लाइफ स्टाइल

कब और क्यों आती है छींक

Apurva Srivastav
17 April 2023 1:16 PM GMT
कब और क्यों आती है छींक
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छींक आना वैसे तो काफी नॉर्मल बात है. हालांकि इसको लेकर कुछ लोगों के मन में यह धारणा है कि जब भी छींक आती है तो दिल की धड़कन कुछ समय के लिए रुक जाती है. मगर क्या यह सच है या सिर्फ एक मिथ है? छींक की शुरुआत आमतौर पर पहले नाक में अजीबोगरीब गुदगुदी से होती है. इसी के बाद अचानक छींक निकलती है, जो पूरे शरीर को हिलाकर रख देती है. छींक के दौरान ऐसा लगता है जैसे कि दिल ने अपने कार्यों से एक छोटा सा ब्रेक ले लिया है. कई लोगों को लगता है कि छींकते वक्त दिल का धड़कना बंद हो जाता है. हालांकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. छींकने से पहले जब आप सांस अपने अंदर लेते हैं तो आपके सीने में दबाव बढ़ जाता है. इसके बाद आप जैसे ही छींक के दौरान जोर से सांस छोड़ते हैं तो सीने का दबाव कम हो जाता है. इन्हीं दबावों की वजह से ब्लड के फ्लो में बदलाव होता है, जो दिल की धड़कनों को प्रभावित कर सकता है. हालांकि ऐसा नहीं है कि छींकते वक्त आपका दिल धड़कना बंद कर देता है. छींकते समय दिल में इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी बिना रुके चलती रहती है.
कब आती है छींक?
दरअसल नाक में 'म्यूकस' नाम की एक पतली झिल्ली होती है. इस झिल्ली के सेल्स और टिशूज़ दोनों ही बहुत ज्यादा सेंसेटिव होते हैं. जब इन टिशूज़ या फिर सेल्स में सांस लेते वक्त धूल का कोई कण आकर चिपक जाता है तब नाक में अजीबोगरीब गुदगुदी शुरू हो जाती है, जो छींक का कारण बनती है. नाक में किसी भी तरह की इरिटेशन से छींक आ सकती है. नाक में होने वाली इरिटेशन दिमाग को सिग्नल देती है और फिर दिमाग मांसपेशियों को मैसेज देता है कि नाक में घुसे धूल के कण को तुरंत बाहर निकालो. बस इसी के बाद आपको अचानक छींक आती है.खाना बनाने के दौरान मसालों के नाक में अंदर जाने पर भी छींक आती है. इसके अलावा, झाड़ू लगाते समय धूल के कण अंदर जाने पर छींक आ जाती है. जब भी नाक के अंदर की झिल्ली किसी कण को लेकर असहज महसूस करती है तो तुरंत छींक के जरिए इसे बाहर निकाल देती है.
छींक आने के कारण
1. सर्दी-जुकाम
2. एलर्जिक राइनाइटिस
3. सूखी नाक
4. साइनस
5. वासोमोटर राइनाइटिस
छींक रोकने के तरीके
1. भांप लेना
2. शहद का सेवन
3. नाक को दबाना
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