अरुणाचल प्रदेश

मंत्री किरेन रिजिजू ने देश भर की अलग-अलग अदालतों में बड़ी संख्या में लंबित मामलों पर गहरी चिंता व्यक्त

Shiddhant Shriwas
25 Sep 2022 9:27 AM GMT
मंत्री किरेन रिजिजू ने देश भर की अलग-अलग अदालतों में बड़ी संख्या में लंबित मामलों पर गहरी चिंता व्यक्त
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बड़ी संख्या में लंबित मामलों पर गहरी चिंता व्यक्त
केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने देश भर की अलग-अलग अदालतों में बड़ी संख्या में लंबित मामलों पर गहरी चिंता व्यक्त की और सभी हितधारकों से लोगों को समय पर न्याय प्रदान करने के उपाय किए जाने का आह्वान किया। रिजिजू ने 'राष्ट्र के विकास में अधिवक्ताओं की भूमिका' विषय पर आयोजित एक सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा कि अधिवक्ताओं को राष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।
उन्होंने कहा कि लोगों को उनके कानूनी अधिकारों के बारे में जागरूक करने और उन्हें न्याय सुनिश्चित कराना वकीलों की जिम्मेवारी है। केंद्रीय मंत्री ने कहा, देश भर की अलग-अलग अदालतों में बड़ी संख्या में लंबित मामले हम सभी के लिए गहरी चिंता का विषय है। न्यायपालिका और सरकार दोनों को मामलों के बैकलॉग को कम करने और लोगों को न्याय सुनिश्चित करने के लिए आत्मनिरीक्षण करने की आवश्यकता है। एक वैकल्पिक विवाद निवारण प्रणाली समय की आवश्यकता है। जब वह कानून मंत्री बने थे तब लंबित मामलों की संख्या 4.25 करोड़ थी जो कोरोना महामारी के दौरान बढ़कर 4.80 करोड़ हो गई।
रिजिजू ने कहा कि केवल न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने से लंबित मामलों का बोझ कम करने में मदद नहीं मिलेगी। इस उद्देश्य के लिए एक मजबूत तंत्र विकसित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्होंने अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग में कुछ कमियां देखीं, जिन्हें दूर करने की आवश्यकता है। मंत्री ने कहा कि अदालतों में ढांचागत सुविधाओं में सुधार के लिए कुल 9000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। उन्होंने राज्य सरकारों से फास्ट ट्रैक कोर्ट को यथासंभव क्रियाशील बनाने के लिए हर संभव उपाय करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर न्यायपालिका के खिलाफ भद्दी टिप्पणियां करना किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं है। इस तरह के रुझानों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है। उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित ने कहा कि अधिवक्ताओं की प्राथमिकता सार्वजनिक महत्व का मुद्दा होना चाहिए। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने दांडी मार्च के दौरान नमक कानून का उल्लंघन करने का फैसला किया था, जो सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण था।
उन्होंने वकीलों से राष्ट्र के महान स्वतंत्रता सेनानियों से प्रेरणा लेने का आह्वान किया और कहा कि लोगों को न्याय सुनिश्चित करने के लिए वकीलों को अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करना चाहिए। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) और बिहार स्टेट बार काउंसिल द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में सर्वोच्च न्यायालय के कई न्यायाधीश, पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल, पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश और अधिवक्ता, बीसीआई के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा, राज्य के वरिष्ठ वकील प्रशांत प्रताप और पटना उच्च न्यायालय वकील संघों के अध्यक्ष वाई. सी. वर्मा उपस्थित थे।
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