अरुणाचल प्रदेश

कुदरत ने जहाँ सब कुछ कर दिया न्योछावर, जाने जीरो वैली के बारे में

Admin2
9 May 2022 7:22 AM GMT
कुदरत ने जहाँ सब कुछ कर दिया न्योछावर, जाने जीरो वैली के बारे में
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जीरो वैली की नैसर्गिक सुंदरता कई फिल्म निर्माताओं को भी खूब आकर्षित करती रही है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क :अरुणाचल प्रदेश की खूबसूरत जीरो वैली की सिफारिश वर्ष 2012 में भारतीय पुरातत्व विभाग ने विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित किए जाने के लिए की थी। इस घाटी में सैर तथा देखने के लिए बहुत कुछ है। इनमें से ही एक स्थान है जीरो पुतु। इसे आर्मी पुतु भी कहते हैं। यहां चारों ओर हरियाली है जो महानगरों के शोरगुल से दूर शांत व कुदरत के बेहद करीब स्थित है।यहां पर एक सुंदर फार्म में अनूठे ढंग से बांस पैदा किए जाते हैं। यहां 'वन स्टैम बैम्बू' के साथ 'ब्ल्यू क्लैड पाइन' (चीड़ के पेड़ों की एक नस्ल) उगाए जाते हैं। हाइकर्स व पर्यटकों में बांस का यह बाग खासा मशहूर है। एक पहाड़ी पर स्थित यह बाग नीचे घाटी का शानदार नजारा भी पेश करता है। जीरो वैली की नैसर्गिक सुंदरता कई फिल्म निर्माताओं को भी खूब आकर्षित करती रही है।

घाटी की ओर मार्ग में सड़कों के दोनों ओर चीड़ के पेड़ दिखाई देते हैं। यहां तारिन फिश फार्म भी देखने लायक है जहां इतनी ऊंचाई पर मछली पालन किया जाता है।देश का यह उत्तर-पूर्वी क्षेत्र अपने वन्यजीव उद्यानों के लिए भी मशहूर है। ताले घाटी ऐसा ही एक उद्यान है जहां जैव विविधता हर किसी का मन मोह लेती है। यह जीरो घाटी से 32 किलोमीटर उत्तर-पूर्व की ओर है। यहां ऊष्णकटिबंधीय तथा पहाड़ी जंगलों के बीच जीव-जंतुओं तथा पेड़-पौधों की विविध प्रजातियां हैं। इसमें ट्रैकिंग के लिए भी अच्छे मार्ग हैं।
हापोली से 4 किलोमीटर दूर कारदो जंगल में एक 25 फुट ऊंचा और 22 फुट चौड़ा शिवलिंग भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। जैसा कि कहते हैं हर नई जगह की अपनी कहानी होती है, यहां मुझे डोलो व मांडो के प्रेम प्रसंग के बारे में सुनने को मिला। इनसे प्रेरित होकर हापोली से 2 किलोमीटर दूर जीरो घाटी के पश्चिम में डोलो मांडो नामक स्थान है। इसके करीब किले पाको नामक एक संकरी घाटी भी एक अच्छी जगह है जहां से जीरो घाटी तथा हिमालय की बर्फ से ढंकी चोटियां दिखाई देती हैं। जीरो घाटी में फूलों की खेती तथा आर्कड्स की कुछ दुर्लभ नस्लों की खेती होती है।ताले घाटी के अलावा ट्रैकिंग के लिए बोमडिला-तवांग क्षेत्र भी लोकप्रिय हैं। ट्रैकिंग के लिए सर्वोत्तम महीने मई व अक्तूबर हैं। इसके अलावा कुछ अन्य शानदार ट्रैकिंग मार्ग हैं- बोमडिला-सेप्पा, आलोंग-मैचुका, दापोरिजो-ताकसिंग, पासीघाट-तूतिंग, पासीघाट-मारीआंग और रामलिंगम व चाकू होते हुए बॉमडिला-दायमारा।
जीरो घाटी पर कुदरत ने जैसे अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया है। यहां पहुंचते ही प्रतीत होता है जैसे समय रुक गया हो। पहाड़ों के बीच से कठिन सफर के बाद घाटी में पहुंचते ही थकान अपने आप दूर हो जाती है। लगता है कि आप स्वर्ग में आ गए हों। घाटी में 'रिवर स्पोट्रस' में रुचि रखने वालों के लिए भी आकर्षणों की कमी नहीं है। सियांग नदी में राफ्टिंग का रोमांच ले सकते हैं। अन्य रिवर राफ्टिंग रूट्स में कामेंग, सुबांसिरी, दिबांग प्रमुख हैं।इलाके की मूल अपातनी जनजाति साल में 3 प्रमुख उत्सव म्योको, मुरूंग तथा ड्री मनाती है। सितम्बर के अंत में सर्द मौसम में यहां तीन दिवसीय जीरो म्यूजिक फैस्टिवल भी आयोजित होता है।
कब जाएं : घाटी की सैर का सबसे अच्छा वक्त मार्च के मध्य से जुलाई के मध्य तथा अक्तूबर से दिसम्बर है जब तापमान 10 से 15 डिग्री रहता है। जनवरी-फरवरी में बर्फबारी और जुलाई से सितम्बर के दौरान खूब बारिश होती है


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