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Silchar सिलचर: बड़े भाई के बाद अब छोटे भाई को भी CAA के जरिए नागरिकता मिल गई है। CAA के जरिए असम में नागरिकता दिए जाने का यह दूसरा मामला था और दोनों ही व्यक्ति सिलचर के रहने वाले थे। पिछले 36 सालों से रह रहे भाई-बहनों को देश की बहुप्रतीक्षित नागरिकता दिलाने में मदद करने वाले एडवोकेट धर्मानंद देब ने बताया कि बुधवार शाम को CAA पोर्टल पर छोटे भाई का नाम फ्लैश हो गया था और नागरिकता प्रमाण पत्र भी अपलोड हो गया था। हालांकि, दोनों ने अपनी पहचान बताने से सख्ती से इनकार कर दिया। देब ने कहा कि वे दोनों ड्राइवर थे और उनका सरनेम 'दास' था।
यह परिवार 1986 में असम आया था और तब से वे सिलचर में रह रहे थे। परिवार के सदस्यों के पास नागरिकता को छोड़कर आधार, पैन, वोटर कार्ड जैसे सभी जरूरी दस्तावेज थे। सीएए परिवार के लिए ईश्वर द्वारा भेजा गया अवसर है, क्योंकि बड़े भाई ने नागरिकता के लिए पहली बार आवेदन तब किया जब मार्च 2024 में अधिनियम के विवादास्पद संशोधन के नियम आधिकारिक रूप से तैयार किए गए थे। देब ने कहा, उनके पास बांग्लादेश में जमीन का एक दस्तावेज था क्योंकि उनके पिता ने 1983 में सिलहट के बियाणीबाजार के बाराग्राम में अब्दुर रऊफ नामक व्यक्ति से एक प्लॉट खरीदा था। भाइयों ने सीएए के माध्यम से नागरिकता के लिए अपने आवेदन के साथ दस्तावेज को स्टेपल किया और साथ ही कांचकांति काली मंदिर से अपनी हिंदू पहचान की पुष्टि करने वाला प्रमाण पत्र भी लगाया। छोटे भाई ने 6 सितंबर, 2024 को सीएए पोर्टल के माध्यम से आवेदन किया और पांच महीने के भीतर गृह मंत्रालय ने उन्हें नागरिकता प्रदान कर दी, वह भी 1988 से, जिस दिन वे भारत में प्रवेश किए थे।
सिलचर स्थित वकील धर्मानंद देब 2014 से पहले सीमा पार करने वाले विस्थापित हिंदुओं को नागरिकता दिलाने में सक्रिय रहे देव ने कहा, "इससे कुछ और लोगों को सीएए के माध्यम से नागरिकता लेने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा, जो आवेदन करने से डरते हैं क्योंकि उन्हें डर है कि इससे उनके लिए और अधिक परेशानी हो सकती है।"
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SANTOSI TANDI
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