असम

पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे को CBI की विशेष अदालत ने दी जमानत

Deepa Sahu
9 Nov 2021 7:12 AM GMT
पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे को CBI की विशेष अदालत ने दी जमानत
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कर्ज न चुका पाने के मामले में गिरफ्तार असम के पूर्व मुख्यमंत्री हितेश्वर सैकिया के पुत्र अशोक सैकिया को सीबीआइ की विशेष अदालत से सोमवार को जमानत मिल गई।

गुवाहाटी, कर्ज न चुका पाने के मामले में गिरफ्तार असम के पूर्व मुख्यमंत्री हितेश्वर सैकिया के पुत्र अशोक सैकिया को सीबीआइ की विशेष अदालत से सोमवार को जमानत मिल गई। अशोक को 25 साल पहले लिए गए नौ लाख रुपये का कर्ज न चुकाने पर रविवार को गैर जमानती वारंट के आधार पर गिरफ्तार किया गया था। सीबीआइ की हिरासत में एक रात बिताने के बाद वे सोमवार को जमानत पर छूट गए। उनके वकील ने बताया कि अशोक को मंगलवार को सीबीआइ के विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश होने को कहा गया है। अशोक एक व्यापारी हैं। उन्होंने अपने भाई के माध्यम से एक बयान जारी कर बताया कि उन्होंने 1996 में असम राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक से कर्ज लिया था। उन्होंने दावा किया कि वे यह कर्ज चुका चुके हैं। उन्होंने बैंक के तत्कालीन महाप्रबंधक के एक पत्र की प्रति भी जारी की जिसमें उन पर किसी तरह की देनदारी न होने की बात कही गई है।

25 साल पुराने एक कथित लोन घोटाला मामले में अशोक को गिरफ्तार करते हुए अधिकारियों का कहना था कि यह गिरफ्तार बार-बार तलब किए जाने के बावजूद उसके अदालत में पेश नहीं होने और गैर-जमानती वारंट जारी किए जाने के बाद की गई है। समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक सीबीआई की गुवाहाटी टीम ने अशोक सैकिया से पूछताछ की और बाद में उनको गिरफ्तार कर लिया।
अशोक सैकिया के बड़े भाई और असम विधानसभा में विपक्ष के नेता देवव्रत सैकिया ने बताया था कि सीबीआई की एक टीम रविवार शाम को अशोक को अपने साथ ले गई। देवव्रत सैकिया ने बताया कि यह बहुत पुराना मामला है जिसमें अशोक की ओर से कर्ज चुका दिया गया था। यह गलती बैंक की ओर से की गई है। बैंक ने अदालत को कर्ज चुकता होने के बारे में जानकारी नहीं दी है। अशोक ने असम राज्य सहकारी एवं ग्रामीण विकास बैंक लिमिटेड से 1996 में कर्ज लिया था। अशोक सैकिया की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि उन्‍होंने साल 2011 में एएससीएआरडी के पत्र के मुताबिक कर्ज चुका दिया था। उनका यह भी कहना है कि बैंक के प्रभारी महाप्रबंधक ने 28 अक्टूबर 2015 के एक पत्र के माध्यम से बताया था कि उन पर किसी तरह का कोई बकाया नहीं है। सीबीआई की टीम अचानक हमारे घर आई और कहा कि मेरा कर्ज बकाया है। सीबीआई की ओर से मुझे कोई नोटिस नहीं दिया गया था।
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