नौ हजार खेत विराम रह गये. रुक रुककर हो रही हल्की बारिश के कारण खाली खेतों में हरा चारा पर्याप्त मात्रा में उग आये हैं.
मवेशियों को भरपेट चारा मिलने के कारण दूध उत्पादन में जोरदार इजाफा हुआ है. सिंचाई के अभाव में खेती-बाड़ी का काम ठप है. किसान नुकसान से बचने के लिए पशुपालन पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. स्थिति ऐसी कि सुबह के साथ ही शाम में भी मवेशियों को चारा खिलाने खाली खेतों में ले जाते हैं.
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Harrison
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