आंध्र प्रदेश

क्या बिजली संकट के कारण ठप होने की कगार पर है टेक्सटाइल और सीमेंट इंडस्ट्री ?

Ritisha Jaiswal
8 May 2022 4:26 PM GMT
क्या बिजली संकट के कारण ठप होने की कगार पर है टेक्सटाइल और सीमेंट इंडस्ट्री ?
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देश में पिछले कुछ दिनों से लोग भीषण गर्मी के बीच बिजली संकट (Power Crisis) से जूझ रहे हैं

देश में पिछले कुछ दिनों से लोग भीषण गर्मी के बीच बिजली संकट (Power Crisis) से जूझ रहे हैं. इसी बीच आंध्र प्रदेश में भी अब इसका खास असर मजदूरों पर पड़ रहा रहा है. बता दें प्रकाशम जिले में, चार मित्र और प्रवासी श्रमिक राजेश, केएन नायक, रघु और राम सिंह पिछले पांच वर्षों से चिमाकुर्ती ग्रेनाइट (Granite) उद्योग में काम कर रहे हैं. हालांकि, सरकार द्वारा बिजली संकट (Power Cut Off) के कारण उद्योगों पर भार-राहत के उपाय लागू करने के बाद, उनकी कमाई पर असर पड़ा है क्योंकि काम के घंटे कम कर दिए गए हैं. इसके बाद उन्होंने राजस्थान (Rajasthan) में अपने गृहनगर वापस जाने का फैसला किया है. राजेश ने बताया, 'मैं लगभग पांच साल पहले चिमाकुर्ती आया था और तब से मैं यहाँ एक पॉलिशिंग मशीन ऑपरेटर के रूप में काम कर रहा हूँ. मैं लगभग `80,000 प्रति महीना कमाता था. लेकिन पिछले कुछ महीनों से, मुझे इसका आधा ही भुगतान किया गया है, यह राशि उनकी जरूरतों के लिए और घर वापस भेजने के लिए पर्याप्त नहीं है.'

वहीं इससे पहले अप्रैल के पहले हफ्ते में, राज्य सरकार ने आपूर्ति और मांग में बढ़ते अंतर के कारण उद्योगों के लिए बिजली के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था. उद्योगों को साप्ताहिक छुट्टी के अलावा एक दिन के बिजली अवकाश पर जाने को कहा गया था। उन्हें सिर्फ 12 घंटे काम करने की इजाजत थी. हफ्ते में केवल पांच दिन, वह भी प्रतिबंधित काम के घंटों और अनौपचारिक बिजली कटौती के साथ, श्रमिकों के साथ-साथ प्रबंधन को भी कठिन समय का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन फेरो अलॉयज, टेक्सटाइल्स, सीमेंट और स्टील मेल्टिंग इंडस्ट्रीज (फाउंड्री) जैसे बिजली-गहन इंडस्ट्री के लिए प्रभाव काफी अधिक है.
बिजली संकट के बीच सरकार का आरोप-प्रत्यारोप
ग्रेनाइट प्रसंस्करण उद्योग के मालिक रामी रेड्डी ने टीएनआईई को बताया कि हम बिजली के उपयोग पर प्रतिबंधों के साथ बहुत कठिन समय का सामना कर रहे हैं. काम के घंटे, साथ ही व्यापार कारोबार में भारी गिरावट आई है और वर्तमान प्रतिकूल स्थिति के कारण कई यूनिट बंद होने के कगार पर हैं. ग्रेनाइट उद्योग कोई अकेला मामला नहीं है. प्रतिबंधित बिजली का उपयोग अन्य बिजली-उद्योगों पर भी गहरा असरल डाल रहा है.
इस समय पूरे देश में बिजली की मांग रिकॉर्ड ऊंचाइयों पर हैं. वहीं केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच भी बिजली को लेकर नोकझोंक जारी है. एक तरफ जहां केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय राज्यों में बिजली संकट के लिए उनके कोयला आयात को लेकर 'लचर' रवैये को जिम्मेदार ठहरा रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ राज्य महंगे कोयले और ढुलाई को दोष दे रहे हैं. विपक्ष भी ऐसे में कहां चूकने वाला है और बिजली संकट पर केंद्र को लगातार घेरने में लगा है.


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