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स्पंज जैसा नाजुक शरीर
अंतरराष्ट्रीय लिवर ट्रांसप्लांट सोसायटी के सदस्य डॉ. प्रशांत भांगी बताते हैं कि लिवर की बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है। 70 फीसदी मामलों में यह हैपिटाइटिस, हैपिटाइटिस बी और सी की वजह से होती, लेकिन भारत में यह हैपिटाइटिस सी की वजह से ज्यादा होती है। ज्यादा शराब पीने और लंबे समय तक शराब पीने की वजह से भी लिवर खराब हो जाता है। 30 फीसदी मामलों में लिवर की समस्या के पीछे हमारा रहन-सहन और खान-पान होता है। बच्चों में यह बीमारी जीन और एंजाइम डिफेक्ट की वजह से होती है।
वर्ष 2016 में श्रेष्ठ शोध पत्र के लिए वेनगार्ड अवॉर्ड से सम्मानित डॉ. भांगी कहते हैं कि शुरुआती दौर में ही ध्यान दिया जाए तो लिवर की बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है। अंतिम स्थिति में तो दवाएं भी काम करना बंद कर देती हैं, ऐसी स्थिति में लिवर प्रत्यारोपण ही एकमात्र विकल्प होता है। वे कहते हैं कि पैरों में सूजन, पेट में पानी का बनना, खून की उल्टी होना, शरीर में अंदरूनी तौर पर खून का बहना ऐसे लक्षण हैं, जो लिवर की बीमारी की तरफ इशारा करते हैं।
कैसे बचें : गोवा के राज्य स्तरीय बैडमिंटन खिलाड़ी रहे डॉ. प्रशांत बताते हैं कि खराब जीवनशैली के कारण व्यक्ति में फैटी लिवर (लिवर पर चर्बी का जमना) की समस्या पैदा होती है। यदि हम अपनी लाइफ स्टाइल सुधार लें सुबह-शाम दो-दो किलोमीटर पैदल चलें तो इस समस्या से निजात पा सकते हैं। फास्ट फूड, तले-गले और मसालेदार भोजन से परहेज रखें तो लिवर स्वस्थ रहेगा और लिवर ट्रांसप्लांट की नौबत ही नहीं आएगी।
यूरोपियन सोसायटी फॉर ऑर्गन ट्रांसप्लांट के सदस्य डॉ. भांगी कहते हैं कि 90 फीसदी मामलों में लिवर कैंसर खराब लिवर में ही होता है। 10 फीसदी मामले ही ऐसे होते हैं जब सामान्य लिवर में ट्यूमर आते हैं। वे कहते हैं कि लिवर बदलने से लिवर कैंसर का उपचार भी हो जाता है। इस मामले में जागरूकता की भी जरूरत है ताकि लोगों में निराशा न आए। फ्रांस में सुपर स्पेशियलिटी ट्रेनिंग लेने वाले डॉ. भांगी बताते हैं कि उन्हें वहां बहुत कुछ सीखने को मिला। उपचार के दौरान सही मरीज का चयन भी बहुत जरूरी होता है ताकि सही परिणाम मिल सकें।
तकनीक के साथ इलाज भी महंगा हुआ है, ऐसे में आम आदमी को सस्ता इलाज कैसे मिले? इस सवाल के जवाब में डॉ. भांगी कहते हैं कि लिवर ट्रांसप्लांट में पहले भी 18 से 21 लाख खर्च होते थे, अब भी लगभग इतना ही खर्च होता है। लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी ज्यादातर कार्पोरेट अस्पतालों में ही होती है। एम्स जैसे सरकारी अस्पतालों में यह सुविधा मौजूद नहीं है। सरकारी सहयोग के बिना सस्ता इलाज संभव नहीं है।
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Kajal Dubey
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