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महिलाओं का खतना
जेनिटल म्यूटिलेशन या खतना शब्द जब भी सामने आता है, तब शायद आपके दिमाग में यही बात आए कि यह तो सिर्फ पुरुषों के लिए होता है, लेकिन ऐसा नहीं है। महिलाओं के साथ भी इस तरह की बेरहमी की जाती है। अब हो सकता है कि आपको लगे कि महिलाओं के लिए यह भला बेरहमी कैसे हुई जब यह पुरुषों के लिए ऐसी नहीं है। पर इस स्टोरी में हम विस्तार से आपको बताएंगे कि आखिर क्यों ये महिलाओं के लिए भी बेरहमी का एक तरीका ही है।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन महिलाओं के लिए एक खतरनाक प्रैक्टिस है जिसके कारण महिलाओं को जेनिटल एरिया की समस्याएं होती हैं। इस प्रैक्टिस के कारण कई बार उन्हें प्रेग्नेंसी और चाइल्ड बर्थ में भी परेशानी महसूस होती है।
क्या महिलाओं का खतना है गैरकानूनी (
आपको शायद इसके बारे में पता ना हो, लेकिन फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन भारत में भी होता है। बोहरा मुस्लिम समुदाय की लड़कियों के साथ ऐसा किया जाता है।
लड़कियों की उम्र 2 साल हो या 12 साल अलग-अलग रीति-रिवाजों की आड़ में उनके जेनिटल एरिया को काट दिया जाता है। इस प्रोसेस में उनकी क्लिटोरिस का कुछ हिस्सा या पूरी क्लिटोरिस को ही निकाल दिया जाता है। इसके खिलाफ दाऊदी बोहरा कम्युनिटी के कई मेंबर्स ने विरोध प्रदर्शन भी किए हैं। भारत में शिया बोहरा कम्युनिटी की आबादी 1 मिलियन के आस-पास है और यह रिवाज इस कम्युनिटी में विख्यात है।
WespeakOut की एक स्टडी बताती है कि सिर्फ बोहरा मुस्लिम कम्युनिटी नहीं है जिसमें इस प्रैक्टिस को किया जाता है। 2018 में रिलीज हुई स्टडी बताती है कि केरल के कुछ सुन्नी मुसलमानों में भी इस तरह की प्रैक्टिस होती है जहां महिलाओं की क्लिटोरिस को काट दिया जाता है। बोहरा मुसलमानों में यह प्रोसेस तब होता है जब लड़कियां लगभग 7 साल की हो जाती हैं, वहीं केरल में यह बच्चियों के साथ होता है।
यूएन के मुताबिन नॉन-मेडिकल प्रोसीजर्स के लिए महिलाओं की क्लिटोरिस को हटाना मानवाधिकारों का हनन है। Dawoodi Bohra Women’s Association for Religious Freedom (DBWRF) ग्रुप भी फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन खिलाफ लड़ रहा है।
क्या है फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन से जुड़ी धार्मिक मान्यताl Islam) पर आधारित है। इसमें क्लिटोरिस का ऊपरी हिस्सा हटा दिया जाता है। कई मामलों में तो पूरी की पूरी आउटर वेजाइना को ही हटा दिया जाता है। पुरुषों की तरह महिलाओं का खतना करते समय मेडिकल बेनिफिट्स नहीं देखे जाते।
मान्यताओं के अनुसार, खतना इसलिए किया जाता है ताकि महिलाओं की सेक्शुअल इच्छा को दबाया जा सके। यह प्रैक्टिस लगभग 1400 सालों से बोहरा मुसलमानों में निभाई जा रही है। इस बारे में कई बार डिबेट हो चुकी है कि खफ्ज़ की प्रैक्टिस असल में फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन नहीं है, लेकिन ऐसा नहीं है। (महिलाओं में कम लिबिडो का कारण)
क्यों किया जाता है फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन (Why is Female Genital Mutilation Done)
दैम-अल-इस्लाम में खतना हाइजीन से जोड़कर देखा गया है और इसे धार्मिक भी माना गया है। हालांकि, कई लोगों का मानना है कि खफ्ज़ बहुत छोटा सा प्रोसेस होता है जो फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन नहीं माना जा सकता, लेकिन फिर भी इसे लेकर बहुत से विवादों के बारे में आपको इंटरनेट पर पढ़ने मिल जाएगा। जैसा कि हमने बताया, इस्लामिक मान्यता के अनुसार, इसे करने के दो कारण हैं, पहला है हाइजीन से जुड़ी परेशानियों को कम करना और दूसरा है सेक्शुअल अराउजल की इच्छा को कम करना। इसे महिलाओं की प्योरिटी से जोड़कर भी देखा जाता है।
कितनी तरह से होता है फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन (Types of FGM)
मदरहुड हॉस्पिटल खारघर मुंबई की कंसल्टेंट ऑब्सटेट्रिशियन और गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर सुरभि सिद्धार्थ कहती हैं, "यह कोई फॉरेन कॉन्सेप्ट नहीं है। FGM भारतीय कम्युनिटीज में भी फॉलो किया जाता है। अधिकतर 6 से 7 साल की लड़कियों की क्लिटोरिस को काट दिया जाता है। यह बहुत ही दर्दनाक होता है।"
फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन चार तरीकों से किया जाता है। डॉक्टर सुरभि के अनुसार, इस प्रोसेस को मेडिकली किया जा सकता है जो ज्यादा सेफ रहेगा, लेकिन फिर भी लोग इसे घर पर ही करने के बारे में सोचते हैं।
इसे चार तरीकों से किया जाता है...
1. क्लिटोरिस का पूरा हिस्सा निकाल देना (clitoridectomy)
2. क्लिटोरिस के साथ लीबिया का हिस्सा भी निकाल देना (excision)
3. वेजाइनल ओपनिंग को सिल देना (infibulation)
4. क्लिटोरिस के हिस्से को थोड़ा सा छील देना या उसमें छेद कर देना (Pricking, Piercing)
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SANTOSI TANDI
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