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वैसे हो सकता है कि हम आज जो कर रहे हैं, वो आने वाले 40 या 50 सालों में लोगों को अजीब लगे? ऐसा बिल्कुल हो सकता है। आइए एक उदाहरण से समझते हैं। कुछ समय पहले तक आपने भी देखा होगा कि जब बच्चा पैदा होता है तो डॉक्टर मुर्गे की तरह उसे उल्टा पकड़ कर पकड़ते थे और फिर बच्चे को थप्पड़ मारकर रुला देते थे। लेकिन अब ऐसा बिल्कुल नहीं किया जाता है। और भी बहुत सी चीजें हैं, जो समय के साथ बदली हैं।
बच्चे के पैदा होते ही उसे शहद चखाया जाता है। शायद जब आप भी नवजात थे, तो आपके माता-पिता या उनके बड़े-बुजुर्गों ने आपको शहद खिलाया होगा। लेकिन अब डॉक्टर इसे मना करते हैं। आइए विशेषज्ञों से जानते हैं कि नवजात शिशुओं को शहद क्यों नहीं देना चाहिए। इसके साथ ही हम अपने विशेषज्ञों से यह भी जानने की कोशिश करेंगे कि बच्चे को किस उम्र में शहद चखना चाहिए।
नवजात शिशुओं को शहद क्यों दिया जाता है?
दरअसल, नवजात बच्चों को शहद चखना एक रस्म मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि शहद कड़ी मेहनत का फल है। नवजात बच्चों को शहद चटाकर यह कामना की जाती है कि बच्चे के जीवन में शहद के समान सुख और मिठास बनी रहे। खैर ये तो रही रस्मों की बात लेकिन आइए हम आपको बताते हैं कि नवजात बच्चों को शहद क्यों नहीं चाटना चाहिए।
शहद में खतरनाक बैक्टीरिया
इसका एक कारण यह भी है कि बाजारों में मिलने वाले शहद में कई तरह के केमिकल होते हैं। दूसरा कारण यह है कि शहद में एक ऐसा बैक्टीरिया होता है, जो नवजात शिशुओं में बोटुलिज्म नामक बीमारी पैदा कर सकता है। इससे बच्चों की मौत का भी खतरा रहता है। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के अनुसार शहद में बैक्टीरिया हो सकते हैं जो शिशुओं में बोटुलिज़्म पैदा कर सकते हैं। इसलिए 12 महीने यानी एक साल से छोटे बच्चों को शहद न खिलाएं। शहद 1 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए सुरक्षित है।
बोटुलिज़्म रोग क्या है
रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के अनुसार, बोटुलिज़्म एक दुर्लभ लेकिन खतरनाक बीमारी है जो एक विष के कारण होती है। यह विष ही शरीर की नसों पर हमला करता है। जिसकी वजह से सांस लेने में तकलीफ, मांसपेशियों में लकवा और यहां तक कि मौत का भी खतरा रहता है। यह विष क्लोस्ट्रीडियम बोटुलिनम और कभी-कभी क्लोस्ट्रीडियम ब्यूटिरिकम और क्लोस्ट्रीडियम बार्टी बैक्टीरिया द्वारा निर्मित होता है। ये जीवाणु भोजन, घावों और शिशुओं की आंतों में विष उत्पन्न कर सकते हैं।
क्या कहते हैं स्वास्थ्य विशेषज्ञ
फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष व बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. राकेश बागड़ी का कहना है कि जन्म से 6 माह तक बच्चे को मां के दूध के अलावा कुछ भी भोजन के रूप में नहीं देना चाहिए। इससे नवजात शिशु के स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है, बच्चे को किसी अन्य भोजन से संक्रमण का खतरा होता है, जो गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है। यहां तक कि मृत्यु की भी संभावना है।
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Apurva Srivastav
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