असम

मातृभूमि के सम्मान के लिए मर-मिटने वाला समाज है दिमासा- देवोलाल गर्लोसा

Shantanu Roy
7 Feb 2023 11:43 AM GMT
मातृभूमि के सम्मान के लिए मर-मिटने वाला समाज है दिमासा- देवोलाल गर्लोसा
x
डिमा हसाउ। देशभर से हजारों की संख्या में आये दिमासा समाज के लोगों ने पवित्र कोपिली नदी में स्नान कर जलदेव की आराधना की। अनादि काल से चला आ रहा कोपिली तीर्थ का समागम माघ पूर्णिमा (रविवार) के पवित्र दिन हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी भव्य तरीके से आयोजित किया गया। इस अवसर पर आयोजित सभा में धर्म और समाज के अस्तित्व को बचाए रखने को लेकर चर्चा हुई। समागम के मुख्य अतिथि दिमासा ऑटोनॉमस काउंसिल के सीईएम देवोलाल गर्लोसा ने कहा कि आने वाले दिनों में इस पवित्र तीर्थ क्षेत्र का विकास किया जाएगा। दूर-दराज से आने वाले लोगों के ठहरने के लिए भवन निर्माण का कार्य युद्धस्तर पर कराया जा रहा है। जबसे मुझे समाज का कार्य करने का अवसर मिला है तब से पवित्र मंदिर को क्षेत्र विशेष क्षेत्र घोषित कर दिया गया है। दिमासा समाज अपने धर्म के लिए, अपनी मातृ भूमि के सम्मान के लिए मर-मिटने वाला समाज है।
कार्यक्रम के विशेष अतिथि के रूप में विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के केंद्रीय विशेष संपर्क प्रमुख अम्बरीश सिंह ने कहा कि दिमासा एक लड़ाकू समाज है। उनके पुरखों का इतिहास धर्म रक्षा के संघर्षों से भरा हुआ है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक उल्लास कुलकर्णी ने कहा कि इस पवित्र नदी का महाभारत में भी वर्णन मिलता है। दिमासा समाज के राजा का महाभारत में उल्लेख है। धर्म की रक्षा के लिए समाज का लड़ना उनकी विरासत रही है। विहिप के क्षेत्र संगठन मंत्री दिनेश तिवारी ने कहा कि जहां धर्म है वहीं जय है। दिमासा समाज का जीवन धर्म आधारित रहा है। आज भी दिमासा समाज अपने धर्म आधारित जीवन पद्धति से सम्पूर्ण समाज का नेतृत्व कर एक आदर्श समाज को गढ़ने का कार्य कर रहा है। दिमासा समाज ने लाखों विपदाओं का सामना किया, लेकिन धर्म से डिगे नहीं। अनवरत अपने पुरुषार्थ के दम पर, अपने पौराणिक मर्यादाओं को सुरक्षित करने में सफल रहे हैं। आज यह कोपिली तीर्थ पर इतनी बड़ी संख्या में लोगों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि इस धाम की पवित्रता, पुरखों की थाती हम ऐसे ही आने वाले पीढ़ियों को सौंपने के लिए तैयार रहेंगे।
Next Story