बिहार

10 से 12 मरीज प्रतिदिन इमरजेंसी से भेजे जा रहे ओपीडी में

Admin Delhi 1
6 March 2023 8:30 AM GMT
10 से 12 मरीज प्रतिदिन इमरजेंसी से भेजे जा रहे ओपीडी में
x

भागलपुर न्यूज़: मायागंज अस्पताल के इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर मरीजों का तत्काल इलाज करने के बजाय उन्हें ओपीडी में लंबी कतार में लगने के लिए भेज दे रहे हैं. इसका परिणाम यह कि दर्द से कराहता मरीज या तो आधे से एक घंटे तक इंतजार के बाद ओपीडी में अपना इलाज कराता है या फिर सिस्टम को कोसते हुए निजी या फिर सदर अस्पताल चला जाता है.

बीच ओपीडी में आधे से एक घंटे गुजारा तो पता चला कि इमरजेंसी में इलाज कराने के लिए आ रहे मरीजों को भी ओपीडी में भेजा जा रहा है. ओपीडी टाइम यानी सुबह नौ से लेकर दोपहर एक बजे के बीच रोजाना 10 से 12 मरीज इमरजेंसी से ओपीडी में भेज दिए जा रहे हैं. दोपहर 1230 से लेकर दोपहर एक बजे के बीच तीन मरीज ऐसे आए, जिन्हें तत्काल इलाज की जरूरत थी, लेकिन उन्हें इलाज के लिए इमरजेंसी से ओपीडी भेज दिया गया था. ओपीडी में अगर आपको इलाज कराना है तो आधे से डेढ़ घंटे लग जाते हैं. सबसे ज्यादा समय रजिस्ट्रेशन कराने में लगता है. हर घंटे औसतन 300 से 400 मरीजों की पर्ची कटती है. ऐसे में अगर आपको डॉक्टर ने एक्सरे या अल्ट्रासाउंड कराने को बोल दिया तो वह जांच कराने के बाद रिपोर्ट दिखाने में उसे या तो दोपहर बाद तीन बजे तक रुकना होगा या फिर उसे इलाज के लिए अगले दिन भी आना पड़ जाए. बीते एक सप्ताह से सुबह नौ से लेकर दोपहर बाद एक बजे के बीच ओपीडी में औसतन 1600 से 1700 मरीजों का रोजाना इलाज हो रहा है.

इंग्लिश चिंचरौन निवासी 28 साल के अभिषेक कुमार एक मार्च को दुर्घटना में घायल हो गये थे. उनके पैर में चोट और फ्रैक्चर होना प्रतीत हो रहा था. बकौल अभिषेक, वह दर्द के कारण ठीक से चल नहीं पा रहा है. सुबह 10 बजे इमरजेंसी में गया तो वहां डॉक्टरों ने सीधे ओपीडी भेज दिया. यहां आधा घंटा बीत गया तो वह इलाज के लिए तिलकामांझी स्थित एक निजी अस्पताल में चला गया.

बड़ी खंजरपुर निवासी 14 साल की युवती के पैर व जांघ में कुत्ते ने मांस नोच लिया था. उसके पैर से लगातार खून रिस रहा था. उसके पिता ने बताया कि 28 फरवरी को बेटी को कुत्ते ने काट लिया तो उसे लेकर साढ़े 12 बजे इमरजेंसी गये. जहां जूनियर डॉक्टर ने सीधे ओपीडी भेज दिया. जहां आधे घंटे तक रजिस्ट्रेशन व लाइन में लगने के बाद बेटी का ओपीडी में इलाज कराया.

इस तरह का गैरजिम्मेदाराना हरकत चिकित्सकों को शोभा नहीं देता है. इस मामले में इमरजेंसी इंचार्ज से सवाल-जवाब करते हुए इसकी जिम्मेदारी तय की जाएगी.

डॉ. असीम कुमार दास, अधीक्षक, मायागंज अस्पताल भागलपुर

Next Story