असम

कोर्ट ने समझाया रेस ज्यूडिकाटा का सिद्धांत, असम में नागरिकता विवाद पर गुवाहाटी हाईकोर्ट ने की बड़ी टिप्पणी

Admin2
7 May 2022 6:00 AM GMT
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क : असम में नागरिकता विवाद पर गुवाहाटी हाईकोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है। हाईकोर्ट ने कहा है फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल बेंच ने अगर एक बार किसी भी नागरिकता को भारतीय घोषित कर दिया गया है तो उस केस को दोबारा नहीं खोला जा सकता और उसकी नागरिक को गैर-भारतीय घोषित नहीं किया जा सकता। कोर्ट की यह टिप्पणी ऐसे समय पर आई है, जब कई लोगों को राष्ट्रीयता घोषित करने के लिए नोटिस भेजे गए हैं। इसमें से कई ऐसे हैं, जिन्हें पहले ही भारतीय घोषित किया जा चुका है।

गुवाहाटी हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति एन कोटिस्वर सिंह और मालाश्री नंदी की खंडपीठ ने कहा है, रेस ज्यूडिकाटा का सिद्धांत फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल पर लागू था। इस सिद्धांत का मतलब है, अगर किसी व्यक्ति पर मामला पहले से तय हो चुका है तो उसे एक ही पक्ष द्वारा दोबारा अदालत में नहीं लाया जा सकता है। उन्होंने कहा, अगर किसी व्यक्ति ने कोर्ट में एक बार अपनी नागरिकता साबित कर दी है तो उसे बाद में किसी भी कार्यवाही में विदेशी साबित नहीं किया जा सकता है
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का दिया हवाला
अदालत ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा अब्दुल कुद्दस मामले में दिए गए फैसले का हवाला देते हुए कहा, विदेशी ट्रिब्यूनल के समक्ष बाद की कार्यवाही को 'रेस ज्यूडिकाटा' के सिद्धांत से रोक दिया गया था। इससे पहले पिछले साल दिसंबर, 2021 में गुवाहाटी उच्च न्यायाल ने विदेशी ट्रिब्यूनल द्वारा पारित आदेश को रद्द कर दिया था। इसमें व्यक्ति को पहले भारतीय घोषित किया गया था बाद में उसे विदेशी घोषित कर दिया था। डिवीजन बेंच ने तेजपुर जेल से हसीना भानु भानु को रिहा करने का आदेश दिया था।क्योंकि उसे 2016 में भारतीय और उसी ट्रिब्यूनल द्वारा 2021 में फिर से 'विदेशी' घोषित किया गया था। कोर्ट ने कहा उसके खिलाफ कार्यवाही जारी नहीं रखी जा सकती है, क्योंकि यह दोनों ही मामलों में एक ही व्यक्ति था।

सोर्स-amarujala

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