बिहार

राज्य में संस्थागत प्रसव में 12 फीसदी की हुई वृद्धि

Admin Delhi 1
10 Jun 2023 6:44 AM GMT
राज्य में संस्थागत प्रसव में 12 फीसदी की हुई वृद्धि
x

बक्सर न्यूज़: बिहार में संस्थागत प्रसव में वृद्धि हुई है. पांच साल पहले राज्य में 63.8 फीसदी संस्थागत प्रसव हो रहे थे. वह बढ़कर अब 76.2 प्रतिशत हो गया है. इस तरह पांच साल में संस्थागत प्रसव में राज्य में 12.4 फीसदी की वृद्धि हुई है. शहरी इलाकों की तुलना में ग्रामीण इलाकों में अब भी संस्थागत प्रसव कम हो रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार शहर में 84.1 फीसदी संस्थागत प्रसव हो रहे हैं, जबकि ग्रामीण इलाकों में मात्र 75.1 फीसदी ही संस्थागत प्रसव हो रहे हैं.

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के आंकड़ों के अनुसार राज्य के सभी जिलों में संस्थागत प्रसव की दर में वृद्धि दर्ज हुई है. इसमें अव्वल मुंगेर जिला है. मुंगेर में 93.2 प्रतिशत संस्थागत प्रसव हो रहे हैं. संस्थागत प्रसव में वृद्धि दर की बात करें तो 27.2 प्रतिशत वृद्धि के साथ सीतामढ़ी राज्य में अव्वल है.

हालांकि मुंगेर में पहले की तुलना में संस्थागत प्रसव में 9.7 फीसदी की वृद्धि हुई है. लेकिन 93.2 प्रतिशत संस्थागत प्रसव होने के कारण यह शीर्ष पर है. बक्सर 89.5 प्रतिशत संस्थागत प्रसव की दर के साथ दूसरे स्थान पर एवं 89.2 प्रतिशत संस्थागत प्रसव के साथ शेखपुरा तीसरे पायदान पर है.

संस्थागत प्रसव के आंकड़ों में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण- 4 की तुलना में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के आंकड़ों को देखें तो 27.2 प्रतिशत के साथ सीतामढ़ी जिला में सर्वाधिक वृद्धि दर्ज हुई है. सीतामढ़ी में संस्थागत प्रसव की दर 37.2 फीसदी थी जो राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के आंकड़ों के अनुसार यह 64.4 फीसदी हो गयी है. सीतामढ़ी के बाद 23.4 प्रतिशत वृद्धि के साथ मधुबनी दूसरे तथा 22.7 प्रतिशत के साथ वृद्धि दर के साथ दरभंगा तीसरे स्थान पर है.

पुरुषों को भी संवेदनशील होने की जरूरत: राज्य स्वास्थ्य समिति की राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, मातृ स्वास्थ्य, डॉ. सरिता ने कहा कि संस्थागत प्रसव सुरक्षित मातृत्व की कुंजी है. पुरुषों को गर्भवती व प्रसव के बाद महिला का ध्यान रखने में अधिक संवेदनशील होने की जरूरत है. कहा कि जननी सुरक्षा योजना के तहत ग्रामीण महिलाओं को 1400 रुपए एवं शहरी को 1000 की की सहायता राशि प्रदान की जाती है. जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत सरकारी अस्पतालों में प्रसूता एवं उसके नवजात के लिए 48 घंटे रुकने की सुविधा है. इसमें दवा, भोजन, सभी जांच, रक्त की उपलब्धता एवं परिवहन की सुविधा पूरी तरह निशुल्क उपलब्ध करायी जाती है.

Next Story