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साल 1977 में एक गाना आया था जो काफी फेमस हुआ. मोहम्मद रफी की आवाज में वो गाना आज भी लोगों की जुबान पर 1 अप्रैल के दिन आ ही जाता है. गाने के बोल हैं ‘अप्रैल फूल बनाया तो उनको गुस्सा आया…’1 अप्रैल का दिन लोगों को प्रैंक करने वाला होता है. बहुत से लोगों के मन में ये सवाल रहता है कि आखिर इस दिन की शुरुआत कब से हुई और इसे कबसे मनाया जाना शुरू हुआ. 1 अप्रैल को April Fools’ Day मनाते हैं और इस दिन की क्या अहमियत है चलिए आपको बताते हैं.
अप्रैल फूल डे क्यों मनाते हैं?
April Fools’ Day के नाम पर लोग एक-दूसरे को बेवकूफ बनाते हैं. एक-दूसरे की टांग खींचते हैं. बच्चे हों या बड़े सभी इस दिन का पूरा आनंद उठाते हैं. यहां आपको इस दिन के इतिहास से जुड़ी दो कहानियों के बारे में बताते हैं.
पहली कहानी: रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 1381 में पहली बार ये दिन मनाया गया जब इंग्लैंड के राजा रिचर्ड द्वितीय और बोहेमिया की रानी ऐनी ने सगाई का ऐलान 32 मार्च, 1381 में किया. इस खबर को सुनकर लोग बहुत खुश हुए और जश्न मनाना शुरू कर दिए लेकिन बाद में इस बात का एहसास हुआ कि कैलेंडर में तो 32 तारीख आती ही नहीं है इससे सभी बेवकूफ बन गए. उसके बाद से 1 अप्रैल को मूर्ख दिवस मनाने की प्रथा शुरू हुई.
अप्रैल फूल मनाने का इतिहास.
दूसरी कहानी: अप्रैल फूल डे से जुड़ी दूसरी मान्यता कुछ ऐसी है कि फ्रांस में इसकी शुरुआत की बात हुई थी. ऐसा बताया गया कि साल 1582 में चार्ल्स पोप ने पुराने कैलेंडर को बदलकर उसकी जगह नया रोमन कैलेंडर लागू कर दिया था. इसके बाद बहुत लोग परेशान हो गए और पुराने कैलेंडर के हिसाब से ही चलते रहे और पुराने कैलेंडर की चीजों को ही फॉलो करते थे और उसी के हिसाब से नया साल मनाते हैं और तब से 1 अप्रैल को फूल्स डे मनाया जाने लगा.
भारत में कब शुरू हुई अप्रैल फूल्स डे मनाने की शुरुआत?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में ये 19वीं सदी में अंग्रेजों द्वारा आया. सोशल मीडिया शुरू होने के बाद से इसका क्रेज ज्यादा देखने को मिला. सोशल मीडिया पर लोग इससे जुड़े मीम्स और चुटकुले फॉरवर्ड करने लगे. हालांकि किसी के साथ मजाक करते समय ये ध्यान रखें कि वो मजाक जानलेवा बिल्कुल ना हो. अप्रैल फूल की आड़ में धर्म, जाति या किसी की बीमारी को लेकर उपहास करना ठीक नहीं होता है.
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