असम

5 साल में भारतीय से घोषित कर दिया विदेशी, गुवाहाटी HC ने दिया महिला को रिहा करने का आदेश

Kunti Dhruw
16 Dec 2021 2:12 PM GMT
5 साल में भारतीय से घोषित कर दिया विदेशी, गुवाहाटी HC ने दिया महिला को रिहा करने का आदेश
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असम में फॉरेनर ट्रिब्यूनल (एफटी) के फैसले को पलटते हुए.

गुवाहाटी, असम में फॉरेनर ट्रिब्यूनल (एफटी) के फैसले को पलटते हुए. गुवाहाटी हाईकोर्ट ने एक महिला को रिहा करने का आदेश दिया है। असम के दरंग जिले की 55 वर्षीय महिला को विदेशी ट्रिब्यूनल ने 2016 में भारतीय घोषित किया था लेकिन इसी ट्रिब्यूनल ने 2021 में विदेशी घोषित कर दिया था।

अगस्त 2016 में मंगलदाई में विदेशी ट्रिब्यूनल ने हसीना बानो को "विदेशी/अवैध प्रवासी की किसी भी धारा" के रूप में घोषित नहीं किया था। हालाँकि, असम सीमा पुलिस के एक रेफरल के बाद उसी विदेशी ट्रिब्यूनल में उसके खिलाफ एक और मामला दर्ज किया था, जिसमें 2017 में उसके बांग्लादेशी नागरिक होने का संदेह था। मामले में सुनवाई के बाद मार्च 2021 में ट्रिब्यूनल ने उसे 25.03.71 की धारा में "विदेशी" घोषित कर दिया जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया। महिला को अक्टूबर में तेजपुर जेल में एक डिटेंशन सेंटर में डाल दिया गया।
सोमवार को हाईकोर्ट ने दिया आदेश सोमवार को गुवाहाटी हाईकोर्ट ने उनकी रिहाई के आदेश दिया था जिसके बाद अब वह कभी भी बाहर जा सकती हैं। महिला के आज गुरुवार को डिटेंशन सेंटर से बाहर आने की संभावना है। तेजपुर से 100 किमी दूर रहने वाले हसीना भानु के परिवार को कहना है कि वे हाईकोर्ट से फैसले ने उन्हें राहत दी है और गुरुवार को उन्हें लेने जाएंगे। हसीना के बहनोई अकरम ने बताया कि वह राहत महसूस कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि 2016 में उसे भारतीय घोषित किया गया था लेकिन उसी अदालत ने 2019 में उस पर एक विदेशी का मामला डाल दिया गया। हम न्याय देने के लिए गुवाहाटी उच्च न्यायालय के आभारी हैं। हाईकोर्ट ने क्या कहा? सोमवार को हाईकर्ट ने विदेशी ट्रिब्यूनल की 2021 की राय को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि दोनों निर्णयों में याचिकाकर्ता की पहचान समान है और एक ही व्यक्ति के संबंध में दूसरी राय को कायम नहीं रखा जा सकता है।
हाईकोर्ट ने अब्दुल कुद्दूस बनाम भारत गणराज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि रेस ज्यूडिकाटा का सिद्धांत विदेशी ट्रिब्यूनल के समक्ष भी कार्यवाही में लागू होता है। जस्टिस एन कोटेश्वर सिंह और मलाश्री नंदी की बेंच ने कहा हम यह नहीं समझ पा रहे हैं कि ट्रिब्यूनल ने कैसे मामले की जांच की। हाईकोर्ट ने याचिका को निपटाने के लिए बिना बुलाए निपटाने का निर्देश दिया।
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