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योगासन जो गर्दन में टेंशन की समस्या को दूर कर सकते हैं

Kajal Dubey
1 May 2023 1:22 PM GMT
योगासन जो गर्दन में टेंशन की समस्या को दूर कर सकते हैं
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गर्दन का दर्द बहुत सामान्य है और ये कई वजहों से हो सकता है।
इनमें तमाम दैनिक गतिविधियां भी शामिल हैं जो आगे की तरफ झुक कर बार-बार किए जाने वाले काम जैसे डेस्क जाॅब, बैड पोस्चर या आपके सिर को एक स्थिति में लंबे समय तक रखने की वजह से भी हो सकता है।
यह आपके शरीर के इस क्षेत्र में दर्द को विकसित करने के लिए बहुत कुछ नहीं करता है, और उस दर्द को आपके कंधों और पीठ तक आसानी से फैला सकता है। गर्दन के दर्द से सिरदर्द हो सकता है और चोट भी लग सकती है।
गर्दन के दर्द से छुटकारा पाने के लिए योग का अभ्यास एक उत्कृष्ट तरीका है। एक स्टडी में भी पाया गया है कि, 9 हफ्ते तक योग करने वाले लोगों को दर्द से राहत और कामकाज में सुधार देखा गया। अभ्यास के माध्यम से, आप अपने शरीर में मौजूद किसी भी तनाव को कम करना सीख सकते हैं।
गर्दन के पुराने दर्द के इलाज में भी योग उपयोगी हो सकता है। भारत के महान योग गुरुओं ने गर्दन में दर्द की समस्या को ठीक करने के लिए कई योगासनों का निर्माण किया है। इन योगासनों का अभ्यास न सिर्फ आसान है बल्कि ये शरीर के अन्य अंगों के लिए भी फायदेमंद साबित होते हैं।
इसलिए, इस आर्टिकल में हम आपको गर्दन के दर्द से छुटकारा दिलाने वाले 5 योगासनों के बारे में जानकारी देंगे। इन योगासनों के नियमित अभ्यास से आप भी गर्दन में दर्द की समस्या से स्थायी रूप से राहत पा सकते हैं।
गर्दन के दर्द के लिए योगासन (Yoga Poses For Neck Pain) :
उत्तानासन (Uttanasana)
वीरभद्रासन-2 (Virabhadrasana 2)
उत्थित त्रिकोणासन (Utthita Trikonasana)
गोमुखासन (Gomukhasana)
अर्ध मत्स्येन्द्रासन (Ardha Matsyendrasana)
गर्दन के दर्द के लिए योगासन (Yoga Poses For Neck Pain) :
1. उत्तानासन (Uttanasana)
उत्तानासन मध्यम कठिनाई वाला हठ योग की शैली का आसन है। इसे करने की अवधि 15 से 30 सेकंड के बीच होनी चाहिए। इसमें किसी दोहराव की आवश्यकता नहीं होती है।
उत्तानासन के अभ्यास के समय सिर को घुटनों के पास लेकर जाना होता है। इससे गर्दन की मांसपेशियों पर दबाव बढ़ता है और इसमें लचीलापन बढ़ने से दर्द की समस्या भी कम होती जाती है।
उत्तानासन करने की विधि :
योग मैट पर सीधे खड़े हो जाएं और दोनों हाथ हिप्स पर रख लें।
सांस को भीतर खींचते हुए घुटनों को मुलायम बनाएं।
कमर को मोड़ते हुए आगे की तरफ झुकें।
शरीर को संतुलित करने की कोशिश करें।
हिप्स और टेलबोन को हल्का सा पीछे की ओर ले जाएं।
धीरे-धीरे हिप्स को ऊपर की ओर उठाएं और दबाव ऊपरी जांघों पर आने लगेगा।
अपने हाथों से टखने को पीछे की ओर से पकड़ें।
आपके पैर एक-दूसरे के समानांतर रहेंगे।
आपका सीना पैर के ऊपर छूता रहेगा।
सीने की हड्डियों और प्यूबिस के बीच चौड़ा स्पेस रहेगा।
जांघों को भीतर की तरफ दबाएं और शरीर को एड़ी के बल स्थिर बनाए रखें।
सिर को नीचे की तरफ झुकाएं और टांगों के बीच से झांककर देखते रहें।
इसी स्थिति में 15-30 सेकेंड तक स्थिर बने रहें।
जब आप इस स्थिति को छोड़ना चाहें तो पेट और नीचे के अंगों को सिकोड़ें।
सांस को भीतर की ओर खींचें और हाथों को हिप्स पर रखें।
धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठें और सामान्य होकर खड़े हो जाएं।
2. वीरभद्रासन-2 (Virabhadrasana 2)
वीरभद्रासन-2 को बिगिनर लेवल या आसान आसन माना जाता है। इसे ​विन्यास शैली में किया जाता है। इसे एक टांग पर 30 सेकंड तक करने की सलाह दी जाती है। इसका दोहराव सिर्फ एक बार ही किया जाता है।
वीरभद्रासन-2 के नियमित अभ्यास से स्पाइन, पीठ और गर्दन में होने वाली सूजन और दर्द में आराम मिलता है। लोअर बैक के चारों तरफ स्थित मांसपेशियों में स्ट्रेचिंग और हिप्स के लचीलेपन से लोअर बैक के साथ ही गर्दन की मसल्स में भी दर्द को फैलने का मौका मिलता है।
ये मसल्स के कड़ापन और सूजन को कम करने में भी मदद करता है। इससे योगी को न​ सिर्फ पीठ के दर्द बल्कि गर्दन के मूवमेंट में होने वाले दर्द से भी राहत मिलती है।
वीरभद्रासन-2 करने की विधि :
योग मैट पर एकदम सीधे खड़े हो जाएं।
दोनों टांगों को 3-4 फीट फैला लें।
दाएं पैर को बाहर की तरफ 90 डिग्री के कोण पर मोड़ें।
बाएं पैर को अंदर की तरफ 15 डिग्री के कोण पर मोड़ें।
ध्यान रखें कि दाएं पैर की एड़ी बाएं पैर के बीच वाले हिस्से की सीध में हो।
हाथों को साइड में कंधे के लेवल तक ऊपर की तरफ उठाएं।
हथेली ऊपर की तरफ रहेगी।
दोनों हाथ जमीन के समानांतर रहेंगे।
गहरी सांस भीतर की ओर खींच लें।
सांस छोड़ते हुए दाएं घुटनों को मोड़ें।
ध्यान रखें, दायां घुटना टखने से बाहर नहीं जाएगा।
दायां घुटना और दायां टखना एक सीधी रेखा में रहेंगे।
अब, धीरे-धीरे सिर को मोड़ें और अपनी दायीं तरफ देखें।
शरीर को संतुलित करें। विश्राम करते हुए सहज होते जाएं।
अब हाथों को स्ट्रेच करें और धीरे-धीरे पेल्विस को नीचे दबाएं।
चेहरे पर मुस्कान बनाए रखें और लगातार सांस लेते रहें।
गहरी सांस लेते हुए आसन से बाहर आ जाएं।
सांस छोड़ते हुए हाथों को नीचे कर लें।
इसी आसन को बाएं पैर के साथ दोहराएं।
बाएं पैर को बाहर की तरफ 90 डिग्री के कोण पर मोड़ें।
दाएं पैर को भीतर की तरफ 15 डिग्री के कोण पर मोड़ें।
3. उत्थित त्रिकोणासन (Utthita Trikonasana)
उत्थित त्रिकोणासन (Utthita Trikonasana) को अंग्रेजी भाषा में Extended Triangle Pose भी कहा जाता है। उत्थित त्रिकोणासन का अभ्यास 30 से 60 सेकंड तक करने की सलाह दी जाती है। इसके अभ्यास में एक बार दोहराव किया जा सकता है।
उत्थित त्रिकोणासन के निरंतर अभ्यास से टखने, जांघ और घुटने मजबूत हो जाते हैं। इससे टखने, ग्रोइन, जांघ, कंधे, घुटने, हिप्स, पिंडलियों, हैमस्ट्रिंग, थोरैक्स और पसलियों पर खिंचाव पड़ता है।
उत्थित त्रिकोणासन योग का अभ्यास डेस्क जाॅब करने वालों को भी करने की सलाह दी जाती है। इसके नियमित अभ्यास से शरीर में लचीलापन बढ़ता है। ये गर्दन की मांसपेशियों में भविष्य में भी कोई समस्या होने से रोकने में मदद करता है।
उत्थित त्रिकोणासन करने की विधि :
योग मैट पर सीधे खड़े हो जाएं।
दोनों पैरों के बीच में 3.5 से लेकर 4 फीट तक गैप कर लें।
दाहिना पैर 90 डिग्री पर बाहर की ओर हो और बाएं पैर को 15 डिग्री पर रखें।
अपनी दाहिने एड़ी के केंद्र बिंदु को बाएं पैर के आर्च के केंद्र की सीध में रखें।
ध्यान रहे कि आपका पैर जमीन को दबा रहा हो।
शरीर का वजन दोनों पैरों पर एक समान रूप से पड़ रहा हो।
गहरी सांस लें और धीरे-धीरे छोड़ते जाएं।
सांस छोड़ते हुए शरीर को हिप्स के नीचे से दाहिनी तरफ मोड़ें।
शरीर को मोड़ते समय कमर एकदम सीधी रहेगी।
बाएं हाथ को ऊपर उठाएं और दाहिने हाथ से जमीन को स्पर्श करें।
दोनों हाथ मिलकर एक सीधी लाइन बनाएंगे।
दाहिने हाथ को पिंडली, टखने या जमीन पर टिके दाहिने पैर पर रखें।
हाथ चाहे जहां रहे, लेकिन कमर की साइड नहीं बिगड़नी चाहिए।
बायां हाथ कंधे के ऊपर छत की तरफ खिंचा रहेगा।
सिर को सामान्य स्थिति में बने रहें या फिर बायीं तरफ मोड़ कर रखें।
आदर्श स्थिति में आपकी दृष्टि बायीं हथेली पर जमी रहेगी।
शरीर बगल की तरफ झुका रहे, न तो आगे और न ही पीछे की ओर।
आपका सीना और पेल्विस चौड़ा और खुला रहना चाहिए।
जितना हो सके स्ट्रेच करें और शरीर को स्थिर बनाए रखने पर फोकस करें।
लंबी और गहरी सांस लेते रहें।
सांस छोड़ने के साथ ही शरीर को ज्यादा रिलैक्स महसूस करें।
गहरी सांस भीतर खींचते हुए शरीर को ढीला छोड़ दें।
हाथों को साइड्स में ​लगाएं और पैरों को सीधा करें।
अब इसी प्रक्रिया को बाएं पैर के साथ भी दोहराएं।
4. गोमुखासन (Gomukhasana)
गोमुखासन के अभ्यास से आप बहुत सारी परेशानियों से छुटकारा पा सकते हैं जैसे कंधे की जकड़न, गर्दन में दर्द, तथा सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस।
इस आसन को करने में व्यक्ति की स्थिति गाय के समान दिखाई देती है। योग का यह आसन करने में बहुत ही सरल है। यह हठ योग की श्रेणी में सबसे प्रचलित आसन है।
वजन को कम करने के लिए और अपने शरीर को सुंदर बनाने के लिए यह आसन बहुत ही फायदेमंद होता है। गोमुखासन हमारे कंधों और जांघों की मांसपेशियों को मजबूत करता है।
गोमुखासन करने की विधि :
योग मैट पर सुखासन या क्रॉस पैर वाली मुद्रा में बैठ जाएं।
बाएं पैर को अपने शरीर की ओर खींच के उसे अपने पास ले आएं।
दायें पैर को बाएं पैर की जांघों के ऊपर रखें।
इस पैर को भी खींच के अपने शरीर के पास ले आयें।
दाएं हाथ को कंधे के ऊपर करें।
हाथ को कोहनी से मोड़ के अपनी पीठ के पीछे जितना हो सके ले जाएं।
बाएं हाथ को भी कोहनी से मोड़ें।
पेट के साइड से पीछे की ओर पीठ पर लेकर जाएं।
अब दोनों हाथों को खींच के आपस में मिलाने की कोशिश करें।
पीठ के पीछे हाथों को एक दूसरे से पकड़ लें।
इस आसन में कुछ देर तक रहें और 10-12 बार सांस लें।
जब इस स्थिति में असुविधा होने लगे तो आप पुनः प्रारंभिक स्थिति में आयें।
दोनों को हाथों को खोलें और पैरों को सीधा करें।
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