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आंध्र प्रदेश
जानिए मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग से जुड़ी खास बातें
Ritisha Jaiswal
23 Feb 2022 3:38 PM GMT
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प्रमुख 12 ज्योतिर्लिंगों में मल्लिकार्जुन (Mallikarjun Jyotirlinga) का स्थान दूसरा है। यह ज्योतिर्लिंग आन्ध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के कृष्णा जिले में कृष्णा नदी (Krishna river) के तट पर श्रीशैल (Mount Srisailam) नामक पर्वत पर स्थित है
प्रमुख 12 ज्योतिर्लिंगों में मल्लिकार्जुन (Mallikarjun Jyotirlinga) का स्थान दूसरा है। यह ज्योतिर्लिंग आन्ध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के कृष्णा जिले में कृष्णा नदी (Krishna river) के तट पर श्रीशैल (Mount Srisailam) नामक पर्वत पर स्थित है। शिवपुराण (Shiva Mahapuran) के अनुसार, मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग शिव तथा पार्वती दोनों का संयुक्त स्वरूप है। मल्लिका का अर्थ पार्वती और अर्जुन शब्द भगवान शिव के लिए प्रयोग किया गया है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, जो मनुष्य इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करता है, वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है तथा उसे सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।
कैसे हुई इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना?
शिवपुराण के अनुसार, एक बार माता पार्वती और भगवान शिव के मन में अपने दोनों पुत्रों कार्तिकेय व श्रीगणेश के विवाह का विचार आया। यह जान कर कार्तिकेय व श्रीगणेश पहले विवाह करने की जिद करने लगे। तब भगवान शिव व माता पार्वती ने उनके सामने शर्त रखी कि तुम दोनों में से जो पहले पृथ्वी की परिक्रमा कर लौटेगा, उसी का विवाह पहले होगा।
यह सुनते ही कार्तिकेय पृथ्वी की परिक्रमा करने चल दिए, लेकिन श्रीगणेश ने वहीं पर शिव-पार्वती की परिक्रमा कर यह सिद्ध कर दिया कि माता-पिता में ही संपूर्ण सृष्टि विराजमान है। इस प्रकार श्रीगणेश अपनी बुद्धि से वह शर्त जीत गए और उनका विवाह पहले हो गया। जब यह बात कार्तिकेय को पता चली तो वे बहुत क्रोधित हुए और शिव-पार्वती के रोकने पर भी क्रौंच पर्वत पर चले गए।
शिव व पार्वती के अनुरोध करने पर भी कार्तिकेय नहीं लौटे तथा वहां से 12 कोस दूर चले गए। कार्तिकेय के यूं रूठ कर चले जाने से माता पार्वती को बहुत दु:ख हुआ। तब अपनी प्रिय पत्नी को सुख देने के उद्देश्य से भगवान शिव पार्वती को साथ लेकर अपने एक अंश से क्रौंच पर्वत पर गए और मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रतिष्ठित हो गए।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग से जुड़ी खास बातें
1. इस ज्योतिर्लिंग को दक्षिण का कैलाश कहते हैं और यह भगवान शिव के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है।
2. मल्लिकार्जुन मंदिर के पीछे पार्वती का मंदिर है। जहां पर पार्वती मल्लिका देवी के नाम से स्थित है।
3. मान्यता है कि आदि शंकराचार्य ने जब इस मंदिर की यात्रा की, तभी उन्होंने शिवनंद लहरी की रचना की थी।
4. शिवपुराण के अनुसार, पुत्र स्नेह के कारण शिव-पार्वती प्रत्येक पर्व पर कार्तिकेय को देखने के लिए जाते हैं। अमावस्या के दिन स्वयं भगवान शिव वहां जाते हैं और पूर्णिमा के दिन माता पार्वती जाती हैं।
5. मंदिर के समीप ही कृष्णा नदी बहती है, जिसे पाताल गंगा भी कहा जाता है। पाताल गंगा जाने के लिए मंदिर के कुछ दूरी पर लगभग 850 सीढ़ियां उतरनी पड़ती है। मंदिर में प्रवेश करने से पहले यहां स्नान करने का महत्व है।
कैसे पहुंचें?
हवाई मार्ग: सड़क के जरिए श्रीसैलम पूरी तरह से जुड़ा हुआ है। विजयवाड़ा, तिरुपति, अनंतपुर, हैदराबाद और महबूबनगर से नियमित रूप से श्रीसैलम के लिए सरकारी और निजी बसें चलाई जाती हैं।
सड़क मार्ग: श्रीसैलम से 137 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैदराबाद का राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है। यहां से आप बस या फिर टैक्सी के जरिए मल्लिकार्जुन पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग: यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन मर्कापुर रोड है जो श्रीसैलम से 62 किलोमीटर की दूरी पर है।
Ritisha Jaiswal
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