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हर छह माह पर दवा पिलाना सही नहीं। जांच के बाद रिपोर्ट पाजिटिव हो तभी दवा दें।
राष्ट्रीय कृमि मुक्त दिवस की शुरुआत साल 2015 से हुई थी। तब से हर साल यह दिन मनाया जाता है। बच्चों व किशोरों में कृमि संक्रमण को रोकने तथा इससे बचाव के प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से हर साल यह दिवस मनाया जाता है। पेट में कीड़े के रूप में राउंड वार्म यानी गोल कृमि भारत के बच्चों में काफी ज्यादा होती है। यदि आंकड़ों में देखें तो इस समय देश में एक साल से 14 साल की उम्र के तकरीबन 24 करोड़ से अधिक बच्चों में यह समस्या पाई जाती है। गांवों में और अर्धशहरी क्षेत्रों में यह समस्या आमतौर पर बनी हुई है। साफ-सफाई में कमी और गलत खानपान के कारण यह संक्रमण होता है। शहरी क्षेत्रों में यह कम देखा जा रहा है। संक्रमित मिट्टी को हाथों में लेने या नाखूनों में जमा होने के बाद इन्हीं गंदे हाथों से खाने से कीड़े शरीर में प्रवेश करते हैं।
बचाव के लिए क्या करें
- खाने से पहले और शौच के बाद हाथों को अच्छी तरह से साफ करना चाहिए।
-पैरों में चप्पल/जूते अवश्य पहनें।
-फलों/सब्जियों को साफ/सुरक्षित पानी से धोकर ही उपयोग करें।
-अच्छी तरह पका भोजन ही खाएं।
इन बातों का भी रखें ध्यान
-हर छह माह पर दवा पिलाना सही नहीं। जांच के बाद रिपोर्ट पाजिटिव हो तभी दवा दें।
-दवा पिलाने से पहले कब्ज या कोई दूसरी समस्या न हो इसका ध्यान रखें।
-कीड़े की जांच फ्रेश स्टूल से ही कराएं।
-यदि बच्चे को पेट में कीड़ा मारने की दवा दी गई है तो सफाई का विशेष ध्यान रखें, अन्यथा दोबारा संक्रमण का खतरा हो सकता है।
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Apurva Srivastav
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