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हमें अपने खानपान में कच्ची हल्दी को क्यों शामिल करना चाहिए?

Kajal Dubey
4 May 2023 12:52 PM GMT
हमें अपने खानपान में कच्ची हल्दी को क्यों शामिल करना चाहिए?
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भारतीय खानपान में पिसी हुई हल्दी का उपयोग तो ख़ूब होता है, उसकी तुलना में कच्ची हल्दी लगभग पूरी तरह उपेक्षित है. पर आपको यह पता होना चाहिए कि कच्ची हल्दी भी स्वास्थ्य के लिहाज से बेहद फ़ायदेमंद है. आइए जानते हैं, क्यों कच्ची हल्दी को अपने खानपान में ज़रूर शामिल करना चाहिए.
आयुर्वेद क्या कहता है कच्ची हल्दी के बारे में?
ज़मीन के अंदर गांठ के रूप में पैदा होनेवाली पीले रंग की हल्दी के फ़ायदे ही फ़ायदे हैं. इसमें 13.1% पानी, 6.3% प्रोटीन, 5.1% वसा, 69.04% कार्बोहाइड्रेट, 3.5% क्षार, 0.15% कैल्शियम, 0.28% फ़ॉस्फ़ोरस होता है. 100 ग्राम कच्ची हल्दी में 18.3 मिलीग्राम आयरन होता है.
आयुर्वेद के अनुसार कच्ची हल्दी कड़वी, तिक्त, गर्म, स्फूर्तिदायक, कृमि-नाशक, शरीर को शुद्ध रखनेवाली और कफ़, सूजन एवं वायु को ख़त्म करनेवाली होती है. इसकी प्रकृति शुष्क होती है. हल्दी घावों को भर देती है और भूख जगाती है.
इतना ही नहीं यह शारीरिक कांति में वृद्धि करती है तथा त्वचा के रंग को साफ़ करती है. सर्दी, वात रोग, रक्त की ख़राबी, कुष्ठरोग, मधुमेह, घाव, त्वचारोग, सूजन तथा बदहज़मी में बहुत ही उपयोगी है.
लाभ और इस्तेमाल का तरीक़ा
कच्ची हल्दी को पीसकर उसका रस निकाला जा सकता है. दो-तीन चम्मच हल्दी के रस का मूल रूप में अथवा उसमें थोड़ा पानी मिलाकर सेवन करना चाहिए. लिवर को सशक्त बनाने की जो शक्ति हल्दी में है, वह किसी दूसरे तत्त्व में नहीं है. आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथों में इस बात की पुष्टि की गई है. आधुनिक आहारविद् भी हल्दी के इस गुण को मान्य करते हैं. कच्ची हल्दी के सेवन से बुढ़ापा पास नहीं फटकता और बीमारियां शरीर में जड़ नहीं जमा पातीं. ऐसा इसलिए क्योंकि यह हमारे लिवर को स्वस्थ और सक्रिय बनाए रखती है. स्वस्थ लिवर अर्थात समूचा शरीर स्वस्थ और सक्रिय बना रहता है. पीलिया की पुरानी बीमारी में भी हल्दी का रस बहुत लाभदायक होता है.
हल्दी का रस रक्त को शुद्ध करता है और कफ़ को दूर करता है. यदि नियमित रूप से सुबह-शाम हल्दी के ताज़ा रस का सेवन किया जाए तो कुष्ठरोग एवं हाथ-पैरों की सूजन में विशेष लाभ होता है. हल्दी का ताजा रस अथवा हल्दी का चूर्ण गर्म दूध में मिलाकर सेवन करने से सर्दी, खांसी एवं कफ़ में शर्तिया लाभ होता है. मोच आ जाने और शरीर में सूजन होने पर हल्दी का गर्म-गर्म लेप लगाने से बहुत आराम मिलता है.
नाक, गला एवं सांस नली से कफ़ निकलने की अवस्था में हल्दी का रस बहुत उपयोगी होता है. इससे कफ़ की झिल्ली सूख हो जाती है और कफ़ में एकदम कमी आ जाती है. त्वचा के रोगों में हल्दी काफी उपयोगी है. हल्दी का सेवन करने से रक्त और मां का दूध शुद्ध हो जाता है. इससे त्वचा कोमल एवं कांतिमय बन जाती है. हल्दी में मक्खन मिलाकर शरीर पर मालिश करने से त्वचारोग दूर हो जाते हैं.
पिछले कुछ सालों में ग्रीन टी हमारे रूटीन लाइफ़ का एक अहम हिस्सा बन गई है. डॉक्टर्स की मानें, तो अगर आप रोज़ाना एक कप ग्रीन टी लेते हैं, तो टॉक्सिन लेवल नियंत्रित करने में मदद मिलती है, जिसे कई बीमारियों का जड़ माना जाता है. इसके अलावा पाचन क्रिया को सुधारने, फ्री रेडिकल्स से होनेवाले नुक़सान की भरपाई करने, वज़न को नियंत्रित करने और इम्यून सिस्टम को मज़बूत करने में भी ग्रीन टी बहुत सहायक होती है. इससे मुंह के संक्रमण से बचाव होता है. हालांकि फ़ायदा इस बात पर भी निर्भर करता है कि ग्रीन टी में किन सामग्रियों का इस्तेमाल किया गया है और उसे किस समय ले रहे हैं.
वैसे तो बाज़ार में कई ब्रैंड्स की ग्रीन टी उपलब्ध हैं, जिन्हें आप ख़रीद सकते हैं, लेकिन बस कुछ सामग्रियों से ही घर पर भी ग्रीन-टी तैयार किया जा सकता है.
ग्रीन टी बनाने के लिए आपको चाहिए-
1 ग्लास पानी
3-4 तुलसी के पत्ते
1/4 टेबलस्पून कद्दूकस किया हुआ अदरक
1/4 टेबलस्पून मेथी दाना
1/2 टेबलस्पून दालचीनी
1 टेबलस्पून ताज़े नींबू का रस
1 टेबलस्पून शहद
तुलसी
तुलसी में ऐंटी-इंफ़्लेमेटरी और ऐंटी-ऑक्सिडेंट्स प्रॉपर्टीज़ पाई जाती हैं, जो इम्यून सिस्टम को मज़बूत करने के साथ ही शरीर में एनर्जी बूस्टिंग में भी सहायक होते हैं. तुलसी के पत्तों का उपयोग ख़ासी-ज़ुकाम को ठीक करने के लिए किया जाता है. यह डायबिटीज़ पीड़ितों के लिए भी फ़ायदेमंद होती है. तुलसी के सेवन से साइनोसाइटिस से राहत पाने में मदद मिलती है.
अदरक
अदरक में ऐंटी-बैक्टीरियल, ऐंटी-ऑक्सिडेंट्स, ऐंटी-वायरल और ऐंटी-इंफ़्लेमेटरी गुण होते हैं, जो पाचन क्रिया को सुधारने के साथ ही मेटाबॉलिज़्म को बेहतर बनाने का काम करते हैं. इसे नैचुरल फ़ैट बर्नर भी कहा जाता है.
मेथी दाना
मेथी दाना शरीर में मौजूद इंसुलिन लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है. इसमें सॉल्यूबल फ़ाइबर बहुत अधिक मात्रा में पाए जाते हैं,, जो आपके रोज़ाना की फ़ाइबर की ज़रूरत को पूरा करते हैं.
दालचीनी
सर्दियों में होने वाले सर्दी-जुक़ाम और संक्रमण वाले बुख़ार से निजात पाने में दालचीनी से मदद मिलती है. वज़न घटाने, पेट के आसपास जमा फ़ैट को पिघलाने और डायबिटीज़ को कंट्रोल करने में इसका इस्तेमाल किया जाता है. शोध के मुताब़िक दालचीनी के सेवन से दिमाग़ तेज़ काम करता है.
नींबू
नींबू इम्यूनिटी बूस्ट करने का एक अच्छा स्रोत है. नींबू में विटामिन सी काफ़ी अच्छी मात्रा में होता है, जो सेहत के साथ स्किन के लिए भी फ़ायदेमंद होता है.
शहद
शहद में ऐंटी-इंफ़्लेमेटरी गुण होता है, जो दिल से संबंधित बीमारियों से बचाव में सहायक होता है. गले की ख़राश को कम करने में भी शहद मददगार साबित होता है.
बनाने की विधि
एक पैन में एक ग्लास पानी डालें और उसे उबालें.
अब उसमें बारी-बारी से तुलसी का पत्ता, अदरक, मेथी दाना और दालचीनी डालें और 5 मिनट तक धीमी आंच पर उबलने दें.
इसे कप में छान लें और उसमें नींबू का रस मिला दें.
अंत में एक टेबलस्पून शहद मिलाएं. इससे आपके ग्रीन टी का स्वाद बढ़ जाएगा. आप इस स्टेप को स्किप भी कर सकते हैं.
सर्दियों में ठंडे मौसम का असर हमारे शरीर पर भी पड़ता है और इससे बचने के लिए हमें कुछ गर्माहट भरे खानपान की ज़रूरत होती है. कई ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जिनकी तासीर गर्म होती है और उन्हें अक्सर सर्दियों में ही लेने की सलाह दी जाती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ये ठंड से बचने के साथ ही हमारी इम्यूनिटी को भी दुरुस्त करने का काम करते हैं. तो चलिए आपको बताते हैं कि वे कौन-से खाद्य पदार्थ हैं, जिन्हें सर्दियों में अपनी डायट में शामिल करना चाहिए.
अदरक
अदरक में कई तरह के पोषक तत्व व ऐंटी-बैक्टीरियल प्रॉपर्टीज़ पाई जाती हैं, जो ठंड के मौसम के लिए अनुकूल हैं. अदरक की तासीर काफ़ी गर्म होती. इसे सर्दी-जुक़ाम, बुख़ार के अलावा कई तरह की बीमारियों का बढ़िया इलाज माना जाता है. अदरक का सेवन आप सिर्फ़ चाय में ही नहीं बल्कि अलग-अलग फ़ॉर्म्स में भी कर सकते हैं. अदरक को भून कर सीधा खा सकते हैं. किसी व्यंजन में, लड्डू बनाकर और पाउडर बनाकर भी इसका सेवन किया जा सकता है. अदरक के थर्मोजेनिक यानी गर्मी पैदा करनेवाले गुण से हमें सर्दी-ज़ुकाम में राहत मिलती है.
गुड़
गुड़ की तासीर गर्म होने के कारण इसे ठंड के मौसम में खाने की सलाह दी जाती है. गुड़ को इंस्टेंट एनर्जी का भी अच्छा स्रोत माना जाता है, जिसकी हमें सर्दियों में बहुत ज़रूरत होती है. मिनरल्स और विटामिन्स से भरपूर गुड़ में सुक्रोज़, कैल्शियम, फ़ॉस्फ़ोरस, प्रोटीन के अलावा कार्बोहाइड्रेट की अच्छी मात्रा होती है, जिससे हमें कई तरह के फ़ायदे मिलते हैं. गुड़ का सेवन आप सीधे करें, तो सबसे अधिक फ़ायदा मिलता है. इसके अलावा इसे आप घी के साथ, चाय या कॉफ़ी में शक्कर के विकल्प की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं.
दालचीनी
अगर आप रोज़ाना दालचीनी का सेवन करते हैं, तो इससे वज़न घटाने, पेट के आसपास जमा फ़ैट को पिघलाने और डायबिटीज़ को कंट्रोल करने में मदद मिलती है. सर्दियों में होने वाले सर्दी-जुक़ाम और संक्रमण वाले बुख़ार से निजात पाने में भी मदद मिलती है. आप इसका सेवन चाय में, पैन केक, दूध और कॉफ़ी में डालकर कर सकते हैं. चाय या पानी में उबालकर पीने से भी दालचीनी के फ़ायदे लिए जा सकते हैं.
केसर
सर्दियों में केसर वाले दूध पीने की अक्सर सलाह दी जाती है, पर क्या आपने कभी इस बता पर ग़ौर किया है कि आख़िर क्यों? हम बताते हैं. एक तो केसर की तासीर गर्म होती है, जिससे शरीर की गर्माहट बनी रहती है. इसके अलावा इसमें मौजूद कई पोषक तत्व व ऐंटी-ऑक्सिडेंट्स हमारे इम्यूनिटी सिस्टम को मज़बूत बनाते हैं, जिससे सर्दी में होनेवाली बीमारियों और संक्रमण से बचने में मदद मिलती है.
देसी घी
सर्दियों में देसी घी और उससे बने खाद्य पदार्थों का सेवन आपको ज़रूर करना चाहिए. देसी घी में मौजूद फ़ैटी एसिड्स आपको गर्मी देकर ठंड के मौसम में शरीर के तापमान को संतुलित करने का काम करते हैं. रोज़ाना दो टेबलस्पून घी डायट में ज़रूर शामिल करना चाहिए.
कच्ची हल्दी
हल्दी तो वैसे ही अपने आप में एक बहुत ही फ़ायदेमंद मसाला है, लेकिन सर्दी के दिनों में मिलनेवाली कच्ची हल्दी के अपने ही फ़ायदे हैं. कच्ची हल्दी में कई पोषक तत्वों के अलावा ऐंटी-इंफ़्लेमेटरी गुण मौजूद होता है, जिससे गले की ख़राश कम होती है. इसकी सब्ज़ी बनाकर भी डायट में शामिल किया जा सकता है. आप चाय बनाकर, दूध में उबाल कर और इसका पेस्ट बनाकर भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
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