असम
गुवाहाटी HC ने फैसला सुनाया, एक बार भारतीय घोषित व्यक्ति को विदेशी नहीं ठहरा सकते
Deepa Sahu
7 May 2022 3:11 PM GMT
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गौहाटी हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है.
गुवाहाटी, गौहाटी हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है, कि अगर किसी व्यक्ति को असम में विदेशी न्यायाधिकरण (फारनर्स ट्रिब्युनल) द्वारा भारतीय नागरिक घोषित किया गया है, तो उसके खिलाफ न्यायाधिकरण में दूसरी बार मुकदमा नहीं चलाया जा सकता और उस पर विदेशी होने का ठप्पा नहीं लगाया जा सकता।
जस्टिस एन.कोटिस्वरा सिंह और जस्टिस मालाश्री नंदी की खंडपीठ ने हाल ही में 12 याचिकाओं के एक सेट पर पारित एक आदेश में कहा कि 'रेस ज्यूडिकाटा' का सिद्धांत राज्य में फारेनर्स ट्रिब्यूनल पर लागू था। 'रेस ज्यूडिकाटा' का अर्थ है कि एक बार मामला तय हो जाने के बाद उसे उन्हीं पक्षों द्वारा फिर से नहीं खोला जा सकता।
हाई कोर्ट ने कहा कि उसके समक्ष दायर रिट याचिकाओं के बैच में रेस ज्यूडिकाटा के सिद्धांत की दलील दी गई है। याचिकाकर्ताओं की दलीलें एक व्यक्ति अब्दुल कुद्दस के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आधारित हैं कि विदेशी ट्रिब्यूनल के समक्ष बाद की कार्यवाही को 'रेस जुडिकाटा' के सिद्धांत से रोक दिया गया है।
अदालत ने निर्देश दिया कि जब भी कोई याचिकाकर्ता इस आधार पर 'रेस जुडिकाटा' की दलील देता है कि उसे पूर्व की कार्यवाही में एफटी द्वारा पहले ही भारतीय घोषित कर दिया गया था, तो ट्रिब्यूनल को निर्धारित करना होगा कि क्या याचिकाकर्ता वही व्यक्ति है जिसके संदर्भ में पूर्व में कार्यवाही हुई थी या नहीं।जजों ने फैसला देते हुए कहा कि इस उद्देश्य के लिए, मौखिक दस्तावेजों और साक्ष्यों की जांच की जा सकती है और यदि ट्रिब्यूनल इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि वह व्यक्ति वही था जो पहले की कार्यवाही में था, तो केस को मेरिट पर लेने की कोई आवश्यकता नहीं है। आदेश में कहा गया कि 'रेस ज्युडिकाटा' की प्रयोज्यता की दलील पर, बाद की कार्यवाही बिना किसी और जांच के, पहले की राय के आधार पर बंद कर दी जाएगी कि वह व्यक्ति विदेशी नहीं था।
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