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- कड़वा क्यों होता है...
करेले का जब भी ज़िक्र होता है तब उसका कड़वा स्वाद ज़रूर ध्यान में आता है। जहां कई लोगों को करेले के नाम से ही नुकसान होता है, तो कई लोगों को करेले की सब्जी बहुत पसंद आती है. क्या आप जानते हैं कि करेले में इतना चंदन क्यों होता है और बाद में आपने क्या सोचा था कि करेले में इतना चंदन कैसे शामिल हुआ था? करेला एक हरे रंग की सब्जी होती है जो बेल पर उगती है, इसे कड़वे के स्वाद के लिए ज्यादातर लोग पंसद नहीं करते हैं।
लेकिन बहुत सारे लोग इसके स्वास्थ्य को लेकर कई फायदे होते हैं। इसकी सब्जी भी कई तरह से बनाई जाती है, पिज्जा दिया जाता है कि सब्जी अगर सही तरह से बनाई जाए तो यह कड़वी ज्यादा स्वादिष्ट नहीं होती है। साथ ही यह पेट के लिए खास तौर से स्वादिष्ट बताया जाता है। करेले को पोषक तत्वों से भरपूर माना जाता है। इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन ए, बी1 बी2, सी, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, फास्फोरस और पोटेशियम पोषक तत्व की मात्रा अधिक मानी जाती है।
इससे पेट के कीड़े और पेट में जमा हुए गैरजरूरी तत्व को आहार में सहायक माना जाता है। इसे खून को साफ करने वाला, वजन घटना में सहायक, कमजोरी दूर करने वाला और हड्डियों को मजबूत करने वाला बताया जाता है। करेला कई रंग और आकार में आता है। लेकिन यहां भारत का औसत आकार 4 इंच होता है। वहीं चीन में यह औसत 8 इंच वजन होता है। मौसम के अनुसार आकार और लंबाई में भी बदलाव आता है।
यह बाहर से हरा और अंदर से सफेद होता है,इसका हरे रंग वाला भाग को रहस्य की तरह निकाला जाता है क्योंकि यह यही हिसा सबसे काला होता है। करेले में एक खास ग्लायकोसाइड मोमोर्टिसिन नाम का गैर साजिर तत्व होता है जो इसके स्वाद का कारण होता है। लेकिन यही कड़वा स्वाद वाले तत्व के ही स्वास्थ्य संबंधी बहुत फायदे होते हैं। इससे पेट के पाचन रसों का स्राव सक्रिय होता है, पाचन क्रिया ठीक होती है। गैस आदि की प्रयोगशालाओं से भी बाहर।