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हर साल 13 अगस्त यानी आज के दिन ‘वर्ल्ड ऑर्गन डोनेशन डे’ के रूप में मनाया जाता है
हर साल 13 अगस्त यानी आज के दिन 'वर्ल्ड ऑर्गन डोनेशन डे' के रूप में मनाया जाता है। यह दिन लोगों का जीवन बचाने के लिए अपने स्वस्थ अंगों को डोनेट कर, प्रोत्साहित करने के लिए किया जाता है। नेशनल हेल्थ पोर्टल के मुताबिक भारत में लगभग हर साल 5 लाख लोगों की मौत सही समय पर ऑर्गन न मिलने की वजह से होती है। एक इंसान ऑर्गन डोनेट कर न जानें कितने लोगों को नया जीवन दे सकता है। किडनी, हार्ट, आंखें, फेफड़े आदि जैसे अंग दान करने से कई मासूम जानें बच जाती हैं। भारत सरकार द्वारा लगातार लोगों को अंगदान करने के लिए जागरूक किया जा रहा है। भारत में 27 नवंबर को 'ऑर्गन डोनेशन डे' मनाया जाता है। स्वास्थ्य मंत्रालय की मानें तो 65 वर्ष की आयु तक व्यक्ति अंग दान कर सकता है।
कब हुई थी ऑर्गन डोनेशन की शुरुआत?
दुनिया में पहली बार सफल ऑर्गन डोनेशन अमेरिका में 1954 में किया गया था। रोनाल्ड ली हेरिक नाम के एक व्यक्ति ने अपने जुड़वां भाई को साल 1954 में अपनी एक किडनी दान की थी। सबसे पहली बार उनका यह किडनी ट्रांसप्लांट डॉक्टर जोसेफ मरे ने किया। जिसके लिए 1990 में डॉक्टर जोसेफ मरे को फिजियोलॉजी या मेडिसिन में नोबेल पुरस्कार भी मिला था।
ऑर्गन डोनेशन का महत्व
'वर्ल्ड ऑर्गन डोनेशन' का मुख्य उद्देश्य गंभीर रूप से बीमार लोगों की जान बचाना है। किसी व्यक्ति की जान बचाने में अंगदान महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। चिकित्सा विज्ञान ने अंगदान के क्षेत्र में सुधार कर कई मिथकों को खत्म किया है। अब किसी भी उम्र का व्यक्ति अपने अंगों का दान कर सकता है। वर्तमान समय में लोग अंग दान को लेकर बहुत जागरूक हुए हैं और इसके महत्व को बहुत अच्छी तरह समझ रहे हैं। इसलिए इसका सदुपयोग करते हुए अपने अंगों का दान कर रहे हैं।
2 तरीके से किया जाता है ऑर्गन डोनेशन
अंग दान के दो रूप हैं, पहले रूप में जीवित व्यक्ति किडनी और लीवर का एक हिस्सा अंग दान कर सकते हैं। कोई बजी इंसान एक किडनी से जीवित रह सकता है और शरीर में लीवर ही एकमात्र ऐसा अंग है जो खुद को फिर से उत्पन्न करने के लिए जाना जाता है। इसलिए जीवित रहते हुए आप किसी की जान बचाने के लिए इन अंगों को ट्रांसप्लांट कर सकते हैं।
मरने के बाद ऑर्गन डोनेशन
मरने के बाद भी ऑर्गन डोनेशन किया जाता है। डॉक्टर जिस व्यक्ति के ब्रेन को डेड घोषित कर देते हैं उनका अंग दान किया जाता है। डेड बॉडी के अंगों को जीवित व्यक्ति में ट्रांसप्लांट किया जाता है।अंगदाता की मौत के बाद उसके अंग जैसे हृदय, लिवर, गुर्दे, आंत, फेफड़े, आंखें और अग्न्याशय को दूसरे इंसान में ट्रांसप्लांट कर सकते हैं।
ऑर्गन डोनेशन के नियम
ऑर्गन डोनेशन के लिए किसी भी व्यक्ति का का स्वस्थ होना सबसे जरूरी है। जीवित अंगदान में मधुमेह, किडनी या हृदय रोग, कैंसर और एचआईवी आदि से पीड़ित लोगों को बाहर रखा जा सकता है। ब्रेन डेड व्यक्ति को एचआईवी, कैंसर, डायबिटीज, किडनी और हृदय रोगों से पीड़ित नहीं होना चाहिए। कोई भी बीमार व्यक्ति ऑर्गन डोनेशन नहीं कर सकता। जो लोग HIV, कैंसर जैसे बीमारी से जूझ रहे हैं, वे अंग दान नहीं कर सकते।
कब कर सकते हैं ऑर्गन डोनेशन?
जन्म से लेकर 65 वर्ष तक के व्यक्ति जिन्हें ब्रेन डेड घोषित किया जा चुका हो, उनका ऑर्गन डोनेशन किया जा सकता है। ब्रेन डेड साबित होने या मृत्यु के बाद कितने घंटे में कौन सा अंग ट्रांसप्लांट हो जाना चाहिए यह जानना जरूरी है।
ऑर्गन डोनेशन से जुड़ी गलत धारणाएं
महिलाओं के अंग पुरुषों में ट्रांसप्लांट नहीं हो सकते
मृत्यु के बाद ही अंगदान किया जा सकता है
मेरे धर्म में ऑर्गन डोनेट करने पर रोक है
मैं ऑर्गन खरीद सकता हूं, मुझे अंगदान की आवश्यकता नहीं है
अंगदान से विकलांग या कमजोरी का खतरा
बच्चे अंगदान नहीं कर सकते
अंगदान से माता-पिता बनने में परेशानी
Ritisha Jaiswal
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