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Assam गुवाहाटी : असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बुधवार को पड़ोसी देश में अशांति के कारण बांग्लादेश से हिंदुओं के आने के दावों का खंडन करते हुए कहा कि राज्य में सुरक्षा बल पिछले पांच महीनों में किसी भी हिंदू बांग्लादेशी घुसपैठिए का पता नहीं लगा पाए हैं।
सरमा ने कहा, "हमने बांग्लादेश में अशांति के बाद घुसपैठ की जांच के लिए अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट पर रखा है। पुलिस ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रोजाना बड़ी संख्या में अवैध प्रवासियों का पता लगाया है। हालांकि, पिछले पांच महीनों में बांग्लादेश से किसी भी हिंदू घुसपैठिए को गिरफ्तार नहीं किया गया।"
मुख्यमंत्री ने तर्क दिया कि हिंदू समुदाय के लोग 30 से 40 साल पहले बांग्लादेश से आकर बसे थे और बाकी लोग अलग-अलग कारणों से पड़ोसी देश में रह रहे हैं। उन्होंने कहा, "सीमा पार कर भारत आने की इच्छा रखने वाले हिंदू समुदाय के ज़्यादातर लोग 30 या 40 साल पहले यहां आए थे। बाकी अल्पसंख्यक लोग पड़ोसी देश में बड़े पैमाने पर अत्याचारों का सामना करने के बावजूद बांग्लादेश में रह रहे हैं। मुझे लगता है कि उनके वहां रहने के अपने कारण हैं, शायद मिट्टी के प्रति प्रेम या बांग्लादेश के प्रति देशभक्ति।" सरमा ने यह भी कहा कि पड़ोसी देश में कपड़ा उद्योग के पतन के कारण पिछले कुछ महीनों में बांग्लादेशी घुसपैठ में तेज़ी आई है, जिससे कई लोग बेरोज़गार हो गए हैं।
उन्होंने कहा कि अशांति के कारण बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो गई है और अल्पसंख्यक वर्ग की तुलना में बहुसंख्यक समुदाय के लोग ज़्यादा प्रभावित हुए हैं। सीएम ने कहा, "पिछले कुछ महीनों में हमने अब तक लगभग 1,000 बांग्लादेशी लोगों को गिरफ़्तार किया है। गिरफ़्तारी के तुरंत बाद उन्हें वापस भेज दिया गया।" उन्होंने अवैध घुसपैठ के लिए भारत में कुछ कपड़ा उद्योग मालिकों द्वारा दिए जाने वाले प्रोत्साहन को भी जिम्मेदार ठहराया। सरमा ने यह भी कहा कि उन्होंने पूर्वोत्तर परिषद (एनईसी) की बैठक के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के समक्ष बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा, "मैंने पूर्वोत्तर राज्यों के अन्य मुख्यमंत्रियों के साथ इन मुद्दों पर चर्चा की है।"
(आईएएनएस)
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Rani Sahu
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