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युवा हो जाएं सावधान, रीढ़ की यह बीमारी कर सकती है परेशान

Kajal Dubey
7 May 2023 1:18 PM GMT
युवा हो जाएं सावधान, रीढ़ की यह बीमारी कर सकती है परेशान
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एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करने वाले गठिया के दर्द) से बहुत से लाेग परेशान हैं. वर्ल्ड एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस डे (4 मई) काे चलिए समझते हैं क्या है एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस? किन लाेगाें काे परेशान करती है यह बीमारी? कैसे राहत मिल सकती है इससे?
क्या है एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस?
एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (एएस) लगातार बनी रहने वाली सूजन और प्रतिरोधक तंत्र में गड़बड़ी की बीमारी है, जो रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करती है. एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस एक तरह का आर्थराइटिस यानी गठिया है, जिसका असर रीढ़ की हड्‍डी पर होता है. इसका शुरुआती लक्षण है गर्दन के नीचे से कमर तक रीढ़ की हड्‍डी में अकड़न. रीढ़ की हड्डियों के मनके फ़्यूज़ होकर मिल जाते हैं, जिससे रीढ़ को नुक़सान पहुंचता है. मरीज़ का पॉश्चर ख़राब हो जाता है.
एएस में रीढ़ की हड्डी का जरूरत से ज्यादा विकास होता है, जिसके एक साथ मिलने से रीढ़ की हड्डी बहुत सख़्त हो जाती है. यह बीमारी प्रति 100 वयस्काें में से एक को होती है. एएस सामान्य रूप से वयस्काें को ज्यादा प्रभावित करती है. यह बीमारी ख़ासतौर पर टीनएजर्स काे अपना शिकार बनाती है. 20 से 30 साल की उम्र के लाेगाें काे भी एएस का ख़तरा हाेता है. यदि समस्या को समय रहते पहचान लिया गया तो दर्द और अकड़न को कंट्रोल किया जा सकता है.
क्याें है यह ख़तरनाक?
सबसे बुरी बात यह है कि ज़्यादातर लाेगाें काे अपनी एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस की बीमारी का पता ही नहीं हाेता. चूंकि एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस से युवा अधिक प्रभावित हाेते हैं. उनमें से कई मरीज़ों को तो अंदाजा ही नहीं हाेता कि उन्हें इस तरह की बीमारी हाे सकती है. वे इस तरफ़ ध्यान देने में काफ़ी वक़्त लगा देते हैं. अब चूंकि उन्हें देर से अपनी इस बीमारी का पता चलता है, जिससे उनकी शारीरिक स्थिति और बदतर हो जाती है. इससे मरीजों पर भावनात्मक स्तर पर भी काफ़ी प्रभाव पड़ता है, जिससे उनके अपने पार्टनर और रिश्तेदारों से भी संबंध प्रभावित होते हैं. शारीरिक और भावनात्मक रूप से दर्द महसूस होने के कारण एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस के मरीज़ बीमारी के बढ़ने के साथ-साथ शारीरिक और भावनात्मक रूप से कई तरह की चुनौतियों का अनुभव करते हैं.
मुंबई के क्‍वेस्ट क्लीनिक के कंसल्‍टेंट फ़िज़िशियन डॉ सुशांत शिंदे के मुताबिक़,“बदक़िस्मती से भारत में एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस के मरीज़ों को काफ़ी देर से अपनी इस बीमारी का पता चलता है और वह इस बीमारी के होने के काफ़ी समय के बाद डॉक्टर या गठिया रोग के विशेषज्ञ के पास जाते हैं. मुझे अपने डॉक्टरी जीवन के दौरान यह अनुभव हुआ है कि अमूमन मरीज़ इस बीमारी के होने के 3 से 5 साल या उससे भी अधिक समय बाद डॉक्टर के पास इलाज के लिए जाते हैं. यही कारण है कि उनकी बीमारी, जाे शुरू में ही कंट्राेल हाे सकती थी, उन्हें काफ़ी परेशान करती है. वैसे बता दें कि एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस के मरीजों के इलाज के लिए कई प्रभावी विकल्प मौजूद हैं. हां, इसका इलाज लंबे समय तक चलता है. परंपरागत इलाज से ठीक न होने वाले मरीज़ों के इलाज में कुछ नई दवाइयां जैसे बायोलॉजिकल थेरैपी कारगर साबित हुई हैं और उसके काफ़ी बेहतर परिणाम देखने में सामने आए हैं.’’
क्या करें यदि पार्टनर काे हाे एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस
युवा लाेगाें काे अचानक हाेनेवाली यह बीमारी अक्सर युवा दम्पतियाें की ज़िंदगी तबाह कर देती है. इस बीमारी से मरीज़ ताे परेशान हाेता ही है. घरवाले भी मानसिक रूप से प्रभावित हाेते हैं. वहीं मरीज़ पर दवाइयां ताे अपना असर करती ही हैं, पार्टनर का भावनात्मक सपाेर्ट भी अहम‌् हाेता है. ताे जानें, क्या कर सकते हैं यदि पार्टनर काे है एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस.
* आपको यह समझना चाहिए कि साथी को भावनात्मक साथ की ज़रूरत है
आपके लिए यह समझना बहुत ज़रूरी है कि कब आपके साथी को मदद की ज़रूरत है और कब वह स्वतंत्र रहना चाहते हैं. आपको यह समझना चाहिए कि वह इस प्रक्रिया में आपसे किस तरह की मदद चाहते हैं. आप किस समय उनकी मदद बिना किसी झिझक और अपराधबोध के कर सकते हैं. शारीरिक विकलांगता के कारण आपके साथी, जो काम न कर सकते हों, उन शारीरिक कार्यों में उनकी मदद करने से जहां आपका तनाव कम होगा, वहीं संबंधों में भी नई ऊर्जा और उमंग का संचार होगा. इससे आपके पार्टनर को भी यह लगेगा कि केवल आप उनकी मदद नहीं कर रहे हैं, बल्कि आप रोमैंटिक रूप से उनके साथ जुड़े हुए हैं.
* पार्टनर के दर्द और उनके ठीक होने की प्रगति का ट्रैक रिकॉर्ड रखिए
कई मौक़े ऐसे आते हैं, जब एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (एस) के मरीज़ निराशा, अवसाद और डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं. इस स्थिति में आपका एक साथी के तौर पर प्रोत्साहन और विश्वास उनका आप में प्यार और विश्वास पुख़्ता करने में मदद करेगा. आपको एक डायरी रखनी होगी, जिसमें आपको यह लिखना होगा कि आपके साथी को कब बेतहाशा दर्द हुआ और किन दिनों में उन्हें अपने दर्द से राहत मिली. आपको यह भी हिसाब रखना होगा कि कौन-सी दवाइयां उनके इलाज में कारगर साबित हुईं. आपको यह अच्छी तरह पता होना चाहिए कि आपके पार्टनर डॉक्टर की ओर से तय किए गए डाइट चार्ट के अनुसार स्वस्थ भोजन ले रहे हैं या नहीं. जब वह डॉक्टर के पास जाते हैं तो आप भी उनके साथ जाइए. आपको यह भी समझना होगा कि आपके पार्टनर को कब काउंसलिंग की ज़रूरत है. आपको अपना पार्टनर को यह यह भी बताना और समझाना होगा कि वह एएस की बीमारी से धीरे-धीरे उबर रहे हैं. कभी-कभी उनके लिए छोटे-मोटे जश्न या पार्टी भी आयोजित करनी होगी, जिससे उन्हें यह लगेगा कि आपके लिए वे स्पेशल हैं.
* पार्टनर के प्रति अपने प्यार को बार-बार जताना होगा
उनकी स्थिति के बावजूद उनके पास रहना और उनके साथ स्वस्थ संबंध रखना आपके लिए संभव होगा. दोनों पार्टनर को यह स्वीकार करना होगा कि उनकी प्रगाढ़ता अब पहले जैसी नहीं रहेगी. वह अपनी सुविधा के अनुसार आपस में यह फ़ैसला कर सकता है, कि कौन-सी स्थिति एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस से ग्रस्त उनके साथी के लिए ठीक होगी.
* बातचीत कर निकालें समाधान
आपस में बातचीत न होने से कोई भी संबंध ख़राब हो सकता है, लेकिन तब यह स्थिति और भी ज़्यादा गंभीर होने की संभावना होती है, जब एक पार्टनर एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस से जूझ रहा हो. आप अपने पार्टनर की मदद कीजिए, जिससे वह अपनी भावनाएं खुलकर आपसे शेयर कर सकें और उनके साथ मिलकर ऐसी योजना बनाइए कि कैसे आप उनकी स्थिति को बेहतर ढंग से मैनेज करने के लिए उनके साथ मिलकर काम कर सकते हैं.
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