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क्यों मनाया जाता है 20 फरवरी को "वर्ल्ड सोशल जस्टिस डे"

Apurva Srivastav
19 Feb 2023 6:55 PM GMT
क्यों मनाया जाता है 20 फरवरी को वर्ल्ड सोशल जस्टिस डे
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पूरे विश्व के ज्यादातर देशों में बहुत सारी प्रथाएं ऐसी हैं, जहां समान रूप से न्याय मिल पाना आज भी सम्भव नहीं है
विश्व भर में 20 फरवरी को "विश्व सामाजिक न्याय दिवस" मनाया जाता है. हर किसी व्यक्ति को, बिना किसी भेदभाव (Partiality) के, समान (Equal) रूप से, न्याय (Justice) मिल सके और सामाजिक न्याय को बढ़ावा मिल सके, इस उद्देश्य (Purpose) के साथ इस दिन को मनाया जाता है. इस दिन के लिए इस वर्ष की थीम (Theme) रखी गयी है "A Call for Social Justice in the Digital Economy" यानी "डिजिटल अर्थव्यवस्था में सामाजिक न्याय के लिए एक बुलावा". पहली बार वर्ष 2009 में इस दिन को "वर्ल्ड सोशल जस्टिस डे" के रूप में मनाया गया था.
उद्देश्य
इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है, हर किसी व्यक्ति को, बिना किसी भेदभाव के समान रूप से न्याय दिलाना और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देना. "विश्व सामाजिक न्याय दिवस" के इस उद्देश्य को पूरा करने और लोगों के बीच इस दिन के महत्व के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए संयुक्त राष्ट्र (United Nations) और अंतर्राष्ट्रीय श्रम कार्यालय (International Labor Office) एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं.
इतिहास
"विश्व सामाजिक न्याय दिवस" की स्थापना 26 नवंबर 2007 को हुई थी, जब संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) ने ये घोषणा की थी कि महासभा के 63वें सत्र से 20 फरवरी का दिन "वर्ल्ड सोशल जस्टिस डे" के रूप में मनाया जायेगा. पहली बार इस दिवस को 2009 में विश्व स्तर पर मनाया गया था.
समान रूप से अधिकार दिलाने के लिए ये सब भी हैं कार्यरत
पूरे विश्व के ज्यादातर देशों में बहुत सारी प्रथाएं ऐसी हैं, जहां समान रूप से न्याय मिल पाना आज भी सम्भव नहीं है. भारत की बात करें तो यहां भी बहुत सी प्रथाएं ऐसी हैं जहां लिंग,जाति और आर्थिक स्तर के आधार पर समान रूप से न्याय मिल पाना मुश्किल है. इसके चलते लोगों के अधिकारों का हनन भी हो रहा है. ऐसे लोगों को समानता का अधिकार मिल सके, इसके लिए राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, बाल विकास आयोग के साथ कई अन्य गैर सरकारी संगठन भी अपने-अपने स्तर पर कार्य कर रहे हैं.
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