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अपोलो अस्पताल में दो दिनों तक आईसीयू में भर्ती रहने के बाद उसे वेंटिलेटर से हटाया गया. जब उसका हार्ट 30 प्रतिशत तक काम करने लगा तब उसे डिस्चार्ज कर दिया गया. फिलहाल उसका हार्ट 60 प्रतिशत तक काम कर रहा है लेकिन डॉक्टरों की टीम को इस स्थिति तक लाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी. इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के ही कार्डियो थोरेसिक सर्जरी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ मुकेश गोयल ने बताया कि वास्तव में यह बहुत ही क्रिटिकल केस था. यहां आने से पहले हर मिनट मरीज की स्थिति बिगड़ती जा रही थी. उसे बार-बार कार्डिएक अरेस्ट आ रहा था. कई बार उसे शॉक थेरेपी और सीपीआर दिया गया. इसके बावजूद स्थिति सुधर नहीं रही थी. इस स्थिति के बाद उसे अपोलो अस्पताल लाया गया. हम लोगों ने बहुत तेजी एंजियोप्लास्टि किया.
डॉ. गोयल ने बताया कि युवा उम्र में इस तरह के साइलेंट हार्ट अटैक का मामला बहुत कम देखने को मिलता है. यह एक तरह का अनोखा केस था. उन्होंने कहा कि आपकी आर्टरीज में 30 से 40 प्रतिशत तक प्लाक हो सकता है. प्लाक का मतलब है कि हार्ट को खून पहुंचाने वाली धमनियों में कोलेस्ट्रॉल यानी चिपचिपा गंदा पदार्थ जमा होने लगता है. यह गंदा प्लाक सामान्य गतिविधियों में कोई बाधा नहीं डालता है. यही कारण है कि इसका पता नहीं चलता है. इसमें यदि आप जांच कराएं तो कोलेस्ट्रॉल लेवल नॉर्मल भी हो सकता है और नहीं भी हो सकता है. लेकिन कुछ ऐसे कारक हैं जो इस 40 प्रतिशत ब्लॉकेज को तेजी से बढ़ा सकते हैं. इन्हीं में से एक है तनाव. यदि आपका तनाव जोखिम की स्थिति में आ जाता है तो आर्टरी में 40 प्रतिशत ब्लॉकेज से बढ़ने में तनिक भी देर नहीं लेगगा और यह साइलेंट हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट के रूप में सामने आ जाएगा.
डॉक्टर के मुताबिक मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया. उन्हें दवाइयां दी गई है. फिलहाल उसका हार्ट 60 प्रतिशत तक काम कर रहा है. उसे खून पतला करने की दवा भी दी गई है. साथ ही कॉलेस्ट्रोल को और कम करने के लिए भी दवा दी गई है, जिससे खतरा टल गया है. 2-3 महीने बाद यह शख्स 30 से 40 मिनट तक साइकिल और 3-4 किलो मीटर पैदल चलने में सक्षम हो जाएगा.