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पहाड़ों पर सफर करते वख़्त कुछ लोगों को क्यों आती है उल्टी, जानिए आखिर इस मोशन सिकनेस से कैसे बचा जाए

Nilmani Pal
16 Oct 2020 12:37 PM GMT
पहाड़ों पर सफर करते वख़्त कुछ लोगों को क्यों आती है उल्टी, जानिए आखिर इस मोशन सिकनेस से कैसे बचा जाए
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ट्रिप के शौकीनों को नई-नई जगह एक्सप्लोर करना बहुत अच्छा लगता है लेकिन ट्रिप पर जाने वाले कई लोगों के साथ Motion Sickness की समस्या होती है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ट्रिप के शौकीनों को नई-नई जगह एक्सप्लोर करना बहुत अच्छा लगता है लेकिन ट्रिप पर जाने वाले कई लोगों के साथ मोशन सिकनेस (Motion Sickness) की समस्या होती है। मोशन सिकनेस यानी सफर के दौरान उल्टी या जी मिचलाना। कई लोगों का यह मानना है कि लम्बे समय के बाद सफर पर निकलने से ऐसा होता है लेकिन यह समस्या उन लोगों के साथ भी पेश आती है, जो हमेशा ट्रिप पर सफर में जाते रहते हैं। खासतौर पर पहाड़ी इलाकों में सफर के दौरान कई लोगों को उल्टी रोकने की हर मुमकिन कोशिश के बाद भी उल्टी आ ही जाती है। ऐसे में कई बार मन में सवाल आता है कि ट्रिप के दौरान आखिर उल्टी क्यों आती है। आइए, जानते हैं इससे जुड़ा तथ्य-


उल्टी लाने में पेट नहीं, आंखों और मस्तिष्क का होता है अहम रोल

हमारे शरीर का संतुलन बनाए रखने में भीतरी कान में मौजूद तरल पदार्थ बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। शरीर के गतिशील होने की स्थिति में यह तरल पदार्थ मस्तिष्क को लगातार सिग्नल देता है। मस्तिष्क से प्राप्त होने वाले इन संदेशों के आधार पर ही चलने और बैठने के दौरान शरीर का संतुलन बना रहता है। ठीक इसी तरह हमारी आंखें भी मस्तिष्क को दृश्य सम्बन्धी सिग्नल भेजती रहती हैं। पहाड़ी मोड़ों और खराब रास्तों पर यात्रा के दौरान हमारा शरीर बहुत हिचकोले लेता है और अनिश्चित रूप से हिलता है, जबकि इसी दौरान हमारी आंखें बस या कार के अंदर का स्थिर दृश्य देख रही होती है, जो सामान्यतः स्थिर ही होता है। (बाहर का दृश्य भी ध्वनियों से मेल नहीं खा रहा होता है)। आँखों और कान के तरल पदार्थ द्वारा भेजे गए असंतुलित संदेशों के कारण हमारा दिमाग़ 'कन्फ्यूज' हो जाता है। दिमाग़ इस स्थिति को गड़बड़ी का संदेश या किसी ज़हर का दुष्प्रभाव समझता है और शरीर में उपस्थित वोमेटिंग सेंटर ( Vomiting Center ) को उल्टी करवाने का संदेश दे देता है। आमतौर पर मोशन सिकनेस का सम्बंध पेट से समझा जाता है लेकिन इसका असली कारण असंतुलन के कारण मस्तिष्क से मिलने वाला सन्देश ही है।


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