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World Arthritis Day 2020: गठिया का दर्द हो सकता है असह्य...जानें कैसे रखें विशेष ध्यान
दो दशक पहले तक लोगों में अर्थराइटिस यानी कि गठिया की तकलीफ अधिकांशत: अधिक उम्र के बाद होती थी, लेकिन खानपान में आए परिवर्तन और उठने-बैठने के सही तौर-तरीकों को नजरअंदाज करने के कारण अब यह समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है। यह समस्या कई प्रकार की होती है, लेकिन इनमें सबसे ज्यादा मुसीबत होती है घुटने के अर्थराइटिस से पीड़ित व्यक्तियों को। जानें क्या कहते है कानपुर के आर्थोपैडिक सर्जन
मुश्किल हो जाता है चलना: अर्थराइटिस मूल रूप से जोड़ों के दर्द से जुड़ी समस्या है। इसमें अंगुली के पोर, कंधा, कूल्हा, कलाई आदि में सूजन आना, तेज दर्द उठना और कई बार तो गंभीर अकड़न आने के कारण हाथों की मदद से काम करना लगभग असंभव हो जाता है। यदि इस समस्या को नजरअंदाज करते हैं तो एक वक्त के बाद चल-फिर पाना मुश्किल भरा हो जाता है।
नियमित व्यायाम करें
वजन घटाएं, व्यायाम करें
अल्कोहल के सेवन से बचें
फास्टफूड से परहेज करें। वजन नियंत्रित रखें
समय-समय पर यूरिक एसिड की जांच कराते रहें
घुटने या जोड़ों की परेशानी को नजरअंदाज न करें
तीन-पी करेंगे मदद: अर्थराइटिस के उपचार का बेहतर तरीका है, थ्री-पी का पालन करना। इसमें-फिजियोथेरेपी, प्रिकॉशन (सावधानियां) और पोस्चर शामिल है। साथ ही टीवी देखने, कंप्यूटर या लैपटॉप पर काम करने या अन्य गैजेट्स का इस्तेमाल करने के दौरान अपने पोश्चर का खास ध्यान रखें।
खुद करें अपनी मदद: अगर आपको पहले से ही अर्थराइटिस की तकलीफ है तो ऐसे में फिजियोथेरेपी लें। कुछ दिन फिजियोथेरेपिस्ट की मदद लेकर उनसे सही तरीके से इसे अपनाना सीख लें और फिर नियमित रूप से खुद ही घर पर करें। इससे न सिर्फ आप बाहरी संक्रमण से बचे रहेंगे साथ ही कुछ वक्त अपनी सेहत के साथ बिताना मानसिक रूप से भी शांति देगा। चूंकि अर्थराइटिस की तकलीफ जोड़ों खासकर घुटनों के लिए पीड़ादायक होती है तो ऐसे में अनावश्यक सीढ़ियां चढ़ने-उतरने से बचें। वॉक हमेशा कच्ची जमीन पर करें। कई बार सड़क और पक्की जगह पर संतुलन सही नहीं बन पाने से मुसीबत बढ़ सकती है।
संभव है उपचार : यदि अर्थराइटिस का समय रहते उपचार न कराया गया तो समस्या बढ़ सकती है और घुटने जकड़ जाते हैं, लेकिन कई तरह की विधियां हैं, जिनसे घुटने की यह समस्या दूर हो जाती है। इसमें तमाम इंजेक्शन थेरेपी के साथ ही प्लेटलेट्स रिच प्लाज्मा थेरेपी (पीआरपी) से ऑपरेशन कर कार्टिलेज क्षति को सुधारा जाता है।