लाइफ स्टाइल

अचानक क्‍यों सुन्न हो जाते हैं हाथ या पैर

Tara Tandi
22 Sep 2021 1:01 PM GMT
अचानक क्‍यों सुन्न हो जाते हैं हाथ या पैर
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कई बार घर या दफ्तर में या फिर किसी और जगह आप एक ही पोजीशन में बैठे रहते हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| कई बार घर या दफ्तर में या फिर किसी और जगह आप एक ही पोजीशन में बैठे रहते हैं और जब अचानक उठते हैं तो आपका कोई पैर झनझनाने लगता है. आप जमीन पर पैर रखते हैं, लेकिन आपको एहसास नहीं होता कि आप अपने पैरों पर खड़े हैं. आपको ऐसा एहसास होता है कि आपका वो वाला पैर है ही नहीं!

ऐसे ही होता है, आपके हाथों के भी साथ, जब आप काफी देर तक हाथ के बल लेटे रहते हैं या हाथ पर ही​ सिर टिका कर सो जाते हैं. या फिर कुर्सी पर ही काफी देर तक एक ही पोजीशन पर हाथ टिकाने के बाद भी आपके साथ ऐसा हो सकता है. इन स्थितियों में आपके हाथ और पैर सो जाते हैं. इसे हाथ-पैर का सुन्न हो जाना भी कहते हैं.
आम तौर पर हाथ या पैरों का सो जाना आम बात है. कुछ देर के बाद यह ठीक हो जाता है. लेकिन कई बार ऐसा होने लगे या फिर होने के बाद झनझनाहट खत्म होने में ज्यादा देर लगने लगे तो डॉक्टर के पास जाने की सलाह दी जाती है. आइए जानते हैं ऐसा आखिर होता क्यों है.
क्यों सो जाते हैं हमारे हाथ-पैर?
साइंस के मुताबिक हाथ-पैर सोना सामान्‍यत: बहुत गंभीर बात नहीं है. फिजियोथेरेपिस्ट डॉक्टर दीपक कुमार बताते हैं कि एक ही पोजिशन में देर तक रहने से कुछ नसें दब जाती हैं. ऐसे में हाथ पैरों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती. ऑक्सीजन की कमी महसूस होने पर शरीर के अंग बचाव की मुद्रा में आ जाते हैं और बहुत जरूरी काम ही करते हैं.
इस स्थिति का पता हमारे दिमाग को भी चल जाता है और हमारा मस्तिष्क ऑक्सीजन के लिए छटपटाते हाथ या पैर की मदद करने करता है. हमारा मस्तिष्क झनझनाहट के सिग्नल भेजकर हमें उठने, हिलने-डुलने या चहलकदमी करने के लिए बाध्य करता है. इस कारण सुन्न पड़ने के बाद उठने से पैर या हाथों में झनझनाहट महसूस होती है. हालांकि कुछ देर के बाद यह सामान्य हो जाता है.
इन संकेतों को हल्के में न लें
डॉक्टर दीपक बताते हैं कि हाथ या पैर का सुन्न पड़ जाना अगर लगातार होने लगे, एक दिन में कई बार ऐसा होने लगे या फिर ऐसा होने के बाद हाथ या पैर में उठी झनझनाहट जल्दी खत्म न हो तो इन संकेतों को हल्के में नहीं लेना चाहिए. उन्होंने बताया कि स्लिप डिस्क (Slip Disk), पैरेस्थिसिया (Paresthesia) या मल्टीपल स्क्लेरोसिस (Multiple Sclerosis) के कारण भी कई बार ऐसा होता है. वहीं डायबिटीज के पेशेंट को भी इस तरह की समस्याएं ज्यादा हो सकती हैं. ऐसे में जरूरी है कि संबंधित डॉक्टर से मिलकर चेकअप कराएं और प्रॉपर इलाज कराएं.


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