धर्म-अध्यात्म

विजया एकादशी व्रत कब है, जानिए शुभ मुहूर्त और व्रत की कथा

Tara Tandi
23 Feb 2022 6:18 AM GMT
विजया एकादशी व्रत कब है, जानिए शुभ मुहूर्त और व्रत की कथा
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एकादशी का व्रत सभी व्रतो में श्रेष्ठ माना गया है. हिंदू धर्म में इस व्रत का जीवन में सुख समृद्धि प्रदान करने वाला माना गया है. एकादशी व्रत को सभी व्रतों में श्रेष्ठ और कठिन माना गया है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। एकादशी का व्रत सभी व्रतो में श्रेष्ठ माना गया है. हिंदू धर्म में इस व्रत का जीवन में सुख समृद्धि प्रदान करने वाला माना गया है. एकादशी व्रत को सभी व्रतों में श्रेष्ठ और कठिन माना गया है. विजया एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा आइए जानते हैं.

विजया एकादशी व्रत कब है?
पंचांग के अनुसार 27 फरवरी 2022, रविवार को फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी है. इस एकादशी विजया एकादशी कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है. पौराणिक मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु जी की पूजा और व्रत करने से व्यक्ति को हर कार्य में विजय प्राप्त होती है. शत्रुओं पर जीत हासिल होती है और मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है.
विजया एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार एकादशी की तिथि का प्रारंभ शनिवार, 26 फरवरी 2022 को सुबह 10 बजकर 39 मिनट से होगा, जो अगले दिन यानी 27 फरवरी 2022, रविवार की सुबह 08 बजकर 12 मिनट तक रहेगी.
विजया एकादशी पर बन रहा है शुभ संयोग
विजया एकादशी तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि योग और त्रिपुष्कर योग भी बन रहा है. विजया एकादशी पर पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 12.11 से दोपहर 12.57 मिनट तक रहेगा.
विजया एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, राम वनवास के दौरान रावण ने माता सीता का हरण कर लिया. तब भगवान राम और उनके अनुज लक्ष्मण बहुत ही चिंतित हुए. माता सीता की खोज के दौरान हनुमान की मदद से भगवान राम की वानरराज सुग्रीव से मुलाकात हुई. वानर सेना की मदद से भगवान राम लंका पर चढ़ाई करने के लिए विशाल समुद्र तट पर आये. विशाल समुद्र के चलते लंका पर चढ़ाई कैसे की जाए. इसके लिए कोई उपाय समझ में नहीं आ रहा था.
अंत में भगवान राम ने समुद्र से मार्ग के लिए निवेदन किया, परंतु मार्ग नहीं मिला. फिर भगवान राम ने ऋषि-मुनियों से इसका उपाय पूछा. तब ऋषि-मुनियों ने विजया एकादशी का व्रत करने सलाह दी. साथ ही यह भी बतया कि किसी भी शुभ कार्य की सिद्धि के लिए व्रत करने का विधान है.
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