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असम : शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में पार्टी विधायक व निर्दलीय एमएलए 21 जून से गायब

Shiddhant Shriwas
25 Jun 2022 9:43 AM GMT
असम : शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में पार्टी विधायक व निर्दलीय एमएलए 21 जून से गायब
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महाराष्ट्र में शिवसेना और बागियों के बीच जबर्दस्त सियासी संग्राम जारी है। शिवसेना और 2019 में बनी महाविकास अघाड़ी सरकार अपने गठन के बाद के अभूतपूर्व संकट से जूझ रही है। इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि आखिर इतनी बड़ी तादाद में बागी विधायक महाराष्ट्र पुलिस व उनकी सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों को गच्चा देकर कैसे सूरत पहुंच गए? उनके गुजरात कूच की भनक राज्य की खुफिया पुलिस को भी कैसे नहीं लगी? इन सवालों के जवाब एक पुलिस अधिकारी ने दिए हैं।

शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में पार्टी विधायक व निर्दलीय एमएलए मंगलवार 21 जून से मुंबई से गायब हैं। पहले ये गुपचुप ढंग से सूरत पहुंचे और वहां से असम के गुवाहाटी की होटल में पहुंच गए हैं। उन्हें लेकर पिछले पांच दिनों से पूरे देश की सियासत में उबाल आया हुआ है।

सियासी और सत्ता संग्राम का चरम आना अभी बाकी

महाराष्ट्र में जारी सियासी और सत्ता संग्राम का चरम आना अभी बाकी है। शिवसेना टूटेगी क्या, उद्धव की सीएम कुर्सी बचेगी या जाएगी, कौन होगा नया सीएम, क्या भाजपा के साथ बागी बनाएंगे सरकार, क्या अब शिंदे होंगे सीएम या देवेंद्र फडणवीस के हाथ फिर आएगी कमान, एमवीए का क्या होगा, राज्य में राष्ट्रपति शासन के आसार तो नहीं हैं? विधानसभा भंग तो नहीं करना पड़ेगी, राज्यपाल व डिप्टी स्पीकर क्या फैसले लेंगे?

सुरक्षा गार्डों व कार्यकर्ताओं की आंखों में झोंकी धूल

ऐसे कई सवालों के बीच सभी के मन में यही सवाल बार बार घुमड़ रहा है कि आखिर मुंबई जैसे महानगर की चाक चौबंद सुरक्षा व खुफिया निगरानी के बीच बागी विधायक कैसे रफूचक्कर हो गए। वे अपने सुरक्षाकर्मियों के साथ ही कार्यकर्ताओं की भी आंख में धूल झोंकने में कैसे गायब हुए। क्या यह उद्धव सरकार की बड़ी गुप्तचर विफलता नहीं है?

पुलिस अधिकारी ने किया यह दावा

मुंबई के एक पुलिस अधिकारी ने दावा किया है कि बागी विधायकों ने अपने सुरक्षा अधिकारियों को निजी कारणों से कहीं जाने की बात कही। इसलिए सरकारी मशीनरी को कोई शंका नहीं हुई। उसने उन पर निगरानी भी नहीं रखी, न ही उनकी किसी साजिश या योजना को लेकर पुलिस व सीआईडी को कोई आशंका पैदा हुई। जब बड़ी देर तक ये विधायक नहीं लौटे तो कार्यकर्ताओं ने अपने वरिष्ठ नेताओं और सुरक्षा अधिकारियों ने अपने वरिष्ठ अफसरों को इस बारे में सूचित किया। अधिकारी ने कहा कि कुछ अन्य विधायकों के मामले में भी ऐसा हुआ है।

इस तरह रफूचक्कर हुए माननीय

पुलिस अधिकारी ने कहा कि मुंबई के एक विधायक अपने कार्यालय में बैठे थे और नारियल पानी की चुस्की ले रहे थे। इसके कुछ ही देर बाद उन्होंने अपने समर्थकों से कहा कि वे कुछ ही मिनटों में लौट आएंगे और वहां से चले गए।

शिवसेना के एक अन्य विधायक ने कहा कि उन्हें किसी काम से घर जाना है। उनके साथ युवा शिवसेना का एक पदाधिकारी उनकी कार में यात्रा कर रहा था, लेकिन कुछ दूर चलने के बाद विधायक ने उसे उतरने के लिए मजबूर किया और आगे बढ़ गए।

एक अन्य विधायक ने अपने सुरक्षा कर्मियों को एक होटल के बाहर जाने के लिए कहा। यह कहते हुए कि उन्हें अंदर कुछ काम है, लेकिन अपने गार्ड को छोड़ कर दूसरे गेट से रफूचक्कर हो गए।

खुफिया तंत्र की कोई विफलता नहीं, दी थी जानकारी

उधर, महाराष्ट्र के गृह विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि इस मामले में कोई खुफिया विफलता नहीं हुई, क्योंकि राज्य के खुफिया विभाग ने पिछले कुछ महीनों से शिवसेना के कुछ विधायकों के विपक्षी दल के नेताओं के संपर्क में होने की जानकारी दी थी। उन्होंने कहा, कागज पर कुछ भी नहीं था क्योंकि सब कुछ संबंधित लोगों को मौखिक रूप से बता दिया गया था, लेकिन सूचना पर कोई कार्रवाई नहीं की गई थी।

गृहमंत्री वलसे पाटिल से पवार खफा

कहा जा रहा है कि दो दिन पहले राकांपा प्रमुख शरद पवार ने राज्य के गृह मंत्री दिलीप वलसे-पाटिल, जो कि उनकी पार्टी हैं, के प्रति नाराजगी प्रकट की है। पवार ने पाटिल से शिवसेना विधायकों के भागने के बारे में अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए सवाल किया था। पवार ने पूछा कि राज्य के गृह मंत्रालय और खुफिया विभाग ने एमवीए नेतृत्व को इस बारे में सतर्क क्यों नहीं किया?

48 विधायकों के साथ गुवाहाटी की होटल में हैं शिंदे

एकनाथ शिंदे बुधवार से शिवसेना के कम से कम 38 बागी विधायकों और 10 निर्दलीय विधायकों के साथ गुवाहाटी की एक होटल में डेरा डाले हुए हैं। इससे पूर्व दो दिन ये सूरत की होटल में रहे थे। शिंदे गुवाहाटी से ही शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे पर हमले बोल रहे हैं। इसके साथ ही राज्यपाल व डिप्टी स्पीकर को पत्र लिख रहे हैं। वहीं से वे भावी राजनीतिक समीकरण बैठा रहे हैं।

महाराष्ट्र में मौजूदा सियासी संकट 20 जून को हुए विधान परिषद के चुनाव के चंद घंटों बाद उभरा। इन चुनावों में विपक्षी भाजपा अपनी ताकत से ज्यादा पांच सीटें जीतने में कामयाब हुई। इसके पहले राज्यसभा चुनाव में भी उसने राज्य के शिवसेना, कांग्रेस व राकांपा के महाविकास अघाड़ी गठबंधन को पटखनी दी थी। विधान परिषद के नतीजे आने के बाद से शिंदे से शिवसेना का संपर्क नहीं हो पा रहा था। कुछ घंटे बाद वे बागी विधायकों के साथ सूरत में प्रकट हुए थे।

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