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गंजेपन की स्थिति क्यों बनती है, हेयर ट्रांसप्लांट के बाद किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, जाने
Admin4
14 March 2021 7:22 AM GMT
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इलाज के लिए वो हेयर ट्रांसप्लांट तकनीक तो अपनाते हैं लेकिन इससे जुड़ी सावधानी की जानकारी न होने के कारण उन्हें कई तरह के साइड इफेक्ट का सामना करना पड़ता है।
जनता से रिश्ता वेब्डेस्क | बालों का झड़ना और गंजेपन के मामले पुरुषों में अधिक देखे जाते हैं। इलाज के लिए वो हेयर ट्रांसप्लांट तकनीक तो अपनाते हैं लेकिन इससे जुड़ी सावधानी की जानकारी न होने के कारण उन्हें कई तरह के साइड इफेक्ट का सामना करना पड़ता है। पिछले कुछ सालों ऐसे मामले भी सामने आए जिसमें हेयर ट्रांसप्लांट के दौरान लोगों की जान भी चली गई।
जानिए, गंजेपन की स्थिति क्यों बनती है, हेयर ट्रांसप्लांट होता कैसे है और इसे कराने के लिए किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है….
क्यों गिरते हैं बाल, पहले इसे समझिए
हेयरफॉल और गंजेपन यानी एलोपेशिया के चार कारण हो सकते हैं
1. आनुवांशिक: फैमिली हिस्ट्री भी इसके लिए जिम्मेदार
सामान्य रूप से पुरुषों में पाया जाने वाला टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन एक उम्र के बाद डिहाइड्रोटेस्टोस्टेरॉन (डीएचटी) हार्मोन में बदल जाता है जो सिर के केवल आगे के बालों के विकास के लिए जिम्मेदार होता है। लेकिन, आनुवांशिकता के चलते इस हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है जिससे सिर के आगे के बालों की जड़ धीरे-धीरे कमजोर होने से ये झड़ने व टूटने लगते हैं। इसके 95 फीसदी मामले पुरुषों में और 5 फीसदी महिलाओं में पाए जाते हैं।
2. खानपान: बालों की सेहत के लिए बायोटिन और प्रोटीन जरूरी
बालों की सेहत के लिए विटामिंस, बायोटिन, मिनरल्स और प्रोटीनयुक्त भोजन (बादाम, मूंगफली, काजू, गोभी, अलसी आदि) लेना चाहिए। ये पोषक तत्व वालों की ग्रोथ को बेहतर बनाते हैं। इनकी कमी से एलोपेशिया यानी गंजेपन की समस्या होती है।
3. लाइफस्टाइलः अधिक तनाव और केमिकल वाले उत्पाद से बचें
अत्यधिक तनाव, लगातार केमिकल वाले हेयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल बालों के झड़ने की समस्या को बढ़ाता है लेकिन, बार-बार शैम्पू व ऑयल का बदलना भी इसका कारण है। इसके अलावा सिर की त्वचा का रुखा बना रहना और तेल से मालिश न करने से स्कैल्प की नमी खत्म होने से बालों की जड़े कमजोर हो जाती हैं। नतीजा, ये गिरने लगते हैं।
4. हार्मोनल बदलाव: हार्मोन में बदलाव भी एक वजह
समय से पहले या निश्चित उम्र के बाद शरीर में हार्मोनल बदलाव परेशानी का सबब बनता है। महिलाओं में थायराइड हार्मोन, पीसीओडी, पौष्टिक तत्वों और खून की कमी की समस्या से बाल झड़ने लगते हैं।
दो तरह से होता हेयर ट्रांसप्लांट
जब दवाएं और दूसरे तरीके काम नहीं करते तो बाल झड़ने और गंजापन दूर करने का एक ही तरीका है हेयर ट्रांसप्लांटेशन। हेयर ट्रांसप्लांटेशन में दो तकनीक अपनाई जाती हैं। जिनमें मामूली-सा फर्क है।
1- फॉलिक्युलर यूनिट ट्रांसप्लांटेशन (FUT): इसमें सिर के पीछे के हिस्से से दो सेंटीमीटर चौड़ी स्किन निकालते हैं। इसमें से बालों को अलग कर सिर के आगे के हिस्से पर मेडिकेटेड सुई से छेद कर इम्प्लांट करते हैं। जहां से स्किन निकाली जाती है वहां बहुत बारीक टांके लगाते हैं जो आने वाले नए बालों से छिप जाते हैं। आजकल ट्राइकोफाइटिक क्लोजर तकनीक की मदद से भी त्वचा को टांके लगाकर जोड़ दिया जाता है जिसपर भी बाल उगने शुरू हो जाते हैं और निशान न के बराबर दिखता है।
2- फॉलिक्युलर यूनिट एक्सट्रैक्शन (FUE): इस तकनीक में एक विशेष प्रकार की मशीन से सिर के पीछे के हिस्से से एक-एक बाल को निकालकर सिर के आगे के हिस्से में छेद कर इंप्लांट कर देते हैं। इस प्रक्रिया में किसी प्रकार का कोई निशान नहीं आता।
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