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वर्ल्ड सोरायसिस डे: तनाव को क़ाबू और सोरायसिस को दूर रखें!

Kajal Dubey
16 July 2023 11:23 AM GMT
वर्ल्ड सोरायसिस डे: तनाव को क़ाबू और सोरायसिस को दूर रखें!
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तनाव किसी भी व्यक्ति को मानसिक रूप से अस्थिर बना देता है. सोरायसिस के मरीजों पर तनाव के ख़ासतौर से गंभीर नतीजे देखने को मिलते हैं. डॉ मोनिका बांबरू, एचओडी-डर्मैटोलॉजी और कॉस्मेटोलॉजी, आर्टेमिस हॉस्पिटल, गुड़गांव बता रही हैं तनाव और सोरायसिस का कनेक्शन और इससे बचने का फ़ुलप्रूफ़ तरीक़ा.
क्या है सोरायसिस?
सोरायसिस एक ऑटोइम्यून स्थिति है, जिसमें मरीज की प्रतिरक्षक प्रणाली अपने ही शरीर की कोशिकाओं (सेल्स) को बीमारी से पीड़ित मानकर उन पर हमला कर देती है. सोरायसिस के मरीजों में त्‍वचा कोशिकाएं काफ़ी तेज़ी से बढ़ती हैं. आमतौर पर हमारे शरीर में त्वचा की नई कोशिकाएं हर 10 से 30 दिनों में बनती हैं, जो पुरानी कोशिकाओं को बदल देती हैं. सोरायसिस में स्किन के नए सेल्स हर 3-4 दिन में काफ़ी तेजी से बनते हैं. इससे शरीर को पुरानी कोशिकाएं छोड़ने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाता. स्किन की ऊपरी परत पर पपड़ी बन जाती है. वह छिल जाती है. त्वचा रूखी हो जाती है. सफ़ेद धब्बे पड़ जाते हैं. खुजली के कारण त्‍वचा लाल हो जाती है और उसमें घाव बन जाते हैं.
शरीर ही नहीं, मन की सेहत से प्रभावित होती है इससे
शरीर पर जगह-जगह लाल रंग के धब्बे और घाव दिखने तथा खुजली होने के साथ सोरायसिस के मरीज पर तनाव और चिंता का बोझ सवार होता है. नैशनल सोरायसिस फ़ाउंडेशन के मेंटल हेल्थ अंक में बताया गया कि सोरायसिस के मरीज अक्सर परेशान रहते हैं. वह अपने में ही उलझे रहते हैं. यह रोग मरीजों को अपने परिवार और दोस्तों से सामान्य रिश्ते बनाए रखने से दूर करता है.
सोरायसिस का संबंध प्रत्यक्ष रूप से कई तनाव संबंधी गड़बड़ियों से जोड़ा गया है, जैसे किसी व्यक्ति के साथ कोई हादसा हो गया है, उसके कारण उसे वह बहुत ज़्यादा तनाव झेलना पड़ रहा हो. महिलाओं में इस तरह के काफ़ी मामले सामने आते हैं, जिसमें वह सोरायसिस से पीड़ित होकर मानसिक तनाव की शिकार बन जाती हैं.
सबसे ज़रूरी बात यह है कि मानसिक तनाव होने से शरीर ऐसे केमिकल छोड़ता है, जिससे खुजली और जलन बढ़ती है. रिसर्च से संकेत मिलता है कि सोरायसिस के कारण मरीज स्किन की ऊपरी परत पर पपड़ी जमने, खुजली उठने और लाल धब्बे पड़ने से तनाव में आ जाते हैं.
सोरायसिस में त्वचा की ऊपरी सतह पर जमने वाली पपड़ी, खुजली, सूजन और जलन के लिए केमिकल्स ज़िम्मेदार होते हैं. इससे मरीजों को मानसिक तनाव भी होता है.
कैसे करें इसका इलाज?
मरीज की इस बीमारी का इलाज करने के लिए त्वचा रोग विशेषज्ञों को यह समझना बहुत ज़रूरी है कि सोरायसिस के किसी ख़ास मरीज में तनाव का कारण क्या है. इससे न सिर्फ़ डॉक्टरों को मरीजों का बेहतर इलाज करने में मदद मिलेगी, बल्कि इससे मरीजों में सोरायसिस के साथ दूसरी बीमारियों के पनपने का भी ख़तरा नहीं रहेगा.
अगर किसी मरीज की ज़िंदगी में सोरायसिस के कारण तनाव हो तो उसे यहां दिए गए उपाय जल्द से जल्‍द करने पर विचार करना चाहिए:
ध्यान: ध्यान को मानसिक उलझनों को दूर करने का सबसे अच्छा तरीक़ा माना गया है. इससे दिमाग़ में तेज़ी से विचार आने कम हो जाते हैं और दिमाग़ी बेचैनी से आराम मिलता है. ध्यान लगाने के लिए जमीन पर आराम से 15 मिनट बैठिए. आपकी आंखें बंद होनी चाहिए. इस प्रक्रिया में आपको अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करना होता है. इससे न सिर्फ़ तनाव कम होने में मदद मिलेगी. अच्छी नींद आएगी. इससे आपको समय बीतने के साथ-साथ अच्छे नतीजे प्राप्त होंगे.
एक्सरसाइज़: एक्सरसाइज से इनडार्फिन्स का उत्पादन होता है. यह केमिकल मूड को अच्छा करते हैं और एनर्जी लेवल बढ़ाते हैं. एक्सरसाइज़ से नींद भी अच्छी आती है और बेचैनी कम होती है. कई डॉक्टरों की रिपोर्ट में कहा गया है कि जो महिलाएं रोज़ाना एक्सरसाइज करती हैं, वह जीवन में ज़्यादा ऐक्टिव न रहने वाली महिलाओं की तुलना में सोरायसिस रोग को ज़्यादा कुशलता से मैनेज कर सकती हैं. यदि आप अभी तक ऐक्टिव नहीं हैं तो आप एक्सरसाइज़ आरम्‍भ करने या उसे दोबारा शुरू करने पर टिप्स ले सकती हैं.
बाहर से मदद लीजिए या अपनी हॉबी को फ़ॉलो कीजिए: तनाव से मुक्ति पाने के लिए आप स्ट्रेस मैनेजमेंट का कोर्स करने पर विचार कर सकते हैं या अपने क्षेत्र में किसी थेरैपिस्ट की तलाश कर सकते हैं. मरीज सोरायसिस से पीड़ित अन्य लोगों से जुड़ सकते हैं. उन्हें अक्सर किसी हॉबी को फ़ॉलो करने के लिए कहा जाता है, जिसे वह हंसी-ख़ुशी अपना समय गुज़ार सकें और उनका तनाव कम हो सके.
काउंसलिंग: सबसे पहले तो आपको यह पहचानना होगा होगी कि आपको किस चीज़ से तनाव होता है. तनाव को कम करने की काउंसलिंग अकेले नहीं करनी चाहिए. इसमें मरीजों को अच्छी सपोर्ट मिलना चाहिए. यह इस तरह के पुराने राग को क़ाबू में करने के लिए बहुत ज़रूरी है. जब इलाज की किसी दूसरी तकनीक से मरीजों को कोई मदद न मिल रही हो तो काउंसलिंग से तनाव घटाया जा सकता है.
एक और ज़रूरी बात: सोरायसिस के मरीजों को शराब और सिगरेट पीना बिल्‍कुल बंद देना चाहिए क्योंकि इससे बीमारी काफ़ी तेज़ी से बढ़ती है.
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