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कब है कजरी तीज, यहाँ जानिए शुभ मुहूर्त और पूजाविधि

Manish Sahu
30 Aug 2023 12:22 PM GMT
कब है कजरी तीज, यहाँ जानिए शुभ मुहूर्त और पूजाविधि
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धर्म अध्यात्म:हिन्दू धर्म में प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज मनाई जाती है। इस दिन सुहागिन महिलाऐं पति के अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए कजरी तीज का निर्जला व्रत रहती हैं। इस विशेष दिन मां पार्वती और भगवान महादेव की पूजा की जाती है। मान्यता है की श्रद्धापूर्वक कजरी तीज का व्रत तथा पूजन करने से वैवाहिक जीवन सुखी रहता है। इस दिन कुंवारी लड़कियां भी योग्य वर पाने के लिए कजरी तीज का व्रत करती हैं। चलिए जानते हैं इस वर्ष के कजरी तीज का शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजनविधि...
कब है कजरी तीज?
वैदिक पंचाग के मुताबिक, इस वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 1 सिंतबर को 11 बजकर 50 मिनट पर होगी तथा 2 सिंतबर को रात 8 बजकर 49 मिनट तक रहेगी। इसलिए उदया तिथि के अनुसार, इस वर्ष कजरी तीज 2 सिंतबर को मनाई जाएगी।
पूजा का शुभ मुहूर्त: कजरी तीज के दिन यानी 2 सिंतबर को प्रातः 7 बजकर 57 मिनट से लेकर 9 बजकर 31 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त है। इसके साथ ही रात को 9 बजकर 45 मिनट से लेकर 11 बजकर 12 मिनट तक पूजा का शुभ समय रहेगा।
कजरी तीज का महत्व:
धार्मिक मान्यता है कि कजरी तीज का व्रत रखने से पति की आयु लंबी होती है। शादीशुदा जिंदगी की सभी समस्याएं दूर होती है और जीवन में सुख, प्रेम और खुशहाली की कमी नहीं रहती है। इस दिन कुंवारी कन्याएं भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए कजरी तीज का वर्त रखती है। कहा जाता है कि मां पार्वती ने सबसे पहले भगवान महादेव को पति के रूप में पाने के लिए कजरी तीज का व्रत किया था।
कजरी तीज की पूजाविधि:-
कजरी तीज की पूजा के लिए प्रातः जल्दी उठें तथा नहाने के पश्चात् व्रत का संकल्प लें। अब घर के मंदिर को साफ कर लें। तत्पश्चात, एक साफ चौकी पर पीले या लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। फिर चौकी पर मां पार्वती और भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित करें। मां पार्वती को 16-श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें। भगवान शिव एवं मां पार्वती की विधि-विधान से पूजा करें। शिवलिंग पर गंगाजल, गाय का दूध, बेलपत्र, धतूरा और आक के फूल चढ़ाएं। कजरी तीज व्रत रखने के साथ महादेव और मां पार्वती के विवाह की कथा जरूर सुनें। मान्यता है कि कजरी तीज व्रत की कथा सुनें बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। पूजा समाप्त होने के पश्चात सुहागिन महिलाओं को सुहाग की सामग्री दान करें और उनका आशीर्वाद लें।
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