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असम CM का कांग्रेस पर वार : मणिपुर में हिंसा का कारण पिछली सरकार की दोषपूर्ण नीतियां

Tara Tandi
23 July 2023 9:52 AM GMT
असम CM का कांग्रेस पर वार : मणिपुर में हिंसा का कारण पिछली सरकार की दोषपूर्ण नीतियां
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असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शनिवार को मणिपुर में 2017 तक के कार्यकाल को लेकर कांग्रेस और यूपीए पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि मणिपुर के जातीय संघर्षों का कारण पिछली कांग्रेस सरकारों की दोषपूर्ण नीतियां हैं। इसके अलावा उन्होंने दोगलापन का भी आरोप लगायामनमोहन सिंह पर निशाना
उन्होंने कहा कि कांग्रेस अचानक मणिपुर में अत्यधिक रुचि दिखा रही है। पार्टी को थोड़ा पीछे मुड़कर देखना और राज्य में इसी तरह के संकटों पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की प्रतिक्रिया को देखना जरूरी है। उन्होंने कहा कि पिछली कांग्रेस सरकारों की दोषपूर्ण नीतियों के कारण मणिपुर में हिंसा भड़की है। सात दशकों के कुशासन से उभरी खामियों को ठीक करने में समय लगेगा।
मणिपुर के सामाजिक ताने-बाने में हुआ सुधार
सरमा ने दावा किया कि 2014 के बाद से मणिपुर के सामाजिक ताने-बाने में जबरदस्त सुधार हुआ है। दशकों पुराने जातीय संघर्षों को सुलझाने की ये प्रक्रिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जल्द पूरी होगी।
UPA सरकार में हर साल एक महीने तक नाकाबंदी
सबसे पुरानी पार्टी पर निशाना साधते हुए असम के सीएम ने कहा कि कांग्रेस को राज्य में इसी तरह के संकटों पर उस वक्त के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की प्रतिक्रिया को देखना जरूरी है। उन्होंने दावा किया कि मणिपुर में यूपीए कार्यकाल के दौरान हर साल एक महीने से अधिक समय तक राज्य में नाकेबंदी होती थी। यूपीए के कार्यकाल के दौरान, मणिपुर देश की नाकाबंदी राजधानी बन गया था। साल 2010 से लेकर 2017 के बीच, जब कांग्रेस ने राज्य में शासन किया, हर साल साल में 30 दिन से लेकर 139 दिन तक नाकाबंदी होती थी।
निजी कंपनियों को बचाने में थे व्यस्त
सरमा ने कहा कि 2011 मणिपुर में 120 दिनों से अधिक समय तक चलने वाली सबसे खराब नाकाबंदी में से एक थी। 2011 में जब मणिपुर जल रहा था तब तत्कालीन प्रधानमंत्री और यूपीए अध्यक्ष ने उन 123 दिनों में एक शब्द भी नहीं बोला। वह निजी कंपनियों को बचाने में व्यस्त थे।
पेट्रोल और एलपीजी की कीमतों ने छुआ था आसमान
भाजपा नेता ने कहा कि प्रत्येक नाकाबंदी के दौरान पेट्रोल और एलपीजी की कीमतें 240 से 1,900 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ गई थीं। उन्होंने कहा कि सच यह है कि 2004-2014 के दौरान जब कांग्रेस देश और राज्य पर शासन कर रही थी, मणिपुर में 991 से अधिक नागरिक और सुरक्षाकर्मी मारे गए थे। मई 2014 से अब तक, इस दुखद आंकड़े में 80 प्रतिशत की कमी आई है।
यह है मामला
मणिपुर में तीन मई से जातीय हिंसा भड़की हुई है। करीब ढाई महीने से जारी हिंसा में 160 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। जबकि, कई लोग घायल हैं। दरअसल, मेइतेई समुदाय अनुसूचित जनजाति (एसटी) की मांग कर रहा है, इस वजह से कुकी और मेइतेई समाज आपस में भिड़ गया है। मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं, 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं।
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