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Saavan में मांसाहार क्यों नहीं खाना चाहिए, जाने वैज्ञानिक कारण

Sanjna Verma
15 July 2024 6:26 PM GMT
Saavan में मांसाहार क्यों नहीं खाना चाहिए, जाने वैज्ञानिक कारण
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Saavan Tips: हिंदू धर्म में सावन के महीने का विशेष महत्व है। भगवान भोलेनाथ को समर्पित इस महीने को बहुत ही शुभ और पवित्र माना जाता है। Hindu Religion में आस्था रखने वाले लोग इस माह में विशेष रूप से भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं और व्रत भी रखते हैं। इस माह व्रत के दौरान व्रतियों को खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिये। हालांकि जो लोग व्रत नहीं भी करते उन्हें भी सावन के माह में खान-पान को लेकर विशेष सावधानियां बरतनी चाहिये।
इस माह में कुछ चीजों को खाने से बचना चाहिये। इस साल सावन का महीना 22 जुलाई से शुरू होगा और19 अगस्त को खत्म हो जायेगा। आईये जान लेते हैं उन चीजों के बारे में जिन्हें इस महीने खाने से बचना चाहिये।
मांस-मछली
हिन्दू धर्म में श्रावण मास को बहुत पवित्र माना जाता है। इस कारण इस महीने में मांसाहार न करने के पीछे धार्मिक कारण हैं। लेकिन, वैज्ञानिक रूप से भी यह बात प्रमाणित है कि सावन के माह में मांसाहार नहीं करना चाहिये क्योंकि इससे हेल्थ पर बुरा प्रभाव पड़ता है।आयुर्वेद के अनुसार सावन में हमारी इम्युनिटी कमजोर हो जाती है। ऐसे में मांसाहारी भोजन करने से पाचन में समस्या आ सकती हैं। आयुर्वेद में सावन के महीने में सुपाच्य व हल्का भोजन करने की सलाह दी गई है। इसके अलावा बरसात का मौसम कई जीवों का ब्रीडिंग सीजन होता है। ऐसे में इस तरह के जीवों को खाना हमारे स्वास्थ्य के लिये नुकसानदायक हो सकता है। खासतौर से इस माह में मछली न खाने की सलाह इसीलिये दी जाती है। प्रेग्नेंसी के कारण इन जीवों के शरीर में कई तरह के हॉर्मोनल चेंजेस होते हैं जिससे इनका मांस खाना हेल्थ के लिये ठीक नहीं होता।
मसालेदार गरिष्ठ भोजन
सावन का Month Monsoon में आता है जिस समय लगातार बारिश होती रहती है। इन दिनों आसमान में अधिकांश समय बादल छाये रहने से धूप ठीक से नहीं निकलती। इस कारण से इस मौसम में हमारा मेटाबॉलिज्म स्लो पड़ जाता है। ऐसे में मसालेदार ऑयली भोजन खाने से खाना ठीक से पचता नहीं। ठीक से पाचन न होने से खाना आंतों में पड़े-पड़े सड़ जाता है जिससे पाचन संबंधी कई समस्याऐं हो सकती है।
दूध-दही और इन से बने खाद्य पदार्थ
सावन के महीने में दूध-दही नहीं खाने की सलाह भी दी जाती है। धार्मिक मान्यताओं के कारण भी लोग इस महीने दूध-दही के अलावा लहसून और प्याज खाना भी छोड़ देते हैं। दरअसल लगातार बारिश होने से इस महीने में वातावरण में आर्द्रता के कारण कई तरह के बैक्टीरिया और वायरस पनपने का जोखिम रहता है। इससे वातावरण में कई प्रकार के संक्रमण फैल जाते हैं। घास-वनस्पतियां खाने वाले जीव-जंतु इस दौरान आसानी से इन संक्रामक बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। इन संक्रमित जानवरों का मांस खाने या दूध पीने से मनुष्यों में भी संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। यही कारण है कि इस मौसम में मासांहार के साथ-साथ दूध-दही भी नहीं खाने की सलाह दी जाती है।
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