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महिलाएं, ये हेल्थ टेस्ट्स ज़रूर करवाएं

Kajal Dubey
7 May 2023 2:23 PM GMT
महिलाएं, ये हेल्थ टेस्ट्स ज़रूर करवाएं
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बीमारी की गिरफ़्त में आने के बाद इलाज पर समय, पैसा और ऊर्जा ख़र्च करने से बेहतर है समय-समय पर अपने शरीर की जांच-पड़ताल यानी मेडिकल टेस्ट कराते रहना. इसके दो फ़ायदे होंगे, पहला-आपको पता चल जाएगा कि आपका शरीर पूरी तरह स्वस्थ है और दूसरा-यदि मान लीजिए आपके शरीर में आंतरिक रूप से सबकुछ सही नहीं चल रहा है तो आपको पता चल जाएगा. यह तो हम सभी जानते और मानते हैं क‌ि समय रहते पता चलने पर कई बीमारियों को ठीक किया जा सकता है. तो आइए उन कॉमन हेल्थ टेस्ट्स के बारे में जानते हैं, जो हर ‌महिला को नियमित रूप से करवाने ही चाहिए.
ब्रेस्ट चेकअप
सभी उम्र की महिलाओं को अपने ब्रेस्ट्स के बारे में जानकारी होनी चाहिए, ताकि यदि उसमें किसी भी तरह का बदलाव आ रहा हो तो वे समझ सकें या अपनी डॉक्टर को बताकर सही सलाह ले सकें. अत: महिलाओं को चाहिए कि वे समय-समय पर अपने ब्रेस्ट्स को चेक करती रहें.
40 वर्ष से कम उम्र की महिलाएं हर तीन वर्ष में मेडिकल प्रोफ़ेशनल्स से ब्रेस्ट चेक कराएं. वहीं 40 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएं वर्ष में एक बार ब्रेस्ट स्क्रीनिंग ज़रूर कराएं.
यदि आपके परिवार में ब्रेस्ट कैंसर का इतिहास हो तो 40 की उम्र के बाद नियमित रूप से मैमोग्राम टेस्ट कराएं. आमतौर पर यह टेस्ट हर एक से दो साल में कराना होता है.
प्रजनन तंत्र की सेहत के लिए
पेल्विक एग्ज़ाम: हर महिला को वर्ष में एक बार पेल्विक टेस्ट कराना ही चाहिए. इससे कई गायनाकोलॉजिकल समस्याओं का पता चल जाता है. कैंसर, फ़ायब्रॉइड, सिस्ट और सेक्शुअली ट्रान्समिटेड डिज़ीज़ आदि के बारे में भी यह टेस्ट बता देता है.
पेप टेस्ट: 21से 30 वर्ष की महिलाओं को हर दो वर्ष में यह टेस्ट कराना ही चाहिए. वहीं 30 से 60 की उम्र में हर तीन वर्ष में यह टेस्ट कराने की‌ सलाह दी जाती‌ है. वहीं 60 से ऊपर की महिलाएं अपने डॉक्टर से सलाह लें कि उन्हें यह टेस्ट कराने की ज़रूरत है या नहीं.
दिल की सेहत के लिए
ब्लड प्रेशर टेस्ट: यदि आप स्वस्थ हैं तो भी हर दो वर्ष में अपना ब्लड प्रेशर चेक कराना बहुत ज़रूरी हैं. हाई ब्लड प्रेशर हार्ट अटैक, हार्ट फ़ेलियर, स्ट्रोक, किडनी की बीमारी और डिमेंशिया का कारण बनता है.
कोलेस्टेरॉल टेस्ट: आपके हर पांच साल में एक बार टोटल कोलेस्टेरॉल, एलडीएल (लो डेंसिटी लाइपोप्रोटीन), एचडीएल (हाई डेंसिटी लाइपोप्रोटीन) और ट्रायग्लिसराइड टेस्ट्स ज़रूर कराने चा‌हिए. कोलेस्टेरॉल के स्तर की जानकारी आपको हृदय रोगों से बचने में मदद करती है.
डायबिटीज़ टेस्ट
यदि आपको शुगर की समस्या नहीं है तो भी 45 वर्ष की उम्र के बाद हर तीन वर्ष में एक बार ब्लड शुगर यानी डायबिटीज़ का टेस्ट ज़रूर कराना चा‌हिए. कम्पिलीट टेस्ट के लिए आपको फ़ास्टिंग यानी ख़ाली पेट और खाने के दो घंटे के टेस्ट कराने चाहिए.
आई एग्ज़ाम
स्मार्टफ़ोन्स के ज़माने में आंखें इन दिनों सबसे अधिक इस्तेमाल होनेवाली ज्ञानेंद्री बन गई हैं. यदि आपको आंखों से जुड़ी कोई ‌शिकायत न भी हो तो नियमित रूप से उनकी जांच करानी चाहिए. 20 से 29 वर्ष की उम्र की महिलाएं, जिन्हें आंखों की कोई तक़लीफ़ न हो, वे कम से कम एक बार डॉक्टर से ज़रूर मिलें. 30 से 39 की उम्र के दौरान आप कम से कम दो बार आंखों की जांच ज़रूर कराएं. वहीं 40 के बाद आप एक बार बेसलाइन आई डिज़ीज़ स्क्रीनिंग करा लें. उसके बाद डॉक्टर से पूछें कि आपको कितने अंतराल पर आंखों की जांच कराने के लिए आना चाहिए.
एक बार की स्क्रीनिंग्स
हेपेटाइटिस सी (एचसीवी): यदि आप वर्ष 1945 से 1965 के बीच जन्मी हों तो इस स्क्रीनिंग के बारे में अपने डॉक्टर से राय लें.
बोन डेंसिटी: यह टेस्ट हर महिला को कम से कम एक बार तो ज़रूर कराना चाहिए. आपके लिए यह कब कराना सही होगा, इसके बारे में अपने डॉक्टर से पूछें.
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