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असम में भोगाली बिहू, तो उत्तर दक्षिण भारत में संक्रांति, लोहड़ी और पोंगल की धूम, जानिए खासियत

Kunti Dhruw
13 Jan 2022 1:44 PM GMT
असम में भोगाली बिहू, तो उत्तर दक्षिण भारत में संक्रांति, लोहड़ी और पोंगल की धूम, जानिए खासियत
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लोहड़ी, मकर संक्रान्ति, पोंगल, भोगाली बिहू ऐसे त्योंहार हैं.

लोहड़ी, मकर संक्रान्ति, पोंगल, भोगाली बिहू ऐसे त्योंहार हैं, जो भारत के अलग—अलग राज्यों में बड़े ही धूम—धाम से मनाए जाते हैं। सूर्योत्तरायण की पूर्व संध्या पर देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी इन पर्वों को लेकर बधाई संदेश दिया है।

फसलों की कटाई के मौसम को चिन्हित करने वाले ये त्योंहार लोहड़ी, मकर संक्रान्ति, पोंगल, भोगाली बिहू, उत्तरायण और पौष पर्व के रूप में पूर्वोत्तर से लेकर पूरे भारत में मनाए जाते हैं। इन्हीं के साथ ही वसंत ऋतु की शुरूआत होती है और से समृद्धि के प्रतीक माने जाते हैं।पंजाब राज्य में इसी मौसम में हर साल 13 जनवरी के दिन भारत में लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है। लोहड़ी पर्व नए अन्न के तैयार होने और फसल कटाई की खुशी में मनाया जाता है।
इस दौरान लोग इकट्ठे होकर आग का अलाव जलाते हैं। आग में गेंहू की बालियों को अर्पित किया जाता है।वहीं असम में बिहू पर्व मनाया जाता है। यह त्योंहार मुख्यत 3 प्रकार से मनाया जाता है। असम में माघ महीने की संक्रांति के पहले दिन से माघ बिहू पर्व मनाया जाता है। इस दौरान तिल, चावल, नारियल, गन्ना इत्यादि फसल भरपूर उत्पादित होती है।वहीं, दक्षिण भारत के राज्य केरल में इसी दिन पोंगल पर्व मनाया जाता है। पोंगल तमिल हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। इसकी तुलना नवान्न से की जाती है। यह भी फसल की कटाई का उत्सव होता है।
लोहड़ी के अलावा उत्तर भारत के हिंदी भाषी राज्यों में मकर संक्रान्ति प्रमुख पर्व है। यह पर्व पूरे भारत समेत नेपाल में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तभी इस पर्व को मनाया जाता है। इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है। ज्योतिष के अनुसार इस दिन से सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं और दिन बड़े होने लगते हैंं।
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