नार्थ ईस्ट न्यूज़: भारतीय रेल ने हाल ही में भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने के उद्देश्य से 'भारत गौरव ट्रेन' योजना शुरू की है। थीम आधारित पर्यटक सर्किट ट्रेनें पर्यटन क्षेत्र के पेशेवरों की प्रमुख शक्तियों का लाभ उठाने के लिए चलाई जाएंगी। इस योजना के तहत, पंजीकृत सेवा प्रदाताओं को भारतीय रेल द्वारा 'भारत गौरव ट्रेनों' के 'उपयोग का अधिकार' मॉडल के तहत न्यूनतम दो वर्षों की अवधि और अधिकतम अवशिष्ट कोडल जीवन तक के लिए ट्रेन रेक प्रदान किए जाएंगे। सेवा प्रदाता के पास ट्रेन ब्रांडिंग, नामकरण और तीसरे पक्ष के विज्ञापन अधिकारों सहित थीम, मार्गों, यात्रा कार्यक्रम और टैरिफ सहित व्यापार मॉडल तय करने का अधिकार होगा। व्यस्ततम अवधि के दौरान, सेवा प्रदाता डिब्बों की अनुपलब्धता के संकट का सामना किए बिना पूर्ण प्रशुल्क दर (एफटीआर) ट्रेनों के लिए परेशानी मुक्त मांगें रख सकते हैं। इस संबंध में हाल ही में पूर्वोत्तर सीमा रेल (पूसीरे) मुख्यालय मालीगांव में पूसीरे अधिकारियों और सेवा प्रदाताओं एवं टूर ऑपरेटरों के बीच एक बैठक की।
पूसीरे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सब्यसाची डे ने बुधवार को बताया कि रेकों को लीज पर लेने के लिए सेवा प्रदाताओं एवं टूर ऑपरेटरों को कुछ वित्तीय शर्तों को पूरा करने की आवश्यकता होती है। इन शर्तों में एक लाख रुपये का पंजीकरण शुल्क (गैर-वापसी योग्य), एक करोड़ रुपये का रेक सुरक्षा जमा (वापसी योग्य), उपयोग करने का अधिकार शुल्क (प्रति कोच प्रति वर्ष), स्टेबलिंग चार्ज 1000 रुपये प्रति रेक प्रतिदिन और स्थायी ढुलाई शुल्क (प्रति कोच प्रति वर्ष) शामिल हैं। कोचों के सेट पर प्रति किमी परिचालन के लिए परिवर्तनीय शुल्क लागू होंगे। उन्होंने बताया कि वित्तीय प्रभावों के साथ-साथ सेवा प्रदाताओं एवं टूर ऑपरेटरों को 'भारत गौरव ट्रेन' योजना में भागीदारी के लिए अपनी पात्रता साबित करने के लिए दस्तावेज भी प्रदान करने की आवश्यकता है। दस्तावेजों में व्यक्तिगत पैन कार्ड (स्व-सत्यापित), साझेदारी प्रतिष्ठान - पंजीकरण का प्रमाणपत्र, कंपनी - निगमन प्रमाणपत्र, सोसायटी - सोसायटी पंजीकरण प्रमाणपत्र, ट्रस्ट - ट्रस्ट का पंजीकरण प्रमाणपत्र, संयुक्त उद्यम (अनिगमित / निगमित) - अनुबंध और या पंजीकरण कॉपी और कंसोर्टियम (अनिगमित / निगमित) - अनुबंध और या पंजीकरण प्रतियां शामिल हैं।
'भारत गौरव ट्रेन' योजना के तहत बोलीदाता 14-20 कोचों का विकल्प चुन सकते हैं, जिसमें दो लगेज कम गार्ड वैन (एसएलआर) शामिल हैं। रेकों का आवंटन सर्वभारतीय प्राथमिकता के आधार पर होगा। वैकल्पिक रूप से सेवा प्रदाताओं के पास इस उद्देश्य के लिए उत्पादन इकाइयों से सीधे नए कोचों की खरीद का विकल्प होता है। बोलीदाताओं की व्यवहार्यता के अनुसार गाड़ियों के मार्ग और समय-सारिणी के लिए योजनाएं भी तय की जा सकती हैं। सेवा प्रदाताओं को व्यापार मॉडल और टैरिफ तय करने की स्वतंत्रता होगी।