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अरुणाचल प्रदेश की जनसंख्या से जुड़े आंकड़े, और ऐतिहासिक तथ्य
जनता से रिश्ता वेबडेस्क : 1. अरुणाचल प्रदेश लगभग 14 लाख की आबादी के साथ भारत का तीसरा सबसे कम आबादी वाला राज्य है। आबादी के मामले में सिर्फ मिजोरम और सिक्किम ही अरुणाचल प्रदेश से पीछे हैं।
2. अरुणाचल प्रदेश की 63 फीसदी आबादी 19 प्रमूख जनजातियों और 85 अन्य जनजातियों से संबंधित है। यहां की बाकी आबादी अप्रवासियों की है जिनके पूर्वज भारत के अन्य हिस्सों से आकर यहां बसे थे।
3. अगर अरुणाचल प्रदेश की जनसंख्या को धार्मिक नजरिए से देखा जाए तो राज्य की लगभग 30 प्रतिशत आबादी ईसाई धर्म को मानती है, तो वहीं 29 प्रतिशत हिंदू धर्म को और बाकी की अन्य धर्मों को।
4. अरुणाचल प्रदेश का प्राचीन इतिहास उपलब्ध नहीं है, फिर भी यहां पर हुई खुदाइयों से पता चला है कि हज़ारों सालों से लोग यहाँ रहते आ रहे है।
5. अरुणाचल प्रदेश का आधुनिक इतिहास 24 फरवरी 1826 को 'यंडाबू संधि' होने के बाद असम में ब्रिटिश शासन लागू होने के बाद से प्राप्त होता है।
6. सन 1913-14 में ब्रिटिश सरकार, चीन और तिब्बत के बीच शिमला समझौता हुआ जिसके तहत ब्रिटिश भारत और तिब्बत के बीच मैकमोहन रेखा सीमा के तौर पर खींची गई। इस समझौते में तिब्बत ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग क्षेत्र को ब्रिटिश भारत को दे दिया। पर चीन ने इस समझौते को मानने से इंकार कर दिया।
7. 1950 में जब चीन ने तिब्बत पर कब्जा कर लिया तो उसने तिब्बत को अपना हिस्सा बताना शुरू कर दिया। इसके बाद वो भारत के अधिकार में स्थित तवांग क्षेत्र पर भी दावा करने लगा क्योंकि उसके अनुसार वो तिब्बत का हिस्सा था और तिब्बत अब उसके अधीन है। भारत ने इस दावे को खारिज कर दिया क्योंकि तवांग क्षेत्र आजाद भारत का एक हिस्सा था।
8. 1962 के भारत – चीन युद्ध के समय चीनी सेना ने तवांग समेत अरुणाचल प्रदेश के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया था, पर स्थानीय लोगों के विरोध के कारण युद्ध समाप्ति के पश्चात चीनी सेना को वापिस जाना पड़ा।
9. सन 1954 में इस राज्य को 'नार्थ-ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी' (नेफा) के नाम दिया गया था। आजादी से लेकर सन 1965 तक यह असम राज्य का एक हिस्सा था पर सामरिक महत्व के कारण यहां के प्रशासन की देखभाल विदेश मंत्रालय करता था