देश में करीब 72 फीसदी जिले अत्यधिक बाढ़ की घटनाओं के संपर्क में आते हैं लेकिन उनमें से केवल 25 फीसदी में ही स्तर के बाढ़ पूर्वानुमान केंद्र या पूर्व चेतावनी प्रणालियां हैं। एक नई रिपोर्ट में गुरुवार को यह जानकारी दी गई।
स्वतंत्र नीति अनुसंधान थिंक टैंक 'द काउंसिल ऑन एनर्जी एनवायरनमेंट एंड वाटर' की रिपोर्ट के मुताबिक, बाढ़ के उच्च जोखिम के बावजूद बाढ़ की प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (ईडब्ल्यूएस) के मामले में असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्य हैं।
रिपोर्ट से पता चला है कि हिमाचल प्रदेश ईडब्ल्यूएस की सबसे कम उपलब्धता वाले राज्यों में से एक है। दूसरी ओर, उत्तराखंड अत्यधिक बाढ़ की घटनाओं के संपर्क में है, लेकिन बाढ़ ईडब्ल्यूएस की उच्च उपलब्धता है। हिमाचल अभी बड़े पैमाने पर बाढ़ से जूझ रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यमुना के उफान पर आने से दिल्ली भीषण बाढ़ की चपेट में है। यह अत्यधिक बाढ़ के संपर्क में है और ईडब्ल्यूएस के जरिए इसमें मध्यम स्तर का लचीलापन है। भारत में 66 फीसदी व्यक्ति अत्यधिक बाढ़ की घटनाओं के संपर्क में हैं। हालांकि, उनमें से केवल 33 फीसदी ही बाढ़ की प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली द्वारा कवर किए गए हैं। इसके अलावा 25 फीसदी भारतीय आबादी चक्रवातों और उनके प्रभावों के संपर्क में है। हालांकि, चक्रवात की चेतावनी 100 फीसदी आबादी के लिए उपलब्ध है।
रिपोर्ट में कहा गया है, जिला स्तर के विश्लेषण से पता चला है कि भारत के 72 फीसदी जिले अत्यधिक बाढ़ की घटनाओं के संपर्क में हैं, लेकिन इन जिलों में से केवल 25 फीसदी में स्तर के बाढ़ पूर्वानुमान केंद्र हैं। इसका मतलब है कि भारत में दो-तिहाई लोग अत्यधिक बाढ़ की घटनाओं के संपर्क में हैं, और उनमें से केवल एक-तिहाई में बाढ़ ईडब्ल्यूएस है।
सीईईडब्ल्यू के अनुसार, 12 राज्य (उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, असम, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक, गोवा, बिहार) अत्यधिक बाढ़ की घटनाओं से प्रभावित हैं। हालांकि, केवल तीन उत्तर प्रदेश, असम और बिहार में बाढ़ की पूर्व चेतावनी प्रणाली की उच्च उपलब्धता है।