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पानी नहरों में प्रवेश के साथ ही समाप्त हो जाता है।
गया: पत्रिका में भी सेंचुरी में गरीबों का संकट बताया गया है। राज्य की 10 नदियाँ सुख गयी हैं। ये हैं सभी दक्षिण बिहार के. 45 नहरों से पानी गायब है। सभी के सभी गाजर पड़े हैं। यही नहीं 50 से अधिक ऐसे नहरें हैं जहां अंतिम छोर तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। इन नहरों में भी ऐसे हैं जिनमें आधी दूरी तक भी पानी नहीं है। इन सबसे किसानों की बढ़ी परेशानी. इनमें नहरों के साथ-साथ उनकी संबंधित वितरणियाँ भी शामिल हैं।
बारिश के मौसम में किसान जहां आसमान निराश कर चुके हैं, वहीं नहरों से भी उन्हें पूरा पानी नहीं मिल पा रहा है। वितरण की स्थिति अधिक खराब है. विशेष रूप से पूर्वी एशिया में समुद्र तक पानी पहुंचाने के लिए समुद्र तट तक पहुंचना संभव हो गया है। बड़े इलाके में नहरों में तातिल व्यवस्था से पानी दिया जा रहा है। इससे किसानों की जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही हैं। ऐसे में किसान मशीनें और अपने स्टाफ से साकिलेट की कोचिंग में बेचते हैं। संकट का सबसे बड़ा कारण यह है कि इन नहरों और वितरणियों में जिन नदियों से पानी आता है, वे स्वयं संकट से जूझ रहे हैं। उन नदियों में ही पानी नहीं है. ऐसे में ये पानी कैसे आये? ऐसा नहीं है कि कई नदियों में पानी भी है तो उसकी मात्रा इतनी कम है कि उनकेपानी नहरों में प्रवेश के साथ ही समाप्त हो जाता है।
संकटग्रस्त दक्षिण बिहार की नदियों में पानी नहीं
सेंचुरी की 10 नदियाँ अब भी डाली हुई हैं। खासकर दक्षिण बिहार की नदियों में पानी ही नहीं है। बड़े इलाके में जल संकट पैदा हो गया है. यहीं नहीं यहां भूगर्भ जल भी तेजी से नीचे जा रहा है। सबसे ख़राब स्थिति है हॉस्टल डिस्ट्रिक्ट की. यहां छह नदियां मौजूद हैं। इस बड़े इलाके में पानी का संकट है। इन नदियों में भूतही, चिरायण, मोहाने, नोनाई, पंचाने, गोइठवा शामिल हैं। इसके अलावा अन्य जिलों में तिलैया, पटना जिले में करूआ और रोहतास जिले में काव नदी पूरी तरह से सूख गई है।
● 2023 के लिए 22 लाख हेक्टेयर में सींच का लक्ष्य था, 19.55 लाख हेक्टेयर में सींच की उपलब्धि कर ली गई है।
●राज सोन नहर के इंद्रपुरी बब पर 15120 क्यूसेक पानी आ रहा है। इनमें से ईस्टर्न कैनाल सिस्टम को 4495 और वेस्टर्न कैनाल सिस्टम को 10625 क्यूसेक पानी दिया जा रहा है।
● कोसी नहर प्रणाली के तहत वरपुर बाराज पर 91280 क्यूसेक पानी आ रहा है। इससे ईस्ट कैनाल सिस्टम को 7000 और वेस्टर्न कैनाल सिस्टम को 5000 क्यूसेक पानी दिया जा रहा है।
● गंडक नहर प्रणाली के अंतर्गत वाल्मिकीनगर बराज पर 83700 क्यूसेक पानी आ रहा है। इससे ईस्ट कैनाल सिस्टम को 8300 और वेस्टर्न कैनाल सिस्टम को 14000 क्यूसेक पानी दिया जा रहा है।
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Ritisha Jaiswal
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