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WHO: साल 2050 तक बहरे हो जाएंगे 70 करोड़ लोग

Rounak Dey
3 March 2021 5:50 PM GMT
WHO: साल 2050 तक बहरे हो जाएंगे 70 करोड़ लोग
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बड़ी चेतावनी जारी कर एक रिपोर्ट जारी की है, जिसके मुताबिक साल 2050 तक 70 करोड़ लोगों के कान ख़राब हो सकते हैं।

जनता सृष्टा वेबडेस्क | World Hearing Day: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बड़ी चेतावनी जारी कर एक रिपोर्ट जारी की है, जिसके मुताबिक साल 2050 तक 70 करोड़ लोगों के कान ख़राब हो सकते हैं। मौजूदा वक्त की बात करें तो इस समय दुनियाभर में करीब 400 मिलियन लोग अपनी सुनने की शक्ति खो चुके हैं। सुनने की शक्ति को लेकर जारी ये रिपोर्ट ख़तरनाक स्थिति की ओर इशारा कर रही है।

इस रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2050 तक यह आंकड़ा 700 मिलियन से ज्यादा होगा। इसके पीछे कई कारण हैं, लेकिन सबसे बड़ा कारण है लंबे समय तक तेज़ आवाज़ में गाने सुनना। हर साल 3 मार्च यानी आज के दिन दुनियाभर में सुनने की शक्ति को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए वर्ल्ड हियरिंग डे मनाया जाता है।
रिपोर्ट के अंदर बताया जाएगा कि आखिर किस तरह आप अपने सुनने की शक्ति हमेशा बनाए रख सकते हैं? इस साल वर्ल्ड हियरिंग डे की थीम का नाम है Hearing care for All-Screen. Rehabilitate. Communicate"। आपको बता दें कि यह पहली बार होगा जब सुनने की शक्ति को लेकर विश्व में कोई रिपोर्ट लॉन्च की जा रही हो।
सुनने की शक्ति जाने से ज़िंदगी पर होगा ऐसा असर
उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ़ हॉस्पिटल्स के फाउंडर और डायरेक्टर डॉ. शुचिन बजाज का कहना है, "विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भविष्यवाणी की है कि 2050 तक चार में एक लोगों को सुनने में परेशानी हो सकती है जोकि चिंताजनक बात है। ऐसा देखा गया है कि हमारे देश में सुनने में परेशानी होने पर इस समस्या को गंभीरता से नहीं लिया जाता है और इसके प्रति कुछ कुप्रथाएं भी मशहूर हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारे सुनने की क्षमता बहुत अमूल्य है। सुनने में दिक्कत आने पर इलाज न कराने से हमारी जिंदगी की गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ सकता है क्योंकि इससे लोगों की बात करने की क्षमता में कमी हो जाती है। उन्हें पढ़ने में दिक्कत होती है और जीविका कमाने में भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसा देखा गया है कि अगर इस तरह की कंडीशन को काफी समय तक नज़रअंदाज किया जाता है, तो इससे मरीज़ के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए यह समय की मांग हो चुकी है कि सुनने में परेशानी होने पर तुरंत देखरेख और मेडिकल हस्तक्षेप की आवश्यकता है ताकि परिणाम घातक न हो।'
सुनने की समस्या को कैसे रोका जाए?
पारस हॉस्पिटल, गुरुग्राम के ईएनटी डिपार्टमेंट के डॉ. अमिताभ मालिक का कहना है, "सुनने की क्षमता में कमी समाज में बहुत सारे लोगों को होती है। यह किसी बीमारी की वजह से हो सकता है जो मिडिल कान या आंतरिक कान को डैमेज कर देता है या यह जन्मजात भी हो सकता है, या उम्र से सम्बंधित और बहुत तेज़ आवाज़ सुनने से भी सुनने में समस्या आ सकती है। बच्चों में लगभग 60% सुनने की समस्या को होने से रोका जा सकता है।
- इसके लिए कुछ सावधानी बरतनी पड़ेगी जैसे कि रूबेला और मैनिंजाइटिस की रोकथाम के लिए टीकाकरण और मातृत्व और नवजात देखभाल में सुधार, बीच कान में इन्फ्लेमटरी बीमारी की स्क्रीनिंग कराना आदि।
- यह ज़रूरी है कि इसी बीच कान की अच्छी साफ़-सफाई रखें क्योंकि प्रतिवर्ती सुनने में कमी होने का सबसे आम कारण कान का वैक्स है।
- भारत में 63 मिलियन लोग (6.3%) सुनने में कमी की समस्या से पीड़ित होते हैं। उम्र के बढ़ने और प्रेस्बिटेसिस भी जैसे गैर-संक्रामक कारण भारत में सुनने में कमी के सबसे आम कारणों में से एक हैं। इसके अलावा शोर से भी सुनने की क्षमता में कमी होती है। नाक की एलर्जी और ठंड के कारण बीच कान में इंफेक्शन होता है और जिससे सुनने की क्षमता कम हो जाती है।"
रिपोर्ट बताती है कि बहरेपन की समस्या ज़्यादातर उन देशों में बढ़ रही हैं जो पूरी तरह विकसित नहीं हैं। इसके अलावा इन देशों में न तो इस समस्या से निपटने के लिए किसी तरह की प्लानिंग है और न ही यहां के लोग इसको लेकर जागरूक हैं। ऐसे में जब व्यक्ति अपने सुनने की शक्ति खो देता है, तो इसकी वजह से भाषा सीखने में भी दिक्कत आती है और किसी से बाद करना भी बहुत सीमित हो जाता है।


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