बिहार

बिहार में सिलेंडर ब्लास्ट में झुलसे थे 4 लोग

Admin4
20 July 2022 9:11 AM GMT
बिहार में सिलेंडर ब्लास्ट में झुलसे थे 4 लोग
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बिहार में 44 साल से रह रहे मराठी परिवार के लिए महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने लीक से हटकर बड़ी मदद की, वह भी बिना मांगे। पटना में रहने वाला यह परिवार सिलेंडर ब्लास्ट में बुरी तरह झुलस गया था। शिंदे ने इन्हें पुणे लाने के लिए अपने खर्च पर एयर एंबुलेंस भेज दी। मदद मिली या नहीं, यह जानने के लिए शिंदे देर रात तक जागते भी रहे।

इस घटना के बाद से CM शिंदे की बिहार में खूब चर्चा हो रही है। वे कोशिश न करते तो शायद 4 लोगों की जान नहीं बचती। बड़ी बात यह है कि 11 करोड़ की आबादी वाले बिहार में एक भी बर्न हॉस्पिटल नहीं है। झुलसे लोगों को यहां के हॉस्पिटल एडमिट नहीं कर रहे थे। घटना 14 जुलाई देर रात की है। घायलों को 17 जुलाई को एयरलिफ्ट किया गया।

लाइट का स्विच ऑफ करते ही हो गया धमाका

पटना के बाकरगंज में अमोल जाधव का 3 मंजिला मकान है। 14 जुलाई की देर रात करीब सवा दो बजे उनकी पत्ती रोहिणी उठीं तो देखा किचिन की लाइट जल रही थी। बंद करने के लिए जैसे ही स्विच दबाया एक धमाका हुआ। दरअसल, कमरे में रसोई गैस लीक हो गई थी। इस हादसे में अमोल, उनकी पत्ती और बाजू वाले कमरे में सो रही बेटी लिपिका और बेटा संग्राम झुलस गए।

इलाज के लिए भटकता रहा परिवार

झुलसे लोगों को पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल ले जाया गया। यहां जलने वाले मरीजों के इलाज की व्यवस्था नहीं है, इसलिए प्राथमिक इलाज के बाद उन्हें पटना के ही अपोलो हॉस्पिटल रेफर कर दिया गया। अपोलो में भी कहा गया कि वेंटिलेटर नहीं हैं, ऐसे में इन्हें भर्ती नहीं किया जा सकता।

झुलसे मरीजों को लेकर लोग शहर में भटकते रहे। इस दौरान पुणे में रह रहे अमोल जाधव के भाई डॉक्टर किरण जाधव ने पारस हॉस्पिटल में बात की और किसी तरह से वहां भर्ती कराया।

खबर लगते ही एकनाथ शिंदे ने मदद का वादा किया

डॉ. किरण जाधव का कहना है कि घटना के बाद वे पुणे से पटना के लिए निकल गए। 15 जुलाई की सुबह पटना पहुंच गए और 10.40 लाख में एयर एंबुलेंस बुक करके अपनी भाभी रोहिणी को पुणे के सूर्या हॉस्पिटल में पहुंचाया। एयर एंबुलेंस एक साथ दो मरीजों को नहीं ले जाती है। पटना एयरपोर्ट ने भी एक साथ दो मरीजों को ले जाने की अनुमति नहीं दी।

डॉ. किरण अपने भाई और उनके दो बच्चों को पुणे भेजने की हर कोशिश करके हताश हो चुके थे, इस बीच 16 जुलाई की रात लगभग 11.30 बजे उनके मोबाइल पर महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे का कॉल आया। शिंदे ने पूरी घटना समझी और वादा किया कि 17 जुलाई की सुबह मरीजों को एयरलिफ्ट करा दिया जाएगा।

डॉ. किरण का कहना है कि सरकारी खर्च पर एयर एंबुलेंस नहीं मिली तो सीएम ने खुद के प्राइवेट खर्च पर एक ही एयर एंबुलेंस को दो बार भेजीं और घायलों को पुणे तक एयरलिफ्ट कराया। बाद में ‌उन्हें सूर्या हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया गया।

पीड़ित परिवार ने कहा- शिंदे हीरो हैं, भगवान बनकर जान बचाई

डॉ. किरण जाधव का कहना है कि वे सीएम एकनाथ शिंदे से कभी नहीं मिले, उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानते तक नहीं हैं। डॉ. जाधव के दूर के रिश्तेदार का परिचित महाराष्ट्र सीएम हाउस में काम करता है। उसने यह बात सीएम के पीए को बताई। पीए ने शिंदे को इसकी जानकारी दी। तब सीएम खुद सक्रिय हुए।

डॉ. किरण का कहना है कि शिंदे हीरो हैं, वे महाराष्ट्र ही नहीं बिहार में भी हीरो बन गए हैं। भगवान बनकर जान बचाकर मिसाल पेश की है। इस घटना से बिहार सरकार को सबक लेना चाहिए और राज्य में कम से कम एक बर्न हॉस्पिटल बनाना चाहिए।

1978 से पटना में रहा रहा परिवार

40 साल के अमोल जाधव पटना के बाकरगंज की नागेश्वदर कॉलोनी में रहते हैं। उनके पिता 1978 में महाराष्ट्र से आकर बाकरगंज में ज्वेलरी का काम करने लगे। पिता की मौत के बाद अमोल ने कारोबार संभाल लिया। अमोल के भाई डॉ. किरण जाधव भी पटना में ही पढ़े हैं। वे पुणे में 50 बेड का हॉस्पिटल चलाते हैं।

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