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World Literacy Day: सर्वे में खुलासा, किताब पढ़ने में करीब आधे भारतीय बच्चे पढ़ पाते हैं केवल कुछ शब्द

Tara Tandi
8 Sep 2021 5:31 AM GMT
World Literacy Day:  सर्वे में खुलासा, किताब पढ़ने में करीब आधे भारतीय बच्चे पढ़ पाते हैं केवल कुछ शब्द
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कोरोना महामारी में लंबे समय तक स्कूल से दूर रहने के कारण किताब पढ़ने में अटकने वाले बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| कोरोना महामारी में लंबे समय तक स्कूल से दूर रहने के कारण किताब पढ़ने में अटकने वाले बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी यूनेस्को के मुताबिक विश्वभर में ऐसे बच्चों की संख्या वर्ष 2021 में 20 फीसदी से अधिक बढ़कर 58.4 करोड़ हो गई। वर्ष 2020 में इन बच्चों की संख्या 46 करोड़ थी।

यूनिसेफ और यूनेस्को के सम्मिलित प्रयास से तैयार की गई सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि पढ़ाई-लिखाई के स्तर को कोरोना पूर्व के स्तर पर पहुंचाने में एक दशक तक लग सकते हैं। यदि पढ़ाई को पटरी पर लाने के लिए असाधारण प्रयास किए जाते हैं, तो भी वर्ष 2024 तक का समय लगेगा।

करीब आधे भारतीय बच्चे केवल कुछ शब्द पढ़ पाते हैं:

स्कूल चिल्ड्रेन ऑनलाइन ऑफलाइन लर्निंग (स्कूल) की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 37 फीसदी ग्रामीण बच्चे अब भी स्कूल नहीं जा रहे हैं। भारत में 42 फीसदी शहरी और 48 फीसदी ग्रामीण बच्चे किताब पढ़ना तो दूर, केवल कुछ शब्द ही ठीक से बोल पाते हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि 37 फीसदी ग्रामीण और 19 फीसदी शहरी भारतीय छात्र कोरोना के कारण पढ़ाई से अब तक वंचित हैं। भारत में नियमित रूप से ऑनलाइन पढ़ाई करने वाले बच्चों की संख्या शहरों में 24 फीसदी, तो गांवों में महज आठ फीसदी है।

यह सर्वेक्षण असम, बिहार, दिल्ली, हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र, पंजाब, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल समेत 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वंचित परिवारों से आने वाले करीब 1400 स्कूली बच्चों पर अगस्त महीने के दौरान किया गया।

केवल 12 फीसदी ग्रामीण छात्रों के पास स्मार्टफोन

भारतीय बच्चों का वर्ग शहरी (फीसदी) ग्रामीण (फीसदी में)

नियमित ऑनलाइन अध्ययन 24 8

पढ़ाई लिखाई पूरी तरह ठप 19 37

कुछ शब्दों से ज्यादा नहीं पढ़ पाते 42 48

पढ़ने की क्षमता लॉकडाउन में घटी 76 75

स्कूल खोलने के समर्थक पैरेंट्स 90 97

बच्चों के पास स्मार्ट फोन 51 12

इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या 57 65

स्रोत--स्कूल चिल्ड्रेन ऑनलाइन ऑफलाइन लर्निंग (स्कूल) की रिपोर्ट

भारत की साक्षरता दर विश्व औसत से कम

-86 फीसदी से अधिक है विश्व की औसत साक्षरता दर

-77.7 फीसदी रही भारत की साक्षरता दर वर्ष 2020 में राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) के अनुसार

-73.5 फीसदी है ग्रामीण भारत की साक्षरता दर

-87.7 फीसदी है शहरी भारत की साक्षरता दर

-77.4 करोड़ निरक्षर हैं विश्वभर में

-37 फीसदी दुनिया के निरक्षर अकेले भारत में

सबसे कम साक्षरता वाले पांच राज्य

उत्तर प्रदेश 73%

तेलंगाना 72.8%

बिहार 70.9%

राजस्थान 69.7%

आंध्र प्रदेश 66.4%

सर्वाधिक साक्षरता वाले पांच राज्य

केरल 96.2%

दिल्ली 88.7%

उत्तराखंड 87.6%

हिमाचल 86.6%

असम 85.9%

साक्षरता की गणना

भारत में साक्षरता की गणन सात साल या इससे अधिक उम्र के बच्चों के आधार पर की जाती है। साक्षरता से आशय लिखने, पढ़ने और समझने की क्षमता से है। साक्षर लोगों की संख्या को कुल जनसंख्या से भाग देने के बाद शेषफल को 100 से गुणा करने पर साक्षरता दर मिलती है।

ऑनलाइन पढ़ाई में बाधा के पांच मुख्य कारण

1 तकनीकी कौशल और कंप्यूटर आदि उपकरण का आभाव

2 ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की धीमी गति

3 ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की अबाध आपूर्ति का ना होना

4 ज्यादातर अशिक्षित अभिभावकों का ऑनलाइन शिक्षा को महत्व ना देना

5- इंटरनेट डाटा का खर्च उठाना भी बड़ी समस्या

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