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World Day against Child Labour 2021: तेजी से बढ़ रही है बाल श्रमिकों की संख्या

Triveni
12 Jun 2021 2:20 AM GMT
World Day against Child Labour 2021: तेजी से बढ़ रही है बाल श्रमिकों की संख्या
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दुनिया में बाल श्रम (Child Labour) एक आर्थिक-सामाजिक समस्या है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| दुनिया में बाल श्रम (Child Labour) एक आर्थिक-सामाजिक समस्या है. यह एक समाज और देश पर ऐसा दाग है जो पूरी दुनिया में उसकी छवि खराब करता है और एक समाज की बहुत सारी समस्याओं को दर्शाता है. इसलिए विश्व बालश्रम निषेध दिवस (World Day Against Child Labour) को बहुत महत्व दिया जाता है. इस दिवस को अंतरराष्ट्री श्रम संगठन (ILO) हर साल 12 जून को मनाता है.

कोरोना के दौर में और भी मौजूं
इतिहास गवाह है कि जब भी किसी आपदा ने किसी समाज को कमजोर किया है और समाज में आर्थिक विसंगतियों के साथ बाल श्रम जैसी समस्याओं ने भी सिर उठाया है. इसी को देखते हुए कोरोना महामारी के इस लंबे दौर में विश्व बालश्रम निषेध दिवस की अहमियत और भी ज्यादा हो जाती है. इसी को देखते हे इस साल इस बार वीक ऑफ एक्शन यानि सक्रियता का सप्ताह मनाया जा रहा है जो 10 जून से शुरू हो चुका है.
कमजोर होते हैं बच्चों के अधिकार
बालश्रम को दुनिया में खत्म करना आसान नहीं हैं. क्योंकि यह आर्थिक अपराध के साथ सामाजिक समस्या भी है और बच्चों के जीवन तक से खिलवाड़ साबित होता है. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने कहा है कि बाल श्रम पीढ़ियों की बीच की गरीबी को बढ़ाता है, राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं को चुनौती देता है और बाल अधिकार समझौते के द्वारा गारंटी के तौर पर दिए अधिकारों को कमजोर करने का काम करता है.
तेजी से बढ़ रही है बाल श्रमिकों की संख्या
विश्व बाल श्रम दिवस के मौक पर एक रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 दुनिया भर में पिछले चार साल में बाल श्रमिकों की संख्या 84 लाख से बढ़ कर 1.6 करोड़ तक हो गई है. वहीं आईएलओ की रीपोर्ट के अनुसार 5 से 11 साल की उम्र के बाल श्रम में पड़े बच्चों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है. अब इन बच्चों की संख्या कुल बाल श्रमिकों की संख्या की आधी से ज्यादा हो गई है. वहीं 5 से 17 साल तक के बच्चे जो खतरनाक कार्यों के संलग्न हैं वे साल 2016 से 65 लाख से 7.9 करोड़ तक हो गए हैं.
साल 2021 की थीम
इस साल विश्व बाल श्रम निषेध दिवस की थीम 'एक्ट नाउ: एंड चाइड लेबर' यानि 'अभी सक्रिय हों बाल श्रम खत्म करें' है. पिछले दो दशकों में यह पहली बार है कि दुनिया ने इतनी तेजी बाल श्रम बढ़ते देखा है. महामारी के कारण लाखों बच्चे इसकी चपेट में हैं आईएलओ और यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार बाल श्रम रोकने के प्रयास की वृद्धि खत्म हो गई है और अब उसमेंसाल 2000 से 2016 के बीच हुए प्रयासों के मुकाबले गिरावट आ रही है.
बाल श्रम के खिलाफ उपाय होने चाहिए कारगर
बाल श्रम समाज में असमानता और भेदभाव के कारण तो होता ही है, यह सामाजिक असमानता और भेदभाव को बढ़ावा भी देता है. विशेषज्ञों का कहना है कि बाल श्रम के खिलाफ उठाया गया किसी भी कारगर कदम को पहचान मिलनी चाहिए और ये प्रयास बच्चों को हो रहे शारीरिक और भावनात्मक नुकसान से निपटने में सक्षम होने चाहिए जो वे गरीब, भेदभाव और विस्थापन के कारण झेल रहे हैं.
एक आशंका यह भी
आईएलओ की रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि कोविड-19 महामारी के कारण साल 2022 तक करीब 90 लाख बच्चों को बाल श्रम में झोंके जाने का जोखिम है. एक सिम्यूलेशन मॉडल दर्शाता है कि अगर उन्हें समुचित सामाजिक संरक्षण नहीं मिल सका यह संख्या 4.6 करोड़ तक पहुंच सकती है. ऐसे में बाल श्रम विरोध के लिए हो रहे प्रायासों में कमी और नाकामी और नुकसानदायक हो सकती है.
महामारी के दौरान चल रहे लॉकडाउन पर सीधा असर बच्चों पर पडा है. स्कूल बंद हैं और जो बच्चे पहले से ही बाल मजूदरी में लगे थे उनकी हालत और भी ज्यादा खराब हो गई है. अब वे या तो ज्यादा लंबे समय तक काम करेंगे या फिर और भी खराब हालातों में काम करेगें. वहीं ऐसे बच्चों की संख्या भी तेजी से बढ़ेगी जिनके परिवार में रोजगार नहीं हैं और वे बाल मजदूरी में धकेल दिए जाएंगे.


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