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मौत के बाद जमींन भी नसीब नहीं
90 साल की महिला की मौत होने पर घरवालों ने शव को सार्वजनिक श्मशान में दफना दिया। गांव के दबंगों ने घरवालों को धमकाया- अगर शव को दूसरी जगह नहीं दफनाया तो हुक्का-पानी और रास्ता बंद कर देंगे। डर के मारे घरवालों ने शव को JCB से बाहर निकाला और खुद के खेत में दफना दिया। मामला बाड़मेर के सदर इलाके का है। मामला रामसर कुआ ग्राम पंचायत का है। यह गांव बाड़मेर शहर से 30 किलोमीटर की दूरी पर है। गांव की कुल आबादी 2 हजार के करीब है। रामसर कुआ निवासी अणसी देवी (90) पत्नी लाखाराम ढाढी बीमार थी। 27 जून को वृद्धा की मौत हो गई। घरवालों ने उसके शव को गांव के सार्वजनिक श्मशान घाट में ले जाकर दफना दिया।
29 जून को गांव वालों को इसकी भनक लगी तो विरोध शुरू कर दिया। उन्होंने अणसी देवी के घरवालों को बुलाया और दफनाए शव को श्मशान घाट से ले जाने का दबाव बनाया। पीड़ित परिवार को कहा- शव बाहर नहीं निकाला तो तुम्हारा गांव में हुक्का-पीना और रास्ता बंद करवा देंगे।मृतका के पोते गणपत ने बताया कि लोगों ने कहा- शव को यहां से लेकर अपने खेत में या घर में दफना दो नहीं तो तुम्हारा गांव में हुक्का- रास्ता और रास्ता बंद करवा देंगे। इसके बाद गुरुवार काे JCB से दफनाए शव को मिट्टी समेत ट्रैक्टर-ट्रॉली में डाला और खुद के खेत में ले जाकर दफनाया है।
पोता बोला: कोई सुनवाई नहीं हुई
पोते जोगेंद्र ने बताया कि मौत के बाद ग्रामीणों ने विरोध शुरू कर दिया था। पोते ने दावा किया- इस घटना के बाद गुरुवार शाम को बाड़मेर तहसीलदार को कॉल किया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। बाड़मेर SDM समुद्र सिंह भाटी से बात की तो बताया कि उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। पता करके कार्रवाई करेंगे। इधर, परिवार ने बताया कि अणसी देवी गांव में लंबे समय से ढोल बजाने का काम करती थी। गांव में शादी से लेकर बच्चे के जन्म तक अणसी देवी को बुलाया जाता था, लेकिन मरने के बाद गांव वालों ने जमीन तक नसीब नहीं होने दी।
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