दिल्ली: कांग्रेस नेता पवन खेड़ा को असम पुलिस ने गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया. अब उन्हें दिल्ली की एक अदालत में पेश किया जाएगा, जहां से कांग्रेस प्रवक्ता को ट्रांजिट रिमांड पर असम ले जाया जाएगा. कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि उसके मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा को रायपुर जाने वाली उड़ान से नीचे उतार दिया गया. पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने सवाल किया कि किस आधार पर खेड़ा को नीचे उतारा गया है और देश में कानून का कोई राज है या नहीं. बताया जाता है कि यह घटना इंडिगो की विमान संख्या 6 ई 204 में हुई और विरोध में कांग्रेस के कई नेता विमान से नीचे उतर गए तथा विमान अभी खड़ा है.
सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिता पर टिप्पणी के मामले में पवन खेड़ा पर असम के 15 जिलों में 15 मुकदमे दर्ज हैं. दिल्ली पुलिस की तरफ से भी इस मामले में बयान जारी किया गया है. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, दिल्ली पुलिस ने कहा कि कांग्रेस नेता पवन खेड़ा को दिल्ली हवाईअड्डे पर विमान में सवार होने से रोक दिया गया क्योंकि असम पुलिस ने उन्हें रोकने का अनुरोध किया था.
असम थाने में दर्ज मामले में पवन खेड़ा के खिलाफ हुई कार्रवाई
दरअसल, असम के दीमा हसाओ जिले के हाफलोंग थाने में कांग्रेस नेता पवन खेड़ा के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. असम के पुलिस महानिरीक्षक (लॉ एंड ऑर्डर) और प्रवक्ता प्रशांत कुमार भुइयां ने एएनआई से कहा, ‘मामले के सिलसिले में पवन खेड़ा की रिमांड लेने के लिए असम पुलिस की एक टीम दिल्ली रवाना हो चुकी है. हमने दिल्ली पुलिस से पवन खेड़ा को गिरफ्तार करने का अनुरोध किया है. स्थानीय अदालत से अनुमति लेने के बाद हम उन्हें असम लाएंगे.’
पवन खेड़ा ने क्या कहा?
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने इस बारे में कहा, ‘मुझे बताया गया है कि मेरे सामान को लेकर कुछ समस्या है, जबकि मेरे पास केवल एक हैंडबैग है. जब फ्लाइट से नीचे आया तो बताया गया कि आप नहीं जा सकते हैं. फिर कहा गया- आपसे डीसीपी मिलेंगे. मैं काफी देर से इंतजार कर रहा हूं. नियम, कानून और कारणों का कुछ अता-पता नहीं है.’
दरअसल, रायपुर में शुक्रवार से कांग्रेस पार्टी का महाधिवेशन होने वाला है. इसी सिलसिले में पवन खेड़ा पार्टी के अन्य नेताओं के साथ रायपुर जाने वाली फ्लाइट पकड़ने के लिए दिल्ली के आईजीआई हवाईअड्डे पर पहुंचे थे. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस के सत्र को बाधित करने का यह प्रयास है, ठीक वैसे ही जैसे ईडी का छापा 20 फरवरी को मारा गया था.